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Patil MS

#निरव ते रात्र

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तुझ्या आठवणीत जेव्हा मी व्याकूळ होतो।
तुझे स्मृतीच मला सांत्वन देतात।
अंधकारात मी भरकटलो तर 
आठवांचे तुझ्या चांदनेच मला उजाळा देतात।
तू नसताना ही तुझे स्पर्श मला जाणीव देतात।
निघणारा प्रत्येक श्वास, स्पंदन म्हणून धडकत राहतात।
तू असून दूर, तुझ्या सोबतीची प्रत्येक क्षण फेर धरून नाचू लागतात।
"मी एकटा" भास की; 
तुझ्या सहवासाची ध्यास!! 
यातच रात्र-रात्र सारतात।

             पाटील एम.एस। #निरव ते रात्र

Nilam Agarwalla

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Savita Suman

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Kailash Yede

निरश #soulmate

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बिन तेरे ये जिंदगी निरश हो रही है..

आवो ना इसे छू कर पारस कर दो...

©Kailash Yede निरश 

#soulmate

meetrakshi rathore & mishu💖

#जीवन निरस

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जीवन नीरस है
निरसता से भरा है ये जीवन 
आशा का कोई संचार नहीं 
 कहने को है सब यहाँ 
पर
ईश्वर बिन कोई नहीं यहाँ  
आज इंसान को अपनो पे 
 न अपने पे विश्वास है
जीतना विश्वास उसे उसके ईश्वर पे है 
जिसे उसने कभी अपने मन के सिवा  कही देखा नहीं #जीवन निरस

अनाहत....

निरा इश्क़... #nojotophoto

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 निरा इश्क़...

Chinmay kumar Mishra

निरब प्रतीक्षा

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Rajendrakumar Jagannath Bhosale

निंव #JusticeForNikitaTomar

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आत्मनिर्भर बनो भाई
आत्मनिर्भर बनो ll धृll


अनचाह का जंजाल रुखसत करो
कल  का काम आज  ही  करो
 आज का काम अभी खत्म करो
किस्मत का भरोसा मत करोll1ll

आप की मेहनत देस के लिये हो
खुददारी की तुम सब बेमिसाल हो
देसके गरीमा के पहरे दार बनो
हरपलं मेहनत से देसकी निंव बनोll2ll

कवी राजेंद्र भोसले
8888773192

©rajendrkumar bhosale निंव

#JusticeForNikitaTomar

राजेंद्रभोसले

निव

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ये कैसी सल्तनंत हैं उन में जिंदा लाश रहती हैं।
ये कैसा इंसानियत हैं उनमे लाश जिंदा रखते हैं।
 ये कैसा बागवान हैं वो फूलोंको  मुरझाता हैं।
ये कैसा धनवान हैं काला सफेद कर रहा हैं।
ये कैसा काफिर है  वो अक्सर झुटे  वादे करता हैं।
ये कैसा बाजींदा हैं हर वार बेखाँपअपनो पर करता हैं।
ये कैसी बागदौर हैं अच्छाई के लिये लोग  पनपते हैं।
ये कैसा बाजार है उनमे जहाँ हर इमान पर डाव लगाते हैं।
ये कैसा झुंड हैं आपसमे  कौम के खातीर इक दूसरो इठरता हैं।
ये कैसी सीयासत कि दौर हैं देस को ही उजडी कर रहीं  हैं।
ये कैसा मकाम है  हम कब तक जिंदा लाश बन कर रहे। निव

Dr Rajesh दिक्सित

राजेश नीरव #coldnights #कविता

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हर असाधारण आदमी सामान्य अनुभूतियों को महसूस करता है

 शिखर पर पहुंच कर सब बच्चे हो जाते हैं
मासूम,निश्छल और नेकदिल

सारे छल-छद्म छूटते जाते हैं नीचे
ऊंचाई पर नई आभा होती है
सब क्षुद्रताओं से मुक्त होता जाता है मन क्रमशः
शिखर पर कम होती है जमीन,प्राणवायु और स्थिरता
लेकिन
उससे पहले ही तन-मन-प्राण हो जाते हैं तैयार 
कम से कमतर में जीने के लिए

कोई विलासी 
ज्यादा देर शिखर पर नहीं ठहरता

©Dr Rajesh दिक्सित राजेश नीरव

#coldnights
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