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New धर्मराज युधिष्ठिर Quotes, Status, Photo, Video

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Manish Kumar

धर्मराज युधिष्ठिर सा बनना, बच्चों का ये काम नहीं।
सामर्थ्यवान होकर धीरज धरना, साधारण ये काम नहीं।। #धर्मराज 
#युधिष्ठिर 
#twoliners 
#yqdidi
#yqbaba
#yqbhaijan

Collaborating with  Shaifali Sharma

N S Yadav GoldMine

#Aurora राजन। इस प्रकार बहुत विलाप करके धर्मराज युधिष्ठिर फूट-फूट कर रोने लगे पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷 महाभारत: स्‍त्री पर्व सप्त़विंष अध्याय: श् #पौराणिककथा

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Shikha Mishra

स्त्रियां ठगी जाती रही हैं हमेशा से, सतयुग से, इतिहास बताता है कि अतीत में कैसे उन्हें छला गया, पति के बदले हर बार उन्हें बलि वेदी पर चढ़ #yqdidi #yqhindi #Patriarchy #जानकीनवमी #स्त्री_का_स्थान #MithilaSpecial

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//स्त्री//

चीर हरण द्रौपदी का हुआ
और धर्मराज युधिष्ठिर कहलाए।
अग्नि में सिया को उतारा गया
फिर भी इक धोबी के नाम से
उन्हें ठुकराया गया,
माता सीता ने पतिव्रता के 
सारे धर्म निभाएं, और
मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहलाए।
 स्त्रियां ठगी जाती रही हैं
हमेशा से, सतयुग से,
इतिहास बताता है
कि अतीत में 
कैसे उन्हें छला गया,
पति के बदले 
हर बार उन्हें 
बलि वेदी पर चढ़

N S Yadav GoldMine

#humanrights अब तो मैं केवल कर्ण के ही शोक में डूब गया हूं और इस तहर जल रहा हूं पढ़िए महाभारत !! 🌅 महाभारत: स्‍त्री पर्व :- सप्त़विंष अध्य #पौराणिककथा

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sushma Nayyar

भरी सभा कायरों की देखती रही मूक , वधिर बनकर मरती रही एक अबला ध्युत की बलि चढ़कर वीर जो कहलाते थे, रक्त उनकी धमनियों का सो गया लज्जित हुई मान

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भरी सभा कायरों की देखती रही  मूक  वधिर बनकर
मरती रही एक अबला ध्युत की बलि चढ़कर
वीर जो कहलाते थे, रक्त उनकी धमनियों का सो गया
लज्जित हुई मानवता, अबला का सौदा जुए पर हो गया 
कैसे थे धर्मराज युधिष्ठिर और कैसी थी उनकी धर्म रक्षा
हो जाती यदि निर्वस्त्र द्रौपदी तो फिर कौन सा धर्म माफ उनको करता
कायरों की उस सभा में, सिर्फ एक ही थी सिंहनी
अबला होते हुए भी जो सबला की भांति थी लड़ी
पांच कायरों की, सशक्त भार्या द्रौपदी
सिर झुका कर बैठे रहे कायर और अपमानित वो होती रही
तीव्र इतनी पुकार थी उसकी कि बांसुरी वाले को आना पड़ा
बच गई लाज मानवता की, कर्जदायी है इतिहास द्रौपदी का बड़ा ।।
 
        _____सुषमा नैय्यर भरी सभा कायरों की देखती रही मूक , वधिर बनकर
मरती रही एक अबला ध्युत की बलि चढ़कर
वीर जो कहलाते थे, रक्त उनकी धमनियों का सो गया
लज्जित हुई मान

Poonita Sharma

ये नववर्ष हमें स्वीकार नहीं,,,, "श्री रामधारी सिंह दिनकर " जी की कविता,,,,, यह नववर्ष भारतवर्ष पर गुलामी की छाप है,, हमारे एक दिग्गज प्रधानम #WritersMotive

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