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Singh Manpreet
मैं तैनूँ दसना आवदे दिल दा वी ते तेरे दिल दा वी जानना हाल बैके. कि तूँ इस पागल दे लई टाईम कढेंगीं मैं चा पीनीया तेरे नाल बैकै. ©Singh Manpreet चा
Durvesh Singh
मैं उड़ जाऊं उन्मुक्त गगन में ,मांझी वन पथ खुद मैं बनाऊं। चीर के पर्वत का वो सीना ,हर एक लक्ष्य को भेद के आऊ।। हूं मैं भारत मां की बेटी , हर बेटी का मान बढ़ाऊ । मैं उड़ जाऊं उन्मुक्त गगन में ,मांझी वन पथ खुद में बनाऊं ।। रोक सके ना अब कोई तूफा़ं, चट्टानों से मैं टकराऊ । फहरा के दुनिया में तिरंगा ,भारत को विश्व गुरु बनाऊ।। उड़नपरी यू उड़ गई है अब ,हाथ किसी के ना आएगी । बिगुल बजा दिया है दुनिया में ,विश्व में तिरंगा लहराए गी।। पूरा देश है साथ तुम्हारे ,दौडो़ बहना देश पुकारे । देखा मैंने 19 दिन में ,6 स्वर्ण पदकों को जीत लिया रे ।। नमन है ऐसी मां को जिसने ,इस ज्वाला को जन्म दिया रे । जीत के बिटिया घर को आई ,भारत में लग रहे जय कारे ।। सुना था मैंने देश यह मेरा ,सोने की चिड़िया कहलाया । देख लिया मैंने अब यह सब ,हिमा दास है नाम बताया ।। विजय पताका लहरा के ,बहना ने जन -गण मंगल गाया । आंखें हो गई थी नम जिसकी ,मेहनत का फल अब रंग लाया ।। मैंने सुना था देश की धरती ,सोना उगले हीरे मोती । हुआ सार्थक शब्द वो उनका ,जिनके घर में हीमा बेटी ।। नमन है मेरा ऐसे पिता को ,देश को दे दी उड़नपरी है । भेद के अपना हर एक वह ,अग्नि परीक्षा में उतरी है ।। मेरे देश के वीर जवानों ,मेरी सुन लो मेरी मानो। अडिग अदम्य है साहस सब में ,उठो और अपने को पहचानो ।। (2 पंक्तियां और ) अभी तो मैंने पंखों को धूप में शेंख कि देखा है , असली परो का इम्तिहान बाकी है । अभी तो उड़ी हूं आंगन समझ कर अपना , अभी पूरा आसमान बाकी है ।। ©® दुर्वेश सिंह एक रचना बहन हिमा दास के नाम
patu
समुद्रासारख प्रेम तुझं ,सुंदर मोकळ्या मनाचं , बहिणीचा मोठा प्रेमळ भाऊ तू जीवनात तुझी किंमत खूप महान रे. कीर्ती तुझी मोठी, कार्य तुझे चांगले ,आयुष्याच्या वळणावर कष्ट मात्र तुझी . बहिणीचा चा मित्र आहे, बाबा, आई ,बहीण, म्हणून वागणारा तू तू नेहमी यशस्वी होत राहो .चांगले मार्ग मिळत राहो. ही प्रार्थना तुझ्यासाठी, सुखी आणि समाधानी कायम राहो. मिळो तुला उदंड आयुष्य, भरभरून मिळावा तुला यश , बहिणी चा आशीर्वाद नेहमी असेल तुझ्या सोबत वहिनी चा आशीर्वाद
nitsmit penshanwar
आयुष्याच्या चित्रपटात लेखक ही तुम्हीच असता निर्माता ही तुम्हीच असता रचेता ही तुम्हीच असता आणी कलाकार ही तुम्हीच असता भुमिकाही तुमचीच असते फक्त ठरवायच असते भुमीका कोणती कशी, केव्हा आणी कोणासोबत साकार करायची हे जमल तर चित्रपट उत्तम रित्या सादर करता येतो ©nitu Kolhe चित्रपट #alone