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"अर्श"
क्या हार में, क्या जीत में, किंचित नहीं, भयभीत मैं। कर्तव्य पथ पर जो भी मिला, ये भी सही, वो भी सही, वरदान नहीं मांगूंगा, हो कुछ पर हार नहीं मांगूंगा अटल बिहारी वाजपेई स्नेहसिक्त आभार इस भारत को अटल करने करने के लिए..
@rajatvaani_
हे प्रभु इस आशा युक्त, तिमिर मुक्त, प्रकाश युक्त, ज्योतिर्मय पल में स्नेहसिक्त दीपक जले हर मानव के हृदयस्थल में #HappyDiwali #शुभदीपावली #happydeewali हे प्रभु इस आशा युक्त, तिमिर मुक्त, प्रकाश युक्त, ज्योतिर्मय पल में स्नेहसिक्त दीपक जले हर मानव के हृदयस्थल में @rajat #Ha
Pnkj Dixit
मन सम्बन्ध - १० 🌷 अच्छा ! तो वह तुम थे ; जो इन स्नेहसिक्त समर्पित आँखों से विछोह की अग्नि में जलते मन को ढ़ाँढ़स बँधाते हुए हृदय की दरारों को सुलगाते रात भर बूँद - बूँद रिसते रहे । १०/०२/२०२० 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' ©Pnkj Dixit मन सम्बन्ध - १० 🌷 अच्छा ! तो वह तुम थे ; जो इन स्नेहसिक्त समर्पित आँखों से विछोह की अग्नि में जलते मन को ढाँढस बँधाते हुए
Anshu Mishra
Kulbhushan Arora
प्रभाती गुनगुनाते स्नेहसिक्त कुछ शब्द, मन आंगन में छिटके, प्रार्थना हो गए, मन उत्साह से भरा, मनआंगन में फूल खिले मन ने इतनी बार छुआ, इन शब्दों के फूलों को, मुस्कान से लदे शब्द, जीवित हो उठे, बच्चों सी पवित्र हसी लिए, अटूट विश्वास से भरे, घबराती सांसों के मन को, मुस्कान से भर आगे चल दिए सब व्यवस्थित हुआ मन प्रकाशित हुआ, शब्दों में इतनी आत्मीयता प्रार्थना .. मन की करुण पुकार मन प्राण जीवंत कर गए शब्दों को आत्मीय आभार🙏🙏🥰🙏 सुप्रभात🌄🌄🙏🙏 प्रभाती गुनगुनाते स्नेहसिक्त कुछ शब्द, मन आंगन में छिटके, प्रार्थना हो गए, मन उत्साह से भरा, मनआंगन में फूल खिले मन ने इत
Kulbhushan Arora
प्रात:वंदन 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 प्रभाती गुनगुनाते स्नेहसिक्त कुछ शब्द, मन आंगन में छिटके, प्रार्थना हो गए, मन उत्साह से भरा, मनआंगन में फूल खिले मन ने इतनी बार छुआ,
Kulbhushan Arora
#D_K_P प्रभाती गुनगुनाते स्नेहसिक्त कुछ शब्द, मन आंगन में छिटके, प्रार्थना हो गए, मन उत्साह से भरा, मनआंगन में फूल खिले मन ने इतनी बार छुआ,
Kulbhushan Arora
सुप्रिया*अनन्या* 🙌🙌🙌😍😍😍🤗🤗— % & Dedicating a #testimonial to Vandu सुप्रिया *अनन्या* ये एक पत्र है जो एक पिता का हृदय लिख रहा है, जो एक व्यक्ति जिसे तुम गुरु कहती हो वो लि
AK__Alfaaz..
नभ सा है, जिनका हृदय विशाल, जल सी है, जिनमें निर्मलता अपार, पवन सा है, जिनका परोकारी जीवन कृतार्थ, सूर्य सा है, जिनमें दैवीय अरूणिमा का सत्यार्थ, पुष्प सा है, कोमल,सुंदरतम्, सुगंधित व्यवहार, माँ धरा सी है, जिनकी ममता निराकार, है भरा जिनमें पूर्ण सेवा सद्भाव साकार.., आज्ञाकारी,प्राण प्रिय.., है जिनका अनुपम संस्कार.., श्रृष्टि मे हैं जो उस परम वन्दनीय ईश का.., अद्भुत,अद्वितीय,अकल्पनीय अमूल्य उपहार.., नभ सा है, जिनका हृदय विशाल, जल सी है, जिनमें निर्मलता अपार, पवन सा है, जिनका परोकारी जीवन कृतार्थ, सूर्य सा है, जिनमें दैवीय अरूणिमा का सत्य
AK__Alfaaz..
साँझ ढ़ले, सूरज ने ली अँगड़ाई, किरणों की, सिंदूरी चूनर बुनकर, चाँद ने दी, चाँदनी संग बधाई, ममतामयी सरिता, जब नेह से अपना, आँचल लहरायी, सम्मुख माँ नर्मदा सी, छवि लिए, एक दैवीय ममता मुस्कायी, साँझ ढ़ले, सूरज ने ली अँगड़ाई, किरणों की, सिंदूरी चूनर बुनकर, चाँद ने दी, चाँदनी संग बधाई, ममतामयी सरिता, जब नेह से अपना,