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Manmohan Dheer

नैराश्य

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नैराश्य कारण मूल हुआ विनाश का
हर विवेक दृश्य हुआ सर्वनाश का
प्रतीक चित्र जो देखते हो तुम यहाँ
कुछ ऐसा ही आक्रमण इस पाश का
.
धीर नैराश्य

Amol Kunure

नैराश्य #Starss #मराठीकविता

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एक पश्चातापदग्ध प्रेतात्मा
विषण्ण मनाने खिन्न हसला;
मूक प्रेतयात्रने बिनधास्त 
त्याकडेही काना डोळा केला.

नित्यनवा नि:स्तब्ध यक्षप्रश्न
काळजावर उमटत गेला;
श्वापदांचा हिंस्त्र आक्रोश,
स्वप्नसुखांना डसून विरला.

नैराश्येच्या खोल गर्तेत
चैतन्याचा तोल गेला ;
प्रयत्नांचा संसार सारा 
अर्थपायी फोल ठरला.

गलितगात्र आशा दुबळी 
ष्ंढत्वाचे अमृत प्याली;
उसवलेल्या भाळावरती 
जिद्दरेषा कत्तल झाली
   - इंद्रधनु

©Amol Kunure नैराश्य 

#Starss

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

कागज तो होता बस बेजान सा ,
जान तो उसमें शब्द डालते हैं ,

शब्दों के लिखते ही , बिखर जाती हैं एक खुशबू ,
यादों की , वादों की , अहसासों की ,

पढते ही शब्द सब कुछ चलचित्र सा चलने लगता हैं ,
आँखों के सामने एक अहसास सा ,

शब्दों से बनती जाती रचनाएं ,
हर एक के मन की उथल - पुथल की ,

वो बातें जो हम कहने मे होते हैं असर्मथ ,
पुर जाती हैं माला सी वो शब्दों के जरिए ,

भावों को वय्क्त करते शब्द ,
कोरे कागज पर रंग बिखरते शब्द ।

©Ankur Raaz #शब्दो #की #शक्ति

#शब्द

Parasram Arora

वैराग्य........

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कोल्हू  का  बैल 
अपनी नियति पर  कुपित  नहीं   बल्कि  आभारी हैँ 
क्योंकि   वो  गांधारी  की  तरह  बंद  आँखों  से 
वृताकार  कोल्हू क़े  क्षेत्रफल  मे 
भीतरी  आँख से  उसे  देख  चुका हैँ   जो  उसे  चलाये  जा रहा हैँ 
कदाचित  शून्यता  क़े इस   विस्तीर्ण पथ पर  उसे 
वैराग्य  की   अनुभूति   हो रही  हैँ 
जो उसके लिए  उस  पार  का  मार्ग  प्रशस्त  कर रही हैँ वैराग्य........

AMIT

कैसी ये तेरी माया है..
            कैसे ये तेरे बंधन है..!
जब तक ये सांसे चलती है..
            बंदा करता केवल धन-धन है..!
जिसने कर ली दुनिया मुट्ठी में..
             तेरे द्वार पे वो भी निर्धन है..!
जिस पर इतराते फिरते हैं..
              मिट्टी का केवल यह तन है..!
सब तेरी कराई करते हैं..
              अपने बस में किस का मन है..!
क्या पाप-पुण्य..क्या सत्य कर्म..
               तू सबको दिखाता दर्पण है..!!
-------अमित #वैराग्य

Manmohan Dheer

वैराग्य

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वैराग्य मनःस्थिति है 
संशयों पर विजय है
दर्शन गूढ़ समझना ही
पीड़ाओं पर जय है
. वैराग्य
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