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Deep bawara
तुम्हारी चूत के वलवले हो रहें है हम भी कितने सरफिरे हो रहें है चलो चल के करे चुदाई तुम्हारे चूत के द्वार खुल रहे है ©Deep bawara #Nojoto #YourQuoteAndMine #शेर #शायरी #गज़ल #ग़ज़ल
mritunjay Vishwakarma "jaunpuri"
अजनबियों से जान पहचान अच्छा लगता है। किसी का कहना मुझे जान अच्छा लगता है। इश्क़ नहीं पिता की इज़्ज़त ज्यादा प्यारी थी। मुझे तुम्हारी यही अभिमान अच्छा लगता है। तेरी हर अदा यूं तो बे-मिसाल हुआ करती है। फूलों की तरह तेरी मुस्कान अच्छा लगता है। साफ-साफ नहीं तोतली है, बड़े लोगो से ज्यादा नन्हें मासूमों की मीठी जुबान अच्छा लगता है। दिन ज़रूरत-ए-जिस्त-ए-रोजगार में गुजरती है। हमें रात भर देखना आसमान अच्छा लगता है। अम्न-ओ-ईमान का किसी इंसान का यकीं नहीं। ऐसी जहान में जय तिरा ईमान अच्छा लगता है। ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" अच्छा लगता है। #ग़ज़ल #शेर #मूक्तक #LostInNature
Manish Kumar Mishra
Nagendra Kumar N k Raja Bjpn
i love you अभी मैं नया हूं अभी मुझे बता नहीं आता
kanchan Yadav
"" कभी कभी अकेला होना अच्छा होता है खुद को करीब से देखने का मौक़ा मिलता हैं, क्या कमी है और क्या गुण साफ दिखता है, मन शांत होकर खुद को खूब समझता हैं कभी कभी अकेला होना अच्छा लगता है ।। सागर भी तो ख़ुद चढ़ता और उतरता है, लहरों से लड़ता फिर खुद की पीछे हटता है, रातों को लहरों का खूब शोर होता हैं, सुबह सूरज की रोशनी में शांत खूब चमकता है अकेला होकर भी अपने में मस्त होता है ।। कभी कभी अकेला होना अच्छा होता है ख़ुद का पता चलता है ।। (कंचन यादव) #waiting ##अकेला होना अच्छा लगता है##खुद का पता चलता है
Veena Khandelwal
#ग़ज़ल मुहब्बत जब करें आँखे , इबारत ही नहीं होती। दिखावे की ज़ताने की,लियाकत ही नहीं होती। सफीने दिल लिखी मेरे ,इबारत तुम ज़रा पढ़ लो। उसे इज़हार करने की , ज़रूरत ही नहीं होती। नज़ाकत है अदाओं में,नज़ारत से भरा चेहरा। इशारों से अगर छेड़ूं , शरारत ही नहीं होती । इबादत इश्क को समझे,शिकायत हो ना इक दूजे। मुहब्बत में वहां यारों , सियासत ही नहीं होती। जहाँ दो प्यार करते दिल,दो तन इक जान हो जाये खुदा जाने बड़ी इससे , इनायत ही नहीं होती। करी माँ बाप की सेवा, खुशी दामन भरे उनके। बड़ी इससे कभी कोई , इबादत ही नहीं होती। हया आँखों में थोड़ी हो,जरा हो चाल गजनी सी। लबों मुस्कान हो ऐसी नज़ाकत ही नहीं होती। मुहब्बत पास इतनी हो,मगर कुछ बंदिशें भी हो। सम्हाले किस तरह दिल को,हिफ़ाज़त ही नहीं होती। बिखर जाये मुहब्बत जब,बसा घर भी बिखर जाये। तमन्ना हो ना जीने की ,कयामत ही नहीं होती। नज़ारत=ताजगी लियाकत=योग्यता,शालिनता ग़ज़ल