मेरा जीवन और ये दुनिया।।
मन रोता है, तन रोता है,
गर्भ में पलता बचपन रोता है।
शिशु, वृद्ध, युवा, वयस्क,
जीवन का कण कण रोता है।
कौन कहाँ कब #Poetry#Quotes#kavita#hindikavita#hindipoetry
read more
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12
।।श्री हरिः।।
7 - निष्ठा की विजय
'मैं महाशिल्पी को बलात् अवरुद्ध करने का साहस नहीं कर सकता।' स्व