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Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Jogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light
Biikrmjet Sing
सर्ब निधान जा की दृष्टि माहे।। पूर्ब लिखे का लहना पाहे।। अर्थ- सम्पूर्ण नाम की विधि जिससे मन का बन्धनों से छुटकारा होना है! जिस गुरमुख की दृष्टि में परमात्मा डालता है यानी जिस मनरुह की दृष्टि खोलता है परमात्मा, ओर यह नाम=परमेश्वर=प्रकाश को ध्याने की दृष्टि यानी वह गुर व योगिक कला नेत्रों से निराकार को देखने व निहारने की वही लेता है जिसकी पहले जन्मो में इतनी भगती व गोबिंद मिलन की तड़प हो, वही लहना यानी लेने वाला यानी ऐसे नाम को लेने वाला परमात्मा से गुरमुखों द्वारा बनता है।। ©Biikrmjet Sing #दृष्टि
kapil
"भाई स्वैग तो कबीर दास जी का था जब तक जिये संस्थागत धर्मों की धुनाई की और जब मरे तो इनके शरीर के लिए वही धार्मिक आपस में लड़ रहे थे।" "कबीरा खड़ा बाज़ार में मांगे सब की ख़ैर ना भक्तन से दोस्ती ना चमचन से बैर" #कठोर_Liberal ©kapil #दृष्टि
अविरल अनुभूति
हम आधा ही देखते है, आधा सुनते है, आधा समझते है और आधा ही जीते है, हमारी दृष्टि सदा अपूर्ण ही रहती है। पूर्ण मिदम🥰🙏🪷 ©अविरल अनुभूति दृष्टि
HP
दृष्टियाँ दो होती है-एक सत् दूसरी असत्। सत् दृष्टि वह है जो भावनाओं में सुख दुःख को समझती है और अपने अन्दर तथा दूसरों से सद्भाव बढ़ाने में सुख सन्तोष देखती है। असत् दृष्टि वह है जो वस्तुओं, धन, सौंदर्य, वैभव, भोग, ऐश्वर्य में आनन्द खोजती है। अखंड ज्योति दृष्टि
Manmohan Dheer
खड़े रहोगे तो सब चुप रहेंगे न संभले तो चिल्ला भी सकते हैं कोसने लगेंगे अगर गिर गए तो सब तैयार हैं इन सबके लिए सबका काम ही है सबकुछ देखना देखना कि सब बस ठीक से रहे ये आपसी इंतजाम है हमारा सभी सबको देख रहे हैं मैं भी तुम्हें देख रहा हूँ दृष्टि
Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ