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Vaishali Kahale
Prerit Modi सफ़र
शाइस्तगी तेरी मुझे सनम रास आ गई आहिस्ता आहिस्ता तू मेरे पास आ गई न हो गुमसुम एक बार मुस्कुरा तो सही तेरे आने से ज़िन्दगी में आस आ गई काकुल तेरी आज सुलझाने दे मुझे तू जो आई नज़दीक, मुझे साँस आ गई एहसासों का ये धागा मुक़द्दस है बहुत शब-ए-वस्ल, तू बे-लिबास आ गई रूह में बस गई है तू निकहत की तरह दूर होकर भी तू बेहद पास आ गई जो तू गई दूर 'सफ़र' पर छोड़ कर मुझे तस्वीर मेरे सामने तेरी उदास आ गई 🔹मुस्कुरा तो सही🔹 शाइस्ता- विनम्रता, politeness काकुल- tresses of hairs #collabwithकोराकाग़ज़ #KKSC16 #मुस्कुरातोसही #विशेषप्रतियोगिता #को
Vaishali Kahale
DR. SANJU TRIPATHI
तेरे काकुल तेरी सुंदरता को और बढ़ा देते हैं, बलखाते हैं झूमके और हमको उलझा देते हैं। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "काकुल" "kaakul" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है बालों की लट, ज़ुल्फ़, माथे पर लटकते
Dr Upama Singh
तुम्हारी काकुल मुझे उलझाए हुए है देकर अपनी मोहब्बत जिंदगी सुलझा दे मेरी। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "काकुल" "kaakul" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है बालों की लट, ज़ुल्फ़, माथे पर लटकते
Vedantika
उलझते हुए ज़ज़्बातों को काकुल में पनाह मिलने दो बनकर एक ख़्वाब खुद को मेरी आँखों में खिलने दो इन हसीं कहानियों को उतरने दो हक़ीक़त की ज़मीन पर सिलसिला गुफ्तगू-ए निगाह का बे-ख़लल यूँ ही चलने दो ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "काकुल" "kaakul" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है बालों की लट, ज़ुल्फ़, माथे पर लटकते
Prerit Modi सफ़र
मरहले अभी और भी हैं में'यार-ए-इश्क़ में अभी तो इब्तिदा-ए-दर्द है, बेरहम इश्क़ में क्या क्या गुज़री है ज़िन्दगी में बिन तेरे सनम ज़ीस्त दुआ भी है अज़ाब भी कमबख़्त इश्क़ में औराक़-ए-किताब लबरेज़ हैं ग़म-ए-हिज्र में लिख डाली हैं हज़ारों ग़ज़ल संगदिल इश्क़ में काकुल-ए-ज़िन्दगी बहुत उलझी है बिन तेरे बहुत तड़पाती है यादें तेरी ज़ालिम इश्क़ में बच कर रखना कदम जो बचे हुए हैं अब तक मज़ा भी है सज़ा भी है , 'सफ़र'-ए-इश्क़ में मरहले- stages, चरण में'यार-ए-इश्क़- इश्क की कसौटी इब्तिदा-ए-दर्द- starting of pain औराक़-ए-किताब- pages of book ग़म-ए-हिज्र- जुदाई का ग़म संगदिल
SURAJ आफताबी
क्यों जालिमा खिलाफ मेरे ऐसी संग्राम-ओ-रार करती हो ग्रहण लगा "आफताब" को कहती हो प्यार करती हो! काकुल की जंजीर से बाँधी रखी है मेरी आँखों की जोड़ी नैनों से अपने दिल पर मेरे छापामार वार करती हो कटार बना "शबाब" को कहती हो प्यार करती हो! स्याह अंजन की कोठरी में आजीवन कारावासी बनाया "आफताबी" समुद्री अम्बकों के तट पर मेरी धड़कनों का कारोबार करती हो चिलमन में छुपा "महताब" को कहती हो प्यार करती हो! काकुल...झुल्फ की लट छापामार वार - एक प्रकार का युद्ध करने का तरीका जिसमें छुप के वार किया जाता है इसका उदभव चीन में हुआ फिर भारत में राजस्था
gaurav
लेक त्या वारीची ...... जाईन माहेरी आई पंढरी... घालीन साकड दंडवत बाप चरणी..... शुभ रात्री मित्रांनो आताचा विषय आहे #३४५ पहिल्या ओळीत तीन शब्द, दुसऱ्या ओळीत चार शब्द आणि शेवटच्या ओळीत पाच शब्द लिहायचे आहे. चला तर मग लिह