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"👉Manveer Poet👈"
सुरक्षित ________ लेखक__ मनवीर पोएट अनुवाद__ राजिंदर biala आप.. कहां तक अपने आप को सुरक्षित समझेंगे जब बैंकों में पड़ा नकद भी सुरक्षित नहीं लॉकर में पड़े आभूषण भी सुरक्षित नहीं देश की सीमाएं भी सुरक्षित नहीं खराद की मशीन चलाने वाला मजदूर सुरक्षित नहीं होता.. हथौड़ों की मार अपने बदन पर सहन करने वाला लोहा भी सुरक्षित नहीं होता.. फ़िर आप.. कहां तक अपने आप को सुरक्षित समझोगे.. जबकि हथियार बंद अंग रक्षिक भी सुरक्षित नहीं होता.. अपनी निपुंसिक्ता/ चतुराई को छुपाने के लिए बनाए बड़े क़िले भी सुरक्षित नहीं होते.. सत्य को दबाना और असत्य का झंडा फहराने को भी लम्बे समय तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता.. आप कब तक अपने आप को सुरक्षित समझेंगे.. सुरक्षित तो सिर्फ़ अक्षिर हैं जो लिखे जाते हैं खुली कलम से खुले आसमान के नीचे बिना किसी रुकावट के जो पढ़े जाते हैं सदियों तक.. सिर्फ़ अल्फ़ाज़ ही तो हैं जो सुरक्षित हैं.. सिर्फ़ अल्फ़ाज़.. #SilentWaves सुरक्षित लेखक- मनवीर पोएट अनुवाद- राजिंदर बिलाल
Azaad Pooran Singh Rajawat
अंधेरी रात का आसमान भी अच्छा लगता है चांद ना सही तो क्या सितारों का सौंदर्य भी सुहाना लगता है रात ना होती तो राहत ना होती सुकून भरी नींद ना होती मधुर मधुर स्वप्न ना होते दिन ना होता तो चाहत ना होती बिन चाहत के न कर्म होता, न प्रीत होती ©Azaad Pooran Singh Rajawat #मधुर मधुर स्वप्न ना होते#
Pradyumn awsthi
जीवन का सबसे मधुर,आनंददायक,यादगार और सबसे ज्यादा खुशी देने वाला समय - बचपन,बचपन की यादें और नानी दादी की वो मजेदार कहानियां जिनको सुनकर मन आनंद की मस्ती में झूम उठता था ©"pradyuman awasthi" #मधुर बाल्यावस्था
Parasram Arora
क्या ये जरूरी है क़ि मखमली गद्दों पर सोने वालों को ही हक मिले मधुर स्वप्न देखने का? और क्या ये जरूरी है क़ि वे जो नंगी ज़मीन पर सोने वाले अभावग्रस्त बेघर लोग मधुर स्वप्न. देखने की गलती कर बैठें तो क्या उनके लिए कोई सख़्त सज़ा का प्रावधान होना चाहिए? ©Parasram Arora # मधुर स्वप्न
Parasram Arora
मीठी थीं ज़ो स्मृतिया अचानक एक दिन कढ़वड़ाहट से भर गईं थी. पर ये तो शोध का विषय था कदाचित सहेजी गयी इन मधुर मीठी स्मृतियों की श्रखला में कुछ कड़वी अनुभूतियों की कोशिकाये उछल कर भावुक ह्रदय की सख्त कुण्डीयों को खोल कर उन सन्दरभों का सन्देश दे रही थी ज़ो कुछ बचपन कुछ यौवन काल. की उपलब्धियों से संबंधित थी जिन्हे वो उन क्षणों को पुनः जीने क़े लीए छटपटा रही थी ©Parasram Arora मधुर स्मृतिया.....
Vikas Sharma Shivaaya'
तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुं ओर। बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर। तुलसीदास जी कहते हैं कि मधुर वाणी सभी ओर सुख का वातावरण पैदा करती हैं, यह हर किसी को अपनी और सम्मोहित करने का यही एक कारगर मंत्र है इसलिए हमें कटु वाणी त्याग कर मधुरता से बातचीत करना चाहिए। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' मधुर वाणी