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Md Tasleem Khan सरवर
(जब कभी फुर्सत मिले) घर की ज़िम्मेदारी से। किचन की कारोबारी से । जो भी काम ज़रूरी हो । निपटा के बारी बारी से । जब कभी फुर्सत मिले। हर आरज़ू ख्वाहिशात से। जिस्मानी नफसियात से । हमराह की हर बात से । अजीज़ों की मुलाक़ात से। जब कभी फुर्सत मिले। तुमको उसके प्यार से । उस प्यार के इज़हार से । लिबासों के अंबार से ज़ेवर ओ सिंगार से जब कभी फुर्सत मिले। ज़िन्दगी के सफ़र में। रात में या सहर में। दिन के किसी पहर में। जब कभी फुर्सत मिले। रंज ओ ग़म के मलाल में। किसी ख्वाब में ख्याल में। जवाब हो या सवाल में । एक माह में एक साल में। जब कभी फुर्सत मिले । हाय ! ये अफसोस कि उनको अब फुर्सत मिले। ये सच नही ये झूट है उनको अब मुहब्बत नहीं। तसलीम सरवर ©Md Tasleem Khan सरवर #nojoto #hindi #article # #Dark
shivam
राम हमारे हैं , उनके विचार हमारे हैं ।। ऐसे कलयुग के दौर मैं कैसे उतारें श्री राम को जीवन में सब इसी बात के मारे हैं ।। #Dussehra #nojoto #hindi
Internet Jockey
रावण को मारने निकलेंगे आज कई लोग बिना राम बने ©Internet Jockey #Dussehra रावण को मारने निकलेंगे आज कई लोग बिना राम बने dussehra quotes in hindi
रामाश्रित
🙏अंहकार का रावण है, मेरे अंदर🙏 रावण सी विद्या, बल तो नही 🚩रावण सा क्रोध है ,मेरे अंदर रावण सी ,सम्पति तो नही,पर 🚩सत्ता का भाव है, मेरे अंदर 🚩रावण सा वैर, तो नही राम से पर रावण सी तमन्ना है, 🙏श्री राम मिलन, की मेरे अंदर🙏 #Dussehra #nojoto hindi#रामाश्रित
Ashu
फूंक तो दिया रावण को तुमने पर तुम्हारे अंदर की बुराई का क्या?????????? #raavan #hindi #vichar #dussehra
Megi Asnnani
Articles in Kutchh Mitra part 2 ©Megi Asnnani Article in Kutchh Mitra part 2
Mohit Baranwal
#OpenPoetry Words are very critical things, it can be boon or torment of hell for someone ready new article on my writing blog "words" link in bio. #words
ajatshatru
रावण हर बार मुझे कफ़न से जगाया जाता है फिर, नये रंगों मे समेट सजाया जाता है खड़ा हर चौराहे पर आते-जाते नित नई भीड़ देखता हूँ, फिर!वही लोग, वही सोच अपने सामने खड़े देखता हूँ भीड़ मे खड़े लोग कथित ‘युगपुरुष’ की जयकार लगाते हैं । ‘रावण’ है मेरा नाम अपने बच्चों को बताते है कोसते हैं, मेरे दुष्कृत्य बताते है। फिर, कोई राम का ढोंग कर मेरे बुत को जला जाता है, हर साल ये ही तो मजमा मेरा इतिहास दोहराता है। भीड़ मे खड़ा जब हर पल ताक रहा होता हूँ मैं, हर दुसरे मे मेरा प्रतिबिम्ब बन झाँक रहा होता हूँ मैं। हँसता हूँ अन्दर मैं ये कैसी माया है, आज मेरा साया ही देखो मुझको जलाने आया है। यहाँ हर पल जागता ‘रावण’ ना जाने कितनी सीता हर लाता है, नित नए चेहरे बना-बना के जाने,कितनो को ठग आता है। जहाँ मज़हब के नामोँ पर ख़ून की होली सी छिड़ जाती है, रंग बदलती ‘राजनीति’ लंका मे ढल जाती है। ‘कुम्भकरण’ सी सोती इंसानीयत एक आडम्बर सा करती है, आँख बंदकर अपने सोए अरमानों को कुचलती है। जहाँ ‘धर्म के ठेकेदारों’ को पलकों पे बिठाया जाता है, घर मे रहती ‘लक्ष्मी’ को अंगारों में जलाया जाता है। तो ! किसके दिए हक़ से तुम मुझ को कोसते जाते हो, क्या तुम में कोई ‘राम’ है क्या जो, मुझको जलाए जाते हो । -: अजातशत्रु #विजयदशमी की शुभकामनाएं #dussehra#ravana#rama#hindi#sahitya