Find the Latest Status about ढुलमुल from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, ढुलमुल.
लफ्ज़-ए-राज...
यूपी के हजारों बिजली इंजीनियरों/कर्मचारियों की कमाई के भविष्य निधि(PF) में जमा 2200 करोड़ से अधिक धन निजी कम्पनी में निवेश के महाघोटाले को भी बीजेपी सरकार रोक नहीं पाई तो अब आरोप-प्रत्यारोप से क्या होगा? सरकार सबसे पहले कर्मचारियों का हित व उनकी क्षतिपूर्ति सुनिश्चित करे। इस PF महाघोटाले में यूपी सरकार की पहले घोर नाकामी व अब ढुलमुल रवैये से कोई ठोस परिणाम निकलने वाला नहीं है बल्कि CBI जाँच के साथ-साथ इस मामले में लापरवाही बरतने वाले सभी बड़े ओहदे पर बैठे लोगों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है जिसका जनता को इंतजार है। यूपी के हजारों बिजली इंजीनियरों/कर्मचारियों की कमाई के भविष्य निधि(PF) में जमा 2200 करोड़ से अधिक धन निजी कम्पनी में निवेश के महाघोटाले को भ
Divyanshu Pathak
देखो मस्त गगन के तारे मुझसे अक़्सर बातें करते अपनी कहते मेरी सुनते मुझसे मस्त मगन हो रहते ! चलते चलते थक मत जाना मुझसे ये सब कहते रहते जीवन में उजियारा भरने देखो मुझसे लड़ते रहते ! साथ समय के तुम ढल जाओ कल को छोड़ अभी कर जाओ कर्मभूमि पर अपनी तुम तो हरदम त्याग समर्पण लाओ ! चाहे अग़र कोई तुमको तो आगे बढ़ कर गले लगाओ अपना उसका उसका अपना मिलजुल कर के मान बढाओ ! :🙏💕🐒🍧🍧☕☕🍨💕🐒💕💕🐒🐒🍫🍫☕☕☕ आसान नहीं है राह तुम्हारी नहीं भोलेपन से काम चलेगा अब तो कुछ चतुराई सीखो कबतक ढुलमुल से काम चलेगा ! पग पग ख़तरा खूब है फ
Divyanshu Pathak
यहाँ खड़ंच को मंच नहीं है ठट्ठाहास सुनाई दे। लोकतंत्र की लाज लूटता अट्टाहास सुनाई दे। कर प्रपन्च तुम बन बैठे हाक़िम सूबेदारों के! बिन पैंदे का लोटा बनता पट्ठाख़ास दिखाई दे। घूम घाम के धाम सभी गगरी वहीं फूटती है! अंधेर-गर्द में डूबी नगरी मटकी वहीं टूटती है। खासमखास मज़े में तेरे रहा आम पे बौर नहीं! मुद्दे तो छत्तीस हैं पूरे लेकिन गुद्दों पे ग़ौर नहीं। छूट गए सारे वादे क्यों झूठी जुमलेबाजी में! टूट गए सारे तारे क्यों खोटी ढुलमुलसाज़ी में। आँसूं दर्द नहीं दिखता तुमको ये अवाम का! अन्नदात्र की पीड़ा क्या तुमको नहीं सुनाई दे? ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_305 👉 अंधेर नगरी मुहावरे का अर्थ ---- जहाँ कपट का बोलबाला हो। ------–----------------------------------
Divyanshu Pathak
बिरहन की अग्नि में झुलसे जब मानसून बल देते हैं। हम चाहत की छतरी लेकर तुमसे मिलने चल देते हैं। जाने कितने सावन बीते ?हृदय कलश फ़िर भी रीते! प्यासे प्यासे इन अधरों से थोड़ी सी शबनम भी पीते। लेकिन ढुलमुल ज़ज़्बातों में जाने वो कौन चहेते हैं? भीगे भीगे एहसासों को क्षण भर में जो छल देते हैं । हम चाहत की छतरी लेकर तुमसे मिलने चल देते हैं। बिरहन की अग्नि में झुलसे जब मानसून बल देते हैं। उड़ते बादल, बहती नदियाँ सुर गान पपीहे मोर करें! चलते चलते हो रात कभी चलते चलते ही भोर करें। नींद न आए आँखों में , ना पलकों को आराम मिले। धड़कन हो जैसे भ्रमर कोई मीठा मीठा सा शोर करें! तन के कण कण स्पंदित हों तब प्रश्नों का हल देते हैं। हम चाहत की छतरी लेकर तुमसे मिलने चल देते हैं। बिरहन की अग्नि में झुलसे जब मानसून बल देते हैं। हम चाहत की छतरी लेकर तुमसे मिलने चल देते हैं। जाने कितने सावन बीते ?हृदय कलश फ़िर भी रीते! प
Naveen "Nirjhar"
दिन बीते ढलने को आतुर शाम सी। रात व्योम से आती ढुलमुल तेरे नाम सी।। दृग मुखरित से होते जब याद तुम्हे में करता हूँ। मृग छोने की से आंखे तेरी बस देखा ही करता हूँ।। कोरे हँसती हैं आँखो की मेरी तुमको उनमें पाया करता हूँ। कुंतल मुक्त बिखरे ललाट पे मुझपर छाया करते हैं। कहने को होती निशि है पर नया उजाला भरते हैं।। सूनापन मेरे अन्तस् का जब जब भी मँडराया है। तुम सदृश सी मन में आँचल तेरे नेहका लहराया है।। सजल ओस से चमके तारे नभ उनसे भर आया है। मनदीप जले याद के फिरअक्स तेरा उभर आया है।। चहक रहा हो विहग में ढूंढा करता तुझे कहीं पर। कितना ही ढूंढूं तुम्हे में तुमको पाया मेने यहीं पर।। चलती ठंडी हवा लहर सी खुशबू सी फैलाती है। सच में ये रात घनेरी याद तुम्हारी दिलाती है।। जैसे जैसे घनी रात ये आहट तेरीआती धीरेधीरे है। रंग भरूँ में कोरे मन मे मेरे बनती तेरी तस्वीरें हैं।। मेरे सिंदूरी चित्रांकन से तुम पूरी हो जाती हो। में कितना भी सोचूँ तुमको फिर भी मेरी नेह कहानी में तुम कहीं अधूरी रह जाती हो।। कहीं अधूरी रह जाती हो।। नवीन "निर्झर"🙃 दिन बीते ढलने को आतुर शाम सी। रात व्योम से आती ढुलमुल तेरे नाम सी।। दृग मुखरित से होते जब याद तुम्हे में करता हूँ। मृग छोने की से आंखे तेरी