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Vivek

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Jyotshna 24

मुझे सियासत से ,
भ्रष्टाचार की बू आती हैं । #भ्रष्टाचार#ज्योत्सना#

Jyotshna 24

हम चाहकर भी
तुम्हारे लिए, सोचना 
कभी बंद नहीं कर सकते
और
तुम चाहकर भी, हमारे
लिए कभी सोच नहीं सकते । #चाहकरभी#ज्योत्सना#

SURAJ आफताबी

मक्तल- जहाँ कत्ल किया जाता है मक्तूल - जिसका कत्ल किया जाये फुवाद - दिल ज्योत्सना- चाँदनी #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #yqhindiurdu shayari # #Zindagi #surajaaftabi

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ये   कौनसे    मक्तल   मे    मक्तूल     फुवाद     मेरा  हो  गया
कफ़स मे है ज्योत्सना और नजराना "आफताब" हो गया!! मक्तल- जहाँ कत्ल किया जाता है
मक्तूल - जिसका कत्ल किया जाये
फुवाद - दिल
ज्योत्सना- चाँदनी
#yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #yqhindiurdu #shayari #

SURAJ आफताबी

बताओ आओगी ना कविता..🙏🙏 काशीवास- मृत्यु लुब्ध- आसक्त, आकर्षित या मोहित आबंध - गाँठ उपालंभ- गिले-शिकवे #Zindagi #Deepthoughts #yqdidi #yqhindi #कविताएँज़िंदारहतीहैं #surajaaftabi

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गर   कभी   श्वाँसों   की   गति   मेरी   अवरुद्ध  होगी
देह  मेरी  जर्जर  व  काशीवास  की ओर लुब्ध  होगी
तुम  सारे  आबंध  खोल, सारे  उपालंभ  समय  के  पीछे  छोड़
गोद में रख सर मेरा अंतिम बार फिरसे मस्तक सहलाओगी ना
मैं  रोक  लूँगा  नजरों को तेरे रस्ते में मगर बताओ आओगी ना

जब    सूरज   की    किरणें   मेरे   प्राणों   से   क्षुब्ध  होगी
मृगांक की ज्योत्सना भी मेरी विदाई पर अत्यंत मुग्ध होगी
मेरे सारे प्रणय आँसूओं में भर, स्वयं के प्रण सारे मोम-से पिघला कर
गीत  वही  पुराना अपने होंठों से गा अंतिम बार फिरसे सुलाओगी ना
मैं  रोक  लूँगा  मँद  साँसों  को तेरे सदके में मगर बताओ आओगी ना

अंत में जब अक्रिय देह पंडित-पुरोहितों के मंत्रों से शुद्ध होगी
पंचतत्व  होंगे  माटी  में  विलीन  और  आत्मा स्वयं बुद्ध होगी
तुम  तोड़  अपना मौन  इक अंतिम बार फिरसे "आफताब" बुलाओगी ना
मैं मुस्काते हुये तुम्हारे स्पर्श से हो जाऊँगा विदा मगर बताओ आओगी ना बताओ आओगी ना

कविता..🙏🙏

काशीवास- मृत्यु
लुब्ध- आसक्त, आकर्षित या मोहित
आबंध - गाँठ 
उपालंभ- गिले-शिकवे

Jyotshna 24

आईने के इस पार एक चेहरा आईने के उस पार एक चेहरा दोनों खड़े हैं सामने एक दुसरे को ताक़ता है चेहरा एक चुप है तो दुसरा ख़ामोश है चेहरा

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 आईने के इस पार एक चेहरा 
आईने के उस पार एक चेहरा 

दोनों खड़े हैं सामने 
एक दुसरे को ताक़ता है चेहरा 

एक चुप है 
तो दुसरा ख़ामोश है चेहरा

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 7 - शरीर अनित्य है लोग पागल कहते हैं वैद्यराज चिन्तामणिजी को, यद्यपि सबको यह स्वीका

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
7 - शरीर अनित्य है

लोग पागल कहते हैं वैद्यराज चिन्तामणिजी को, यद्यपि सबको यह स्वीका
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