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Ravi Kushwha Narahat Lalitpur
prashant singh
आज देश त्राहिमाम कर रहा, हर माहौल में बेचैनी है | सूर्पनखा के वंसज, तेरे अन्दर बड़ी ही गर्मी है | देश से बढ़कर देश को ही, तु अपना धर्म बताता है | इंसानियत को तुने रौंद डाला, अब इंसानियत तु समझता है | मैं हिन्दु और राम भक्त हुँ , तु भी अल्लाह का बंदा है | कुरान तो तेरा साफ है मगर, नियत तेरा गंदा है | बिमारियों से तु जुझ रहा था, तब नर्सों ने जीवन दान दिया | तु उन्ही के सामने नंगा घुमकर, प्रचंड हवस का प्रमाण दिया | तु दिल्ली की सड़कों पर थूक दिया, केजरीवाल तो बस हटवा देगा | अगर U.P में तु थूक दिया, तो योगी बाबा चटवा देगा | फल सब्जियाँ बेचकर, तु उसी में थूक लगा डाला | बुरखा प्रथा में पाक बनकर, तु नापाक हरकत दिखा डाला | 2 लोगों में भी 2 फूट की दूरी, मोदी अपील कर रहा है | तु 1500 लोगों की जमात जुटाकर, बता नया जिहाद क्या कर रहा है | समाज की सुरक्षा उसके कंधो पर, छोड़ अपना परिवार हमें सुख दिया | तु दो कौड़ी का मुशलमान बता, उस पुलिस पर कैसे थूक दिया| बंदूख में गोली सटीक निशाना, दोनों पुलिस की हाथ में है | समझ सुरक्षा देश सुरक्षा, तब है ज़ब हम साथ में हैं | Stylo... सूर्पनखा का वंसज.
Manoj Nigam Mastana
बहुत कम लोग जानते हैं कि , लक्ष्मण जी ने सूर्पनखा की नाक प्रपोज डे पर ही काटी थी ...। 😂😂😂 #ProposeDay ©Manoj Nigam Mastana बहुत कम लोग जानते हैं कि , लक्ष्मण ने सूर्पनखा की नाक प्रपोज डे पर ही काटी थी ...। 😂😂😂 #ProposeDay
Surya Prakash
जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ उस ने सदियों की जुदाई दी है जिस की आँखों में कटी...
ꜱʜɪᴠʀᴀᴍ ꜱɪᴍᴩʟᴇ ʙᴏy
हम वो नही है, जो वक्त को काटने के बारे सोचे, हम वो है जो वक्त को बदलने का हिम्मत रखते है। ©ꜱʜɪᴠʀᴀᴍ ꜱɪᴍᴩʟᴇ ʙᴏy जिन्दगी की नाक में दम #SuperBloodMoon
ꜱʜɪᴠʀᴀᴍ ꜱɪᴍᴩʟᴇ ʙᴏy
हौसलो के तरकश मे कोशिश का वो तीर जिन्दा रखो हार जओ जिन्दगी मे सब कुछ , मगर जितने की उम्मीद जिन्दा रखो। ©ꜱʜɪᴠʀᴀᴍ ꜱɪᴍᴩʟᴇ ʙᴏy जिन्दगी की नाक में दम #changetheworld
Ajay Kumar Dwivedi
शीर्षक - नाक सुप्नखा की कटती है। मद में रहती है चूर सदा, पर पुरूषों को भरमाती है। सीता माँ सी नारी को, एक चूड़ैल आँख दिखाती हैं।। खुद को सती सावित्री कहती, और माया भी खूब रचाती है। पतिव्रता एक नारी पर वह, लांक्षन भी खूब लगाती है।। रूप सुप्नखा कभी-कभी, रानी का धर लेती है। राम की दुल्हन बनने का, मन में बिचार कर लेती है।। मगर भूल जाती है अक्सर, श्री राम नहीं ललचाते हैं। नारी के सौंदर्य के सम्मुख, लक्ष्मण ना शीश झुकाते हैं।। माना कि परीक्षा सीता को, पग-पग पर देनी पड़ती है। पर नाक सदा से भारत में, बस सुप्नखा की कटती है।। अजय कुमार द्विवेदी ''अजय'' ©Ajay Kumar Dwivedi शीर्षक - नाक सुप्नखा की कटती है।