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Ravi Shankar Kumar Akela
दुनिया की क्या परिभाषा है? दुनिया यदपि अरबी शब्द है परन्तु हिन्दी में धड्ल्ले से प्रयोग होता है। यह एक संज्ञा शब्द है तथा स्त्रीलिंग में प्रयुक्त होता है। इसके समानार्थक शब्द हैं जगत ; संसार ; आलम, जीव समष्टि, पृथ्वी तथा ब्रह्माण्ड आदि के लिये प्रयुक्त होता है। वस्तुत: दुनिया: इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों; जिनमें मनुष्य भी शामिल है को मिलाकर इस ग्रह की कुल प्राकृति दुनिया कहलाती है। दुनिया शब्द संसार का पर्यायवाची है। दुनिया का अर्थ संसार से ही है तथापि दोनों में भिन्नता है। संसरति इति संसार: 'संसरति इति संसारः'—अर्थात जो लगातार गतिशील है, वही संसार है। भारतीय चिंतनधारा में जीव, जगत और ब्रहम पर पर्याप्त विचार किया गया है। संसार का सामान्य अर्थ विश्व, इहलोक, जीवन का जंजाल, गृहस्थी, घर-संसार, दृश्य जगत आदि है। वस्तुत: संसार के अर्थ में कर्म व पुनर्जन्म की अवधारणा है। किन्तु दुनिया शब्द मे ऐसा नहीं है क्योंकि वे लोग अरबी लोग कर्म व पुनर्जन्म मेम विश्वस नहीं करते हैं। यहूदी और उनसे निकले धर्म पुनर्जन्म की धारणा को नहीं मानते। मरने के बाद सभी कयामत के दिन जगाए जाएंगे अर्थात तब उनके अच्छे और बुरे कर्मों पर न्याय होगा। ©Ravi Shankar Kumar Akela #chandrayaan3 दुनिया की क्या परिभाषा है? दुनिया यदपि अरबी शब्द है परन्तु हिन्दी में धड्ल्ले से प्रयोग होता है। यह एक संज्ञा शब्द है तथा स्त
Mokshada mishra
mohabbat ki ahat ko aur ishq ki likhawat ko badal pana aasan nahi hai ae dost ज़रा सी समझ की फेर में अर्थ का अनर्थ कर देती हैं । कलम with mishraji ©Mokshada mishra अर्थ का अनर्थ #Morning
Rahul Shastri worldcitizens2121
Safar July 10,2019 सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। ओशो सत्संग का अर्थ
Aman Baranwal
मिट्टी का जिस्म और आग सी ख्वाहिशें, खाक होना लाजमी है, क्योंकि आदमी आखिर आदमी है! जीवन का अर्थ
divya...
इश्क़ आज भी है मगर राधा- कृष्ण जैसा नहीं ... होगे एक - आध भी उनके जैसे अगर... तो उनको चैन का जीवन नहीं... लोगो को प्रेम का हर दस्तूर झुटा लगता है... क्योंकि उन्होंने कभी किसी से .... सच्चा प्रेम किया ही नहीं... प्रेम का अर्थ...
Kumar Gunjan
"सफलता" कभी भी अर्थ शिक्षा, पद या गरिमा द्वारा निर्धारित नहीं की जा सकती सफलता एक संतुष्टि हैं, जिसे आप निर्धारित करते है। सफलता का अर्थ
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
जीवन का अर्थ ..........…........... इस पृथ्वी पर मानव आता है, जीता है,चला जाता है। लेकिन जीने का अर्थ कम ही लोग समझ पाते हैं। जिस जीवन में दया,क्षमा,परोपकार न हो उसका कोई अर्थ नहीं होता।त्याग भी जीवन का एक अभिन्न अंग है। लेकिन समय, काल और परिस्थिति के अनुसार कब किसका त्याग करना उचित होगा इसका भी ज्ञान होना बहुत जरूरी है। सुमार्ग पर चलना,कल्याणकारी काम करना ही जीवन का अर्थ होता है। ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।) # जीवन का अर्थ।