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Vikas sharma
शीतलता में नही घड़े आग में पकते है इस दुनियां में कोई मंज़िल आसां नही वो ही पाते हैं , जिनके लहू जुनूँ की आग में उबलते हैं @विकास ©Vikas sharma #Grassland लहू का उबाल
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📇जीवन की पाठशाला 📖🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इतिहास गवाह है की ये इंसानी फितरत है की यहाँ इंसान अपनी परेशानी -दुःख से इतना दुखी -परेशान नहीं होता जितना दूसरों की तरक्की और सुख से ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की सत्य उस ऑपरेशन की तरह है जो कुछ समय की दर्द भरी तकलीफ के बाद पूर्ण राहत देता है और असत्य /झूठ उस घाव की तरह है जो खुद के लिए ही कब नासूर बन जाता है पता ही नहीं लगता जो दिन प्रतिदिन हमें ईश्वर की निगाहों में गिराता ही जाता है ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की गलतियां ईश्वर से भी होती हैं जो उन्होंने मासूम कम उम्र अबोध बच्चियों से -कन्याओं से -महिलाओं से -बुजुर्ग महिलाओं से -यहाँ तक की लाशों और जानवरों तक के साथ बलात्कार को अंजाम देने वाले इन्सानरूपी जानवर बनाये ..या अगर धर्म शास्त्र की मानें तो हर इंसान को अपने गुनाहों का फल भोगना पड़ता है तो क्या ये सब इन महिलाओं के पूर्व जन्मों के गलत कार्यों या गुनाहों का भोग है ...? आखिर में एक ही बात समझ आई की वक़्त भी बदलते हैं -हालात भी बदलते हैं -पर जो सबसे बड़ी चीज बदलती है वो है वक़्त की मार खाया इंसान क्यूंकि वक़्त उसके सामने इतने आईने रख चूका होता है जहाँ हर कोई अपनी असलियत के साथ उसके सामने आता है गोया अब इस इंसान का वक़्त आएगा ही नहीं ...! बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरुरी ...! 🌹सुप्रभात🙏 स्वरचित एवं स्वमौलिक "🔱विकास शर्मा'शिवाया '"🔱 जयपुर-राजस्थान ©Vikas Sharma Shivaaya' गुनाहों का भोग
Author kunal
अश्क छलका नगें पांव भागा मयखाने जर्रा जर्रा सन्नटा देख कम्बख़त तभी अहसास हुआ लहू का दौर है लहू का दौर है #भावनात्मक #मेरेएहसास #मेरे_जज्बात008 #yqdidi #मयखाना #लहू का दौर #kunu
श्री कन्हैया शास्त्री जी
मिट जाऐ गुनाहों का तसव्वुर ही जहाँ से. अगर हो जाये यकीन कि तू मुझे देख रहा है..।। राधे राधे गुनाहों का तस्सुवर
khushboo subraj tiwari
ये तेरा शहर है न !! इस पर आरोप लगा है, इसने अपने गुनाहों का साया गावों पर डाला है. जो कभी थी स्वच्छ व निर्मल मन से अलंकृत जिसके लिए मुख्य थी उसकी संस्कृति, उसे अपने बातों में फ़सा रहा है, सुना है !! शहर तेरा अपने गुनाहों का साया गावों पर भी डाल रहा है. #City #गुनाहों का साया