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maddylines
सपने अपनी जगह थे और कुछ ख्वाहिशें ख्वाब बन के रह गई हिम्मतें तरकश थी मेरी नदिया में, बारिशों में नाव यूँ ही दरिया में बह गई उम्र दराज़ तो नहीं है आंखें... दूर तलक देख सकती है मेरी.. जाने क्यों एकटक तुझे देखती ही रह गई वक़्त ने हाथ तेरा धीरे धीरे पूरा खींच लिया जीवित तो रहा शरीर और... धड़कने धड़कती ही रह गई... उम्मीद का दामन थाम के आज भी चार कदम चल लेते है वरना सहारे को जो लाठियां थी, सिर्फ लाठियां ही रह गई। जीवन का सार
Mahadev Son
अंत मालूम संग तेरे क्या जाना फिर भी जिंदगी गुजार दी अपनों को सवारने में..... सब करके भी क्या पाया तूने इस ज़माने में अंततः तेरे अपनों ने ही जला दिया.... उम्रभर भागा जिनके के लिये अंत में तूने.... क्या खोया क्या पाया नसीब से बढ़कर कुछ न मिलता लूट खसोट की कमाई से तोड़ा हुआ फल भी खाया नहीं जाता.... बचना इस झूठ झमेला से खाली हाथ आया खाली हाथ जाना चार दिन की जिंदगी चार दिन का मेला क्या लेके आया जग में क्या लेके जायेगा जपले नाम महाकाल का जन्म मरण फेर से फिर मुक्त हो जायेगा ©Mahadev Son जीवन का सार
Ek villain
दर्शनशास्त्र की कक्षा चल रही थी और प्रोफ़ेसर अपने विद्यार्थियों को जीवन में समस्याओं की प्रवाहित इसकी क्षणभंगुर था और तेजी से गुजर रहे समय की महत्ता के बारे में व्याख्यान दे रहे थे छात्रों के समूह में एक युवक काफी उदगीर नजर आ रहा था वह अपने गुरु से एक प्रश्न पूछने की विनम्रता से अनुमति मांगी महोदय जब मनुष्य जीवन अनिश्चित है काल का पहिया निरंतर घूमने जा रहा है और समस्या आवाज गति से मानव को डस्टी जा रही है तो फिर जीवन जीने की स्वर बता रहा क्या है आखिर अनंत चिंताओं और सुविधाओं के कुचक्र से बाहर निकलने और मानसिक शांति पाने का कोई तो मार्ग होगा हमें विचार की बुआ और निर्णय की विचित्र मंझा साधारण में फंसा हुआ हूं कृपया करके मुझे मार्गदर्शन कीजिए गुरु बोले पानी के बहाव को कभी गौर से देखना तुम्हें उस में बहने के लिए किसी मार्ग की जरूरत नहीं होती है वह अपनी दिशा खुद से कर लेता है जीवन की हर समस्याओं की प्राकृतिक भी ऐसी ही होती है ऐसे ही आती है और फिर गुजर दी जाती है परेशानियां तब होती है जब मनुष्य भविष्य की समस्याओं को भी आज ही सुलझाया लेना चाहता है जीवन में दुर्दशा बनाना अच्छी बात है लेकिन पहुंचे की तमाम समस्याओं के बारे में सोच समझकर जान हलकान करने में जीवन की कोई समझदारी परिलक्षित नहीं होती यदि हम पलपल जिए तो जीवन आगे नित्य समय में महफूज रह जाता है इसका आशय यह भी है कि हमें वर्तमान में जीना आना चाहिए गुजरे कल के पश्चात के भोज और आने वाले कल की फिक्र से जिस शख्स ने अपने जीवन को बचा लिया वह समस्या के बा भारत में अक्षय और अजय बनकर बाहर आ पाता है गुरु के उपदेश से शीशे की आंखें खुल चुकी थी उसको सब कुछ आईने की तरह साफ साफ दिखाई दे रहा था क्योंकि उसे जीवन में समस्याओं से महफूज रहने का एक आम वेद शास्त्र मिल चुका था आने वाला कल हलवा है पल में जीना ही जीवन का सार है ©Ek villain # जीवन का सार
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
धागों में हैं बहन का प्रेम बसा, रंग बिरंगी राखी से जिन्दगी मुस्काएं । हल्दी चन्दन शुभ क्षण का प्रतीक बनें, बहन लेती हैं भाई की बालाएं।। बहना देती हैं जब आशीष, मातृ रूप का हो जाता हैं दर्शन। उपहार पाने पर ऐसी चहकती वो, याद दिलाती अपना बचपन । @रचना का सार
Rama Maheshwari
पत्ता सूख जाता है झड़ने के बाद.... इंसान निखर जाता है ठोकर खाने के बाद .... ©Rama Goswami जीवन का सार
उत्सव पंडित
उन्हें अपनी प्राथमिकता मत बनाओ जो तुम्हें महज विकल्प की तरह रखते हैं ©Abhishek pandey (BRAND) जीवन का सार
sanjay yadav
1-इतना कुछ होते हुए भीशब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी...मौन होना सब से बेहतर है। 2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी...सफेद रंग सब से बेहतर है। 3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी...उपवास शरीर के लिए सबसे बेहतर है। 4-पर्यटन के लिए रमणीक स्थल होते हुए भी..पेड़ के नीचे ध्यान लगाना सबसे बेहतर है। 5- देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी...बंद आँखों से भीतर देखना सबसे बेहतर है। 6- सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी...अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है। 7- जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी...सिद्धांतों पर जीना सबसे बेहतर है। जय जय मां कुंजल ©sanjay yadav जीवन का सार
Toshi Jai
क्या तेरा है जो खोया तूने क्या तेरा है जो तू पाएगा मिलने की ख्वाहिश है तेरी पर मिलके भी बिछड़ तू जाएगा अजब खेल है कुदरत का अजब इस जीवन का सार है मिट्टी का है टुकड़ा तू एक मिट्टी में मिल ही जाएगा ©Toshi Jai जीवन का सार