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pandeysakshi
कहते हैं पहनती कपड़े खराब इसलिए हम रेप करते जनाब पर तीन साल की बच्ची क्या पहने सारी ये तु ही बता हैवानियत के पुजारी #हैवानियत_का_अंत_कब_होगा #हैवानियत #justice #justicefortwinkle #pandeysakshi
Aniket
हैवानों की संख्या बढ़ती जा रही है, और इंसानियत कहीं खोती जा रही है। #हैवानियत_का_अंत_कब_होगा #इंसानियत_भूलता_इंसान
Aniket
हैवानियत की सारी हदें पार करने वाले जालिमों कानून से नहीं तो कम से कम ख़ुदा से डरो। 😠😠😠 ©Aniket ✍️ ✍️✍️ #हैवानियत_का_अंत_कब_होगा #Irreplaceble
Ekta Gour
दौर ही ऐसा चल रहा है कोई उसे गलत नजर से देख रहा है लड़कीया का अकेले निकला भारी पड रहा है बच्चीयो का बचपन छिंड रहा है कोई हैवानियत दिखा कर जिन्दा जला रहा है कोई रुह कापती है ये सुनकर आज भी डर लगता फिर कोई ऐसी माँ की बेटी उस राक्षस शिकार ना हो जाये इस डर से कही हर लडकी बिमार ना हो जाये..! #डर #हैवानियतकीहद #yqdidi #yqquotes
mau jha
उठी नजरें जब बैदेही पर, सर्वनाश हुआ उस अहंकारी का, अब कौन राम शस्त्र उठाएंगे देख हाल कलयुग की नारी का चीर बढ़ाकर द्रोपदी का बचाई थी उसने लाज कहां हैं कान्हा सुनकर बच्चीओ की चिखती आवाज... ©Mau Jha हैवानियत
J P Lodhi.
#RIPPriyankaReddy जमाना खराब है,हैवानियत का है राज। इंसान बन गया हैवान, आएगा न बाज। मचा रहा है अत्याचार,पहनने को ताज। दिखाकर हैवानियत करता अपने काज। नहीं सुरक्षित कोई ,यह है आतंकराज। मानवता की हो रही हत्या ,है गुंडाराज। अब्लाओं पे होते हमले है दुसाशन राज। हैवानों की चली आरी, इंसानों पर आज। हथियारों की धुन पर ,अपराधों की साज। बाज आएगा तब ,गिरेगी जब इस पर गाज। **हैवानियत**
J P Lodhi.
#RIPPriyankaReddy हैवानियत का है यह दौर, चारो ओर मचा है शोर। इसने मचा रखा कोहराम, जीना हो गया है हराम। छीना झपटी लूटमार, दंगे झगड़े आगजनी, यही है रोज की कहानी। हवा में घोल दिया जहर, इस से बचा न कोई शहर। सहन कर रहे होकर ख़ामोश, जगाना होगा हमको जोश। इसके के खिलाफ छेड़ो क्रांति, तभी मिटेगी यह अशांति। ***हैवानियत***
GANI KHAN
हैवानियत इंसा है तो इंसा नज़र, क्यूँ नहीं आता हैं । हैवानियत का चोला पहन,शैतान नज़र क्यूँ आता हैं।। ज़ुल्मों की काली स्याह,नफरतों से घिर। सफ़ेदपोश इंसा आख़िर, ग़ैर क्यूँ नज़र आता हैं।। जात-पांत, ऊँच-नीच,मज़हबी जुल्मों से घिरा। इंसा -इंसा के खूं का प्यासा,क्यूँ नज़र आता हैं।। मोहब्बत की फिजां में,नफरतों का ज़हर घोल। ये पाकीज़ा दिल आख़िर, ग़ैरत में क्यूँ नज़र आता हैं।। सबके दिलों में आबाद हैं, वतनपरस्ती। तो तिरंगे की आड़ में, ये हैवान क्यूँ नज़र आता है।। चाहत है सब मानस की, नैया पार लगे। तो हर क़िरदार मझधार ,में क्यूँ नज़र आता हैं।। अमनो -अमां,तरक्की की दुआ मांगने वाले। तेरे हाथों में खंजर,क्यूँ नजर आता है।। कायनात को संवारने की मिसाल देने वालें। इंसानियत तज हैवानियत, पर सवार नजर क्यूँ आता है।। है सब की ख़्वाहिश, दामन अपना पाक रहे। तो कलुषित राजनीति से घिर,वो बेदार नजर क्यूँ आता है।। 'गनी' इंसा है तो इंसा नज़र, क्यूँ नहीं आता हैं। हैवानियत का चोला पहन,शैतान नज़र क्यूँ आता हैं ©GANI KHAN # हैवानियत
Manoj chawda
एक दर्द वह साधु थे सन्यासी थे, थे ईश्वर के अनुयायी। निकले थे अपने साथी को देने अंतिम विदाई।। कॉल खड़ा था उन्हें घेरने वो थे बिल्कुल अनभिज्ञ। अपने साथी के देवगमन से वह तो वैसे थे भावभीन।। कई भेड़िए खड़े हुए थे राह रोकने के खातिर। रक्षक बन धकेला जिसने था वो बड़ा ही शातिर।। होड़ मची थी उन भेड़ियों में रक्त उनका पीने को। मानवता शर्मसार खड़ी थी जब लहू उनका गिरा तो।। धरा पर वह तड़प रहे थे, मौत से वह जूझ रहे थे। कोई बचाने उन्हें ना आया सब दूर खड़े घूर रहे थे।। दहशत में है आज मानवता यह कैसी है दानवता । लहू बहा जब संतों का तो कांपी होगी भारत मां।। *मनोज चावड़ा* हैवानियत