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Parasram Arora

कल तक मै था
आज नहीं हूँ
कोई था   अच्छा सा  नाम था उसका
लोग इसी डंग से याद कर लेंगे मुझे
और मेरे लिए ये भी  क्या कम है
कि मै याद किया गया हूँ
किसी क़ो मै याद नहीं...कोई  जानता भी नहीं 
कि क्या मैंने पाया और क्या कुछ खोया था
और कैसे मै जी पाया था इस असंवेदनशिल संसार मे
बस इतिहास के किसी पृष्ठ केंकोने पऱ  मै
लिखा हुआ रह जाऊंगा
"कि कोई  था यहां  जो  आज नहीं है "

©Parasram Arora "कल तक था जो  आज नहीं है "

"कल तक था जो आज नहीं है " #कविता

9 Love

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The Manjeet

कल तक जो  गुन्हेगार लगता था 
आज वफादार लगता है 
और जो ख्याल रखता था  
वो अब  सवाल लगता है...


#TheMj कल तक

कल तक #अनुभव #TheMJ

13 Love

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M.Alam. Ansari

कल तक

कल तक #Shayari

110 Views

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Motivation Mystery

जब तक जीतेंगे नहीं तब तक छोडे़ंगे नही...!

जब तक जीतेंगे नहीं तब तक छोडे़ंगे नही...! #प्रेरक

66 Views

1b3b2da041bcfff5d55c1b61f4b20167

रविन्द्र 'गुल' ek shayar

कल पर कब तक...

कल पर कब तक... #शायरी

1,233 Views

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TEJPAL

कल से आज तक
पोस्ट पूरी पढ़िएगा जरूर आनंद आएगा।

2022 से 1970 के दशक अर्थात बचपन की तरफ़ जो 50 को पार कर गये हैं या करीब हैं उनके लिए यह खास है।

मेरा मानना है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है हमारे बाद की किसी पीढ़ी को "शायद ही " इतने बदलाव देख पाना संभव हो
🤔🤔

हम वो आखिरी पीढ़ी हैं जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखे हैं। बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और "वर्चुअल मीटिंग जैसी" असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को सम्भव होते हुए देखा है।

🙏🏻 हम वो पीढ़ी हैं
 
जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं हैं। ज़मीन पर बैठकर खाना खाया है। प्लेट में डाल डाल कर चाय पी है।

🙏 हम  वो " लोग " हैं ?*l

जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल , खेले हैं ।

🙏हम आखरी पीढ़ी  के वो लोग हैं ?

 जिन्होंने चांदनी रात में डीबरी, लालटेन या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और दिन के उजाले में चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं।

🙏हम वही  पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात खतों में आदान प्रदान किये हैं और उन ख़तो के पहुंचने और जवाब के वापस आने में महीनों तक इंतजार किया है।

🙏हम उसी  आखरी पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही  बचपन गुज़ारा है। और बिजली के बिना भी गुज़ारा किया है।

🙏हम वो  आखरी लोग हैं ?

जो अक्सर अपने छोटे बालों में सरसों का ज्यादा तेल लगा कर स्कूल और शादियों में जाया करते थे।

🙏हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी किताबें, कपडे और हाथ काले-नीले किये है। तख़्ती पर सेठे की क़लम से लिखा है और तख़्ती धोई है।

🙏हम वो आखरी लोग हैं ?

जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है और घर में शिकायत करने पर फिर मार खाई है।

🙏हम वो  आखरी लोग हैं ?

जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर नुक्कड़ से भाग कर घर आ जाया करते थे। और समाज के बड़े बूढों की इज़्ज़त डरने की हद तक करते थे।

🙏 हम वो  आखरी लोग हैं ?

जिन्होंने अपने स्कूल के सफ़ेद केनवास शूज़ पर खड़िया का पेस्ट लगा कर चमकाया है!

🙏हम वो आखरी लोग हैं

जिन्होंने गुड़  की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है और कभी कभी तो नमक से या लकड़ी के कोयले से दांत साफ किए हैं।

🙏हम निश्चित ही वो लोग हैं

जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो, बिनाका गीत माला और हवा महल जैसे प्रोग्राम पूरी शिद्दत से सुने हैं।

🙏हम वो  आखरी लोग हैं
 
जब हम सब शाम होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते थे।

उसके बाद सफ़ेद चादरें बिछा कर सोते थे।

एक स्टैंड वाला पंखा सब को हवा के लिए हुआ करता था।
 
सुबह सूरज निकलने के बाद भी ढीठ बने सोते रहते थे।

वो सब दौर बीत गया। चादरें अब नहीं बिछा करतीं।

डब्बों जैसे कमरों में कूलर, एसी के सामने रात होती है, दिन गुज़रते हैं।

🙏हम वो  आखरी पीढ़ी के लोग हैं

जिन्होने वो खूबसूरत रिश्ते और उनकी मिठास बांटने वाले लोग देखे हैं, जो लगातार कम होते चले गए।
 
अब तो लोग जितना पढ़ लिख रहे हैं, उतना ही खुदगर्ज़ी, बेमुरव्वती, अनिश्चितता, अकेलेपन, व निराशा में खोते जा रहे हैं।
 
और

🙏हम वो  खुशनसीब लोग हैं, जिन्होंने रिश्तों की मिठास महसूस की है...!!

🙏 और हम इस दुनियाँ के वो लोग भी हैं जिन्होंने एक ऐसा "अविश्वसनीय सा"  लगने वाला  नजारा देखा है।

आज के इस करोना काल में परिवारिक रिश्तेदारों (बहुत से पति-पत्नी , बाप - बेटा ,भाई - बहन आदि ) को एक दूसरे को छूने से डरते हुए भी देखा है।

 🙏 पारिवारिक रिश्तेदारों की तो बात ही क्या करे खुद आदमी को अपने ही हाथ से अपनी ही नाक और मुंह को छूने से डरते हुए भी देखा है।

 🙏 " अर्थी " को बिना चार कंधों के श्मशान घाट पर जाते हुए भी देखा है।

"पार्थिव शरीर" को दूर से ही  "अग्नि दाग" लगाते हुए भी देखा है।🙏

🙏हम आज के भारत की एकमात्र वह पीढी हैं जिसने अपने " माँ-बाप "की बात भी मानी और " बच्चों " की भी मान रहे है।

🙏 शादी में (buffet) खाने में वो आनंद नहीं जो पंगत में आता था  जैसे....

सब्जी देने वाले को गाइड करना, हिला के दे या तरी तरी देना!

.👉  उँगलियों के इशारे से 2 लड्डू और गुलाब जामुन, काजू कतली लेना

.👉 पूडी छाँट छाँट के और गरम गरम लेना !

👉 पीछे वाली पंगत में झांक के देखना क्या क्या आ गया, अपने इधर क्या बाकी है और जो बाकी है उसके लिए आवाज लगाना

👉 पास वाले रिश्तेदार के पत्तल में जबरदस्ती पूडी 🍪 रखवाना!

.👉 रायते वाले को दूर से आता देखकर फटाफट रायते का दोना पीना ।

.👉 पहले वाली पंगत कितनी देर में उठेगी उसके हिसाब से बैठने की पोजीशन बनाना।

.👉 और आखिर में पानी वाले को खोजना।
 😜 
..............
*एक बात बोलूँ इंकार मत करना दोस्तो, ये मैसेज जितने मर्जी लोगों को भेजना क्योंकि जो इस मैसेज को पढेगा, उसको उसका बचपन जरुर याद  आयेगा. वो आपकी वजह से अपने बचपन में चला जाएगा , चाहे कुछ देर के लिए ही सही।*
*और ये आपकी तरफ से उसको सबसे अच्छा गिफ्ट होगा.*

©TEJPAL
  कल से आज तक

कल से आज तक #ज़िन्दगी

37 Views

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Saurabh Singh

#कल तक सीसा थे....

#कल तक सीसा थे....

70 Views

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TEJPAL

कल से आज तक
पोस्ट पूरी पढ़िएगा जरूर आनंद आएगा।

2022 से 1970 के दशक अर्थात बचपन की तरफ़ जो 50 को पार कर गये हैं या करीब हैं उनके लिए यह खास है।

मेरा मानना है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है हमारे बाद की किसी पीढ़ी को "शायद ही " इतने बदलाव देख पाना संभव हो
🤔🤔

हम वो आखिरी पीढ़ी हैं जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखे हैं। बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और "वर्चुअल मीटिंग जैसी" असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को सम्भव होते हुए देखा है।

🙏🏻 हम वो पीढ़ी हैं
 
जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं हैं। ज़मीन पर बैठकर खाना खाया है। प्लेट में डाल डाल कर चाय पी है।

🙏 हम  वो " लोग " हैं ?*l

जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल , खेले हैं ।

🙏हम आखरी पीढ़ी  के वो लोग हैं ?

 जिन्होंने चांदनी रात में डीबरी, लालटेन या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और दिन के उजाले में चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं।

🙏हम वही  पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात खतों में आदान प्रदान किये हैं और उन ख़तो के पहुंचने और जवाब के वापस आने में महीनों तक इंतजार किया है।

🙏हम उसी  आखरी पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही  बचपन गुज़ारा है। और बिजली के बिना भी गुज़ारा किया है।

🙏हम वो  आखरी लोग हैं ?

जो अक्सर अपने छोटे बालों में सरसों का ज्यादा तेल लगा कर स्कूल और शादियों में जाया करते थे।

🙏हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी किताबें, कपडे और हाथ काले-नीले किये है। तख़्ती पर सेठे की क़लम से लिखा है और तख़्ती धोई है।

🙏हम वो आखरी लोग हैं ?

जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है और घर में शिकायत करने पर फिर मार खाई है।

🙏हम वो  आखरी लोग हैं ?

जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर नुक्कड़ से भाग कर घर आ जाया करते थे। और समाज के बड़े बूढों की इज़्ज़त डरने की हद तक करते थे।

🙏 हम वो  आखरी लोग हैं ?

जिन्होंने अपने स्कूल के सफ़ेद केनवास शूज़ पर खड़िया का पेस्ट लगा कर चमकाया है!

🙏हम वो आखरी लोग हैं

जिन्होंने गुड़  की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है और कभी कभी तो नमक से या लकड़ी के कोयले से दांत साफ किए हैं।

🙏हम निश्चित ही वो लोग हैं

जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो, बिनाका गीत माला और हवा महल जैसे प्रोग्राम पूरी शिद्दत से सुने हैं।

🙏हम वो  आखरी लोग हैं
 
जब हम सब शाम होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते थे।

उसके बाद सफ़ेद चादरें बिछा कर सोते थे।

एक स्टैंड वाला पंखा सब को हवा के लिए हुआ करता था।
 
सुबह सूरज निकलने के बाद भी ढीठ बने सोते रहते थे।

वो सब दौर बीत गया। चादरें अब नहीं बिछा करतीं।

डब्बों जैसे कमरों में कूलर, एसी के सामने रात होती है, दिन गुज़रते हैं।

🙏हम वो  आखरी पीढ़ी के लोग हैं

जिन्होने वो खूबसूरत रिश्ते और उनकी मिठास बांटने वाले लोग देखे हैं, जो लगातार कम होते चले गए।
 
अब तो लोग जितना पढ़ लिख रहे हैं, उतना ही खुदगर्ज़ी, बेमुरव्वती, अनिश्चितता, अकेलेपन, व निराशा में खोते जा रहे हैं।
 
और

🙏हम वो  खुशनसीब लोग हैं, जिन्होंने रिश्तों की मिठास महसूस की है...!!

🙏 और हम इस दुनियाँ के वो लोग भी हैं जिन्होंने एक ऐसा "अविश्वसनीय सा"  लगने वाला  नजारा देखा है।

आज के इस करोना काल में परिवारिक रिश्तेदारों (बहुत से पति-पत्नी , बाप - बेटा ,भाई - बहन आदि ) को एक दूसरे को छूने से डरते हुए भी देखा है।

 🙏 पारिवारिक रिश्तेदारों की तो बात ही क्या करे खुद आदमी को अपने ही हाथ से अपनी ही नाक और मुंह को छूने से डरते हुए भी देखा है।

 🙏 " अर्थी " को बिना चार कंधों के श्मशान घाट पर जाते हुए भी देखा है।

"पार्थिव शरीर" को दूर से ही  "अग्नि दाग" लगाते हुए भी देखा है।🙏

🙏हम आज के भारत की एकमात्र वह पीढी हैं जिसने अपने " माँ-बाप "की बात भी मानी और " बच्चों " की भी मान रहे है।

🙏 शादी में (buffet) खाने में वो आनंद नहीं जो पंगत में आता था  जैसे....

सब्जी देने वाले को गाइड करना, हिला के दे या तरी तरी देना!

.👉  उँगलियों के इशारे से 2 लड्डू और गुलाब जामुन, काजू कतली लेना

.👉 पूडी छाँट छाँट के और गरम गरम लेना !

👉 पीछे वाली पंगत में झांक के देखना क्या क्या आ गया, अपने इधर क्या बाकी है और जो बाकी है उसके लिए आवाज लगाना

👉 पास वाले रिश्तेदार के पत्तल में जबरदस्ती पूडी 🍪 रखवाना!

.👉 रायते वाले को दूर से आता देखकर फटाफट रायते का दोना पीना ।

.👉 पहले वाली पंगत कितनी देर में उठेगी उसके हिसाब से बैठने की पोजीशन बनाना।

.👉 और आखिर में पानी वाले को खोजना।
 😜 
..............
*एक बात बोलूँ इंकार मत करना दोस्तो, ये मैसेज जितने मर्जी लोगों को भेजना क्योंकि जो इस मैसेज को पढेगा, उसको उसका बचपन जरुर याद  आयेगा. वो आपकी वजह से अपने बचपन में चला जाएगा , चाहे कुछ देर के लिए ही सही।*
*और ये आपकी तरफ से उसको सबसे अच्छा गिफ्ट होगा.*

©TEJPAL कल से आज तक

कल से आज तक #ज़िन्दगी

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TEJPAL

कल से आज तक
पोस्ट पूरी पढ़िएगा जरूर आनंद आएगा।

2022 से 1970 के दशक अर्थात बचपन की तरफ़ जो 50 को पार कर गये हैं या करीब हैं उनके लिए यह खास है।

मेरा मानना है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है हमारे बाद की किसी पीढ़ी को "शायद ही " इतने बदलाव देख पाना संभव हो
🤔🤔

हम वो आखिरी पीढ़ी हैं जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखे हैं। बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और "वर्चुअल मीटिंग जैसी" असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को सम्भव होते हुए देखा है।

🙏🏻 हम वो पीढ़ी हैं
 
जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं हैं। ज़मीन पर बैठकर खाना खाया है। प्लेट में डाल डाल कर चाय पी है।

🙏 हम  वो " लोग " हैं ?*l

जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल , खेले हैं ।

🙏हम आखरी पीढ़ी  के वो लोग हैं ?

 जिन्होंने चांदनी रात में डीबरी, लालटेन या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और दिन के उजाले में चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं।

🙏हम वही  पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात खतों में आदान प्रदान किये हैं और उन ख़तो के पहुंचने और जवाब के वापस आने में महीनों तक इंतजार किया है।

🙏हम उसी  आखरी पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही  बचपन गुज़ारा है। और बिजली के बिना भी गुज़ारा किया है।

🙏हम वो  आखरी लोग हैं ?

जो अक्सर अपने छोटे बालों में सरसों का ज्यादा तेल लगा कर स्कूल और शादियों में जाया करते थे।

🙏हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी किताबें, कपडे और हाथ काले-नीले किये है। तख़्ती पर सेठे की क़लम से लिखा है और तख़्ती धोई है।

🙏हम वो आखरी लोग हैं ?

जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है और घर में शिकायत करने पर फिर मार खाई है।

🙏हम वो  आखरी लोग हैं ?

जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर नुक्कड़ से भाग कर घर आ जाया करते थे। और समाज के बड़े बूढों की इज़्ज़त डरने की हद तक करते थे।

🙏 हम वो  आखरी लोग हैं ?

जिन्होंने अपने स्कूल के सफ़ेद केनवास शूज़ पर खड़िया का पेस्ट लगा कर चमकाया है!

🙏हम वो आखरी लोग हैं

जिन्होंने गुड़  की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है और कभी कभी तो नमक से या लकड़ी के कोयले से दांत साफ किए हैं।

🙏हम निश्चित ही वो लोग हैं

जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो, बिनाका गीत माला और हवा महल जैसे प्रोग्राम पूरी शिद्दत से सुने हैं।

🙏हम वो  आखरी लोग हैं
 
जब हम सब शाम होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते थे।

उसके बाद सफ़ेद चादरें बिछा कर सोते थे।

एक स्टैंड वाला पंखा सब को हवा के लिए हुआ करता था।
 
सुबह सूरज निकलने के बाद भी ढीठ बने सोते रहते थे।

वो सब दौर बीत गया। चादरें अब नहीं बिछा करतीं।

डब्बों जैसे कमरों में कूलर, एसी के सामने रात होती है, दिन गुज़रते हैं।

🙏हम वो  आखरी पीढ़ी के लोग हैं

जिन्होने वो खूबसूरत रिश्ते और उनकी मिठास बांटने वाले लोग देखे हैं, जो लगातार कम होते चले गए।
 
अब तो लोग जितना पढ़ लिख रहे हैं, उतना ही खुदगर्ज़ी, बेमुरव्वती, अनिश्चितता, अकेलेपन, व निराशा में खोते जा रहे हैं।
 
और

🙏हम वो  खुशनसीब लोग हैं, जिन्होंने रिश्तों की मिठास महसूस की है...!!

🙏 और हम इस दुनियाँ के वो लोग भी हैं जिन्होंने एक ऐसा "अविश्वसनीय सा"  लगने वाला  नजारा देखा है।

आज के इस करोना काल में परिवारिक रिश्तेदारों (बहुत से पति-पत्नी , बाप - बेटा ,भाई - बहन आदि ) को एक दूसरे को छूने से डरते हुए भी देखा है।

 🙏 पारिवारिक रिश्तेदारों की तो बात ही क्या करे खुद आदमी को अपने ही हाथ से अपनी ही नाक और मुंह को छूने से डरते हुए भी देखा है।

 🙏 " अर्थी " को बिना चार कंधों के श्मशान घाट पर जाते हुए भी देखा है।

"पार्थिव शरीर" को दूर से ही  "अग्नि दाग" लगाते हुए भी देखा है।🙏

🙏हम आज के भारत की एकमात्र वह पीढी हैं जिसने अपने " माँ-बाप "की बात भी मानी और " बच्चों " की भी मान रहे है।

🙏 शादी में (buffet) खाने में वो आनंद नहीं जो पंगत में आता था  जैसे....

सब्जी देने वाले को गाइड करना, हिला के दे या तरी तरी देना!

.👉  उँगलियों के इशारे से 2 लड्डू और गुलाब जामुन, काजू कतली लेना

.👉 पूडी छाँट छाँट के और गरम गरम लेना !

👉 पीछे वाली पंगत में झांक के देखना क्या क्या आ गया, अपने इधर क्या बाकी है और जो बाकी है उसके लिए आवाज लगाना

👉 पास वाले रिश्तेदार के पत्तल में जबरदस्ती पूडी 🍪 रखवाना!

.👉 रायते वाले को दूर से आता देखकर फटाफट रायते का दोना पीना ।

.👉 पहले वाली पंगत कितनी देर में उठेगी उसके हिसाब से बैठने की पोजीशन बनाना।

.👉 और आखिर में पानी वाले को खोजना।
 😜 
..............
*एक बात बोलूँ इंकार मत करना दोस्तो, ये मैसेज जितने मर्जी लोगों को भेजना क्योंकि जो इस मैसेज को पढेगा, उसको उसका बचपन जरुर याद  आयेगा. वो आपकी वजह से अपने बचपन में चला जाएगा , चाहे कुछ देर के लिए ही सही।*
*और ये आपकी तरफ से उसको सबसे अच्छा गिफ्ट होगा.*

©TEJPAL
  कल से आज तक

कल से आज तक #ज़िन्दगी

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parveenprangmailcom

पाने के लिए जिसे मैंने अपना पल-पल गंवा दिया ।
लायक नहीं हूं उसके,उसकी ख़ामोशी ने बता दिया ।।
@parveen Baliala

©parveenprangmailcom
  #tumaurmain तेरी चाहत है कि मिटती नहीं। और मेरी......... कल तक

#tumaurmain तेरी चाहत है कि मिटती नहीं। और मेरी......... कल तक

2007 Views

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Ravindra singh kushwaha ji

कल तक तो थे ही साथ कल तक तो हुई ही बात

कल तक तो थे ही साथ कल तक तो हुई ही बात

387 Views

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एके G

जब तक दवाई नही तब तक ढिलाई नहीं।

#inspirational

जब तक दवाई नही तब तक ढिलाई नहीं। #inspirational

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Rakesh Kumar Dogra

एक गुमनाम मौहब्बत का ज़िक्र किया मैंने,
मैने नाम नहीं लिया और दुनिया ने तेरी तस्वीर बना दी। वो जानता तक नहीं 
कहीं वो मसखरा तो नहीं।

वो जानता तक नहीं कहीं वो मसखरा तो नहीं।

4 Love

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Rahul Vishwakarma

 कल को पता ही नहीं की कल 
कब आएगा।आप किस कल के 
इन्तजार में है।लोग आज को याद 
रखते हैं कल को नहीं। जो भी निर्णय 
हो वो आज ही होना चाहिए।कल 
को पता ही नहीं की कल आएगा। 
आप किस कल के इन्तज़ार में है।

©Rahul Vishwakarma
  #कल नहीं आज

#कल नहीं आज #कविता

370 Views

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Rohit Khanna

कल नहीं आता

कल नहीं आता #suspense

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Sharda Jha

कल तक तो थे ही साथ
कल तक तो हुई ही बात,
कल तक तो राहें एक थी
एक ही थी कल तक मंज़िल भी,
तो फिर ये आज क्या हुआ?

कल तक तो शामें थी हसीन
कल तक थी हर सुबह रंगीन,
कल तक ना भरी थी ये आंखें
कल तक ना चुभी थी ये यादें,
तो फिर ये आज क्या हुआ?

कल तक तो छाई थी बहार
कल तक तो था ही दिल में प्यार,
कल तक तो था सबकुछ हकीकत
कल तक ना आड़े अाई किस्मत,
तो फिर ये आज क्या हुआ? कल तक तो थे ही साथ
कल तक तो हुई ही बात,
कल तक तो राहें एक थी
एक ही थी कल तक मंज़िल भी,
तो फिर ये आज क्या हुआ?

कल तक तो शामें थी हसीन
कल तक

कल तक तो थे ही साथ कल तक तो हुई ही बात, कल तक तो राहें एक थी एक ही थी कल तक मंज़िल भी, तो फिर ये आज क्या हुआ? कल तक तो शामें थी हसीन कल तक #poem #thrimaginationgirl

68 Love

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Parasram Arora

मरना तो  कल  भी  हो  सकता हैँ 
मरने  को कल  पर भी  टाला  जा सकता  हैँ 
कोई अभी  मरता   हैँ क्या?  
सभी  लोग    "कल "   मरते हैँ 
लेकिन जीना हो  तो  अभी ही   जीया  जा   सकता  हैँ 
कल के मरने  से  आज के  दिन  अच्छे से  जी  लेना    बेहतर  हैँ कल  नहीं   आज

कल नहीं आज

8 Love

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M.Alam. Ansari

Radiance  कल की बात है जो वह मेरी थी,,,
 आज जो खुदा की  प्यारी हो गई,,
 अब तो यारों  मेरी जिंदगी में अंधेरी है,,,
 तन्हाई से मुझे अपनी यारी हो गई,, कल तक जो मेरी थी

कल तक जो मेरी थी

33 Love

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बागी विनय

आज "बेवजह" ही भूल गए
कल तक "बेवजह" चाहने वाले कल तक "बेवजह" चाहने वाले

कल तक "बेवजह" चाहने वाले

2 Love

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🅂🄰🅃🄸🅂🄷

नींद उड़ा कर मेरी कहते हैं वो कि

सो जाओ कल बात करेंगे,

अब वो ही हमें समझाए कि कल

तक हम क्या करेंगें..!

# 𝒮𝒶𝓉𝒾𝓈𝒽 ✍ #कल #तक #हम #क्या #करेगें
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Deepika Dave

आँखों से ओझल हो गया, टूटा हुआ कोई तारा था वो जो आज किसी और
 आसमान मे सजता हैं, 
 कल तक वो हमारा था कल तक वो हमारा था

कल तक वो हमारा था #विचार

1 Love

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Raman Singh rajpoot

 कल तक मैं जरूरत था ,आज जरूरी भी नहीं,।।।

कल तक मैं एक रिश्ता था,आज मजबूरी भी नहीं...!!! Nojoto News निहारिका सिंह Priyanka Pathak  Anshh Pa

कल तक मैं जरूरत था ,आज जरूरी भी नहीं,।।। कल तक मैं एक रिश्ता था,आज मजबूरी भी नहीं...!!! Nojoto News निहारिका सिंह Priyanka Pathak Anshh Pa

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Nilesh Pawar

जब तक जीतेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं...!

जब तक जीतेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं...! #Knowledge

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कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

कल नहीं आज

आज का काम  आज कर कल पर न टाल रे

डूबती कश्ती को अपनी सागर से निकाल रे

बदल   चाल   और   ठौर   ठिकाना  अपना

बेहतर  होगें   तेरे  पहले   से   हाल  चाल रे

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद कल नहीं आज.....कीर्तिप्रद

कल नहीं आज.....कीर्तिप्रद

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Vijender Kumar

कल कभी नहीं आएगा

कल कभी नहीं आएगा #Motivational

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