#अपना कोई रूठ गया,
चाहा ज़िसको जान से बढ़कर,
देखा सपना टूट गया,
हमसे अपना कोई रूठ गया,
गलती किसकी किसे है पता,
हमसे तो ना हुई कोई खता,
दिल फिर #Smile#कविता
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एक इबादत
निगाहें मिलाने का ख्या़ल था
आरजू थी आज एक अनोखी मुलाकात का,
देखता मैं जी भर कर उनको उनके चेहरे से घूंघट उठा कर
डूबता नैनन में उनके सुन आवाज