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Kh_Nazim

भरोशा #भरोसा #इश्क़ से #ज्यादा #यार पे था मेरा #मका #ढहने के पीछे #हाथ मेरे यार का था....! #khnazim #शायरी

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भरोसा इश्क़ से ज्यादा यार पे था
मेरा मकान ढहने के पीछे हाथ मेरे यार का था....! भरोशा


#भरोसा #इश्क़ से #ज्यादा #यार पे था
मेरा #मका #ढहने के पीछे #हाथ मेरे यार का था....!
#khnazim

Nagvendra Sharma( Raghu)

#ritu_writer #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #nagvendracollab #nagvendrasharma #Motivation Collaborating with Ritu Bharadwaj Sharma मकान #इरादे

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मकान ढहे तो गम नहीं, ख्वाब नहीं ढहने चाहिये,
नींव कमजोर है तो गम नहीं, इरादे मजबुत होने चाहिये ..।। #ritu_writer #yqbaba #yqdidi  #YourQuoteAndMine #nagvendracollab #nagvendrasharma #motivation
Collaborating with Ritu Bharadwaj Sharma
मकान

Rukhsar Khanam

#UskePeechhe #मोहब्बत की इमारत को हम ढहने नही देगे, मोहब्बत की बगीया को हम उजड़ने नही देगे, रौशन रहेगी हमारी भी मोहब्बत ताजमहल की तरह, अपनी

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मोहब्बत की इमारत को हम ढहने नही देगे,
मोहब्बत की बगीया को हम उजड़ने नही देगे,
रौशन रहेगी हमारी भी मोहब्बत ताजमहल की तरह,
अपनी मोहब्बत को हम किसी की नजर लगने नही देंगे..!!
✍️मेरे अल्फाज़✍️

©Rukhsar Khanam #UskePeechhe 
#मोहब्बत की इमारत को हम ढहने नही देगे,
मोहब्बत की बगीया को हम उजड़ने नही देगे,
रौशन रहेगी हमारी भी मोहब्बत ताजमहल की तरह,
अपनी

Jazbaaatt_rlpanwar

इजहार को रहने दो बेनामी सी बहने दो दरमियानी नजदिकी कश्मकश कहने दो किले रिश्तेदारी के हैं भरभराहट सहने दो

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इजहार को रहने दो 
बेनामी सी बहने दो

दरमियानी नजदिकी
कश्मकश कहने दो

किले रिश्तेदारी के हैं
भरभराहट सहने दो

भरत सिंह

मेरे शब्द आनाकानी करते है कागज पर उतरने से, जहन में भरने से, अर्थों में

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मेरे शब्द 
आनाकानी 
करते है 
कागज पर 
उतरने से,
जहन में 
भरने से,
अर्थों में 
ढलने से ,
सपनों में 
पलने से
आंसूओं में 
घुलने से

मेरे शब्द
आनाकानी 
करते है 
चुप सा 
रहने में,
निरर्थक 
कहने में 
दीवार सा 
ढहने में 
तिरस्कार सा 
सहने में 
नाली सा 
बहने में 

मेरे शब्द 
आनाकानी 
करते है  मेरे शब्द 
आनाकानी 
करते है 
कागज पर 
उतरने से,
जहन में 
भरने से,
अर्थों में

तुषार"आदित्य"

हर बार ये लगा,बस खत्म हो गया थोड़ी ही दूर में फिर मोड़ आ गया करके भरोसा जिसको भी अपना माना दिल मे चलाया खंजर और वो चला गया उम्मीद बांध रखी #मकान #हाकिम #तूफान

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हर बार ये लगा,बस खत्म हो गया
थोड़ी ही दूर में फिर मोड़ आ गया
 
करके भरोसा जिसको भी अपना माना
दिल मे चलाया खंजर और वो चला गया

उम्मीद बांध रखी थी एक हाकिम से
एक हादसा उसे भी बीमार कर गया

बस अभी ही शाखें फिर से हरी हूई थी
तूफान एक आया,फिर सब बदल गया

बेकार हो गए सिक्के सभी हमारे
उनका फटा हुआ भी हर नोट चल गया

ढहने को चला है कच्चा सा गांव का घर
अब शहर वाला पक्का मकान बन गया हर बार ये लगा,बस खत्म हो गया
थोड़ी ही दूर में फिर मोड़ आ गया
 
करके भरोसा जिसको भी अपना माना
दिल मे चलाया खंजर और वो चला गया

उम्मीद बांध रखी

तुषार"आदित्य"

हर एक नियत बदलने में लगी है ये दुनिया तेज़ चलने में लगी है रूह अपनी किसी कोने में रखकर जिस्म से आशिक़ी होने लगी है ना जाने चल रहा है दौर कैस #बात #याद #इमारत #अर्ज़ी

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हर एक नियत बदलने में लगी है
ये दुनिया तेज़ चलने में लगी है

रूह अपनी किसी कोने में रखकर
जिस्म से आशिक़ी होने लगी है

ना जाने चल रहा है दौर कैसा
जलन बिन आग के होने लगी है

ढहने को चली है एक इमारत
तो कोई अब भी बनने में लगी है

याद रह जाती है वो बात अक्सर
हो जैसी भी मगर दिल में लगी है

क्या ईमान-धरम क्या ही वफ़ा
यहाँ हर चीज़ की बोली लगी है

क्यों हो बेचैन ज़रा सा सब्र रखो
वहाँ हर एक कि अर्ज़ी लगी है हर एक नियत बदलने में लगी है
ये दुनिया तेज़ चलने में लगी है

रूह अपनी किसी कोने में रखकर
जिस्म से आशिक़ी होने लगी है

ना जाने चल रहा है दौर कैस

अशेष_शून्य

पाषाण से कठोर पुरूष प्रेमी बन जाने पर पलाश की पंखुड़ियों से कोमल हो जाते ; जिस पर उभरती है ममत्व और वात्सल्य की किर्मीर आभा!! वहीं पंखुड़ #yqbaba #hindipoetry #yqdidi #yqaestheticthoughts #paidstory #अशेष_शून्य

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पाषाण से कठोर पुरूष 
प्रेमी बन जाने पर
पलाश की पंखुड़ियों से
कोमल हो जाते हैं ।
वहीं
पंखुड़ियों सी कोमल स्त्रियां
प्रेमिका बन जाने पर
पाषाण सी कठोर (सुदृढ़)
हो जाती हैं।।
-Anjali Rai
(शेष अनुशीर्षक में ) पाषाण से कठोर पुरूष 
प्रेमी बन जाने पर
पलाश की पंखुड़ियों से
कोमल हो जाते ;
जिस पर उभरती है ममत्व 
और वात्सल्य की किर्मीर आभा!!

वहीं पंखुड़
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