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AK__Alfaaz..
तुम आये, तो सात जन्म, मेरे हृदयाँचल में पलते रहे, अपनी धूनी रमाकर, एक कोने में कुटिया बनाकर, मेरी धमनियों, शिराओं, और नसों में, रिसते रहे जीवन पर्यन्त, जीवनदायिनी रक्त की बूँदों की भाँति, श्वाँस मे चलते रहे मेरी, पिये अमृत की इक घूँट की, संजीवनी दिव्यता की भाँति, मुनियों के जैसे, प्रीत की यज्ञशाला मे, प्रेम का यज्ञ किया तुमने, नैनों की जीह्वा से अपने, तेरे प्रेम के प्रसाद का..स्वाद चखा मैंने, स्नेह का घी आहुतियों मे भस्म किया तुमने, और..... समर्पण की प्रज्वलित अग्नि में, सदियों से..यौवन राख किया मैंने, एवं..... जलती रही...मै तेरी भुजाओं के बीच, तेरे पौरूष की चिंगारी से, रूई की बाती बन...।। #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे एक स्त्री जो प्रेम के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है... किंतु कभी कभी सच्चे प्रेम की अभिलाषा मे वो ठगी भी जा
Nisheeth pandey
निशीथ की तरफ से स्वतंत्रता दिवस पर सभी देशवासियों को अनेकों अनेक शुभकामनाएं 💐 भारत कोई भूमि का टुकड़ा नहीं, स्वयं विराट स्वरूप राष्ट्रपुरुष है। मस्तक है हिमालय , किरीट है कश्मीर , दो विशाल कंधे हैं पंजाब और बंगाल । दो विशाल जंघायें हैं पूर्वी और पश्चिमी घाट , चरण इनके हैं कन्याकुमारी , इसके पग पखारता है महासागर ।। सुगंधित चन्दन उगता यहां की मिट्टी है, यह अभिनन्दन की पवित्र भूमि है, यह तर्पण की पवित्र भूमि है, यह अर्पण की पवित्र भूमि है, यह ऋषियों की तपो पवित्र भूमि है ।।। इसके कंकर-कंकर में बसे शिवशंकर है, इसके बून्द बुंडू में रमा पवित्र गंगाजल है, हमारा अस्तिव इनसे हैं , हमारा अभिमान इनसे है , हमारा सम्मान इनसे हैं , हमारा सर्वस्य ऊर्जा इनसे हैं ।।।। हम जीते इनके लिये मरेंगे तो इनके लिये.... भारत माता वास्ते सर्वस्य जीवन से दिप जलाते हैं, दीप पात्र में " शुद्ध घी " नहीं समझने की भूल मत करना , यह दिप शहीदों का बलिदानों के रक्त से जलते हैं, रूई की बाती में गद्दारी नहीं, गर कोई जो करे गद्दारी उसका राख बनाना हमारा धर्म है हमें गर्व है कि हम भी भारत के सपूत हैं।। 🤔#निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey निशीथ की तरफ से स्वतंत्रता दिवस पर सभी देशवासियों को अनेकों अनेक शुभकामनाएं 💐 भारत कोई भूमि का टुकड़ा नहीं, स्वयं विराट स्वरूप राष्ट्रपुरुष
Mohan Sardarshahari
जो समस्याएं परिवार के द्वारा हल नहीं हो पाती, वहां दोस्त ही बनते हैं अंधेरे की बाती।। ©Mohan Sardarshahari अंधेरे की बाती
Ashok Verma "Hamdard"
चादर बड़ा कीजिये और आदर बड़ा कीजिये, सब एक साथ मिलकर जिंदगी के मजे लीजिए, कुंठा पाल कर लोग रहते है यहां , कभी अपने चाल से न हैरान कीजिये, चार दिन की ज़िंदगी है क्या तेरा क्या मेरा बन सका तो माहौल को आबाद कीजिये, झूठे अहंकार में लोग पागल है यहां आखें बंद कर के कभी तो सफ़र कीजिए, भौतिक सुख को पाने में लगे है सारे लोग कभी तो प्रभु के शरण में जिंदगी को बसर कीजिए।। ©Ashok Verma "Hamdard" जिंदगी की बाती
un
जिस तरह वो दीपक में रखी बाती प्रज्वलित हो रही, है हो रही तो आश पर कुछ तो कमी तो हो रही , अरे ये हवा का झोंका क्यों टकरा रहा है इससे अब, अब इसको बताओ न रखा दीपक अकेला आजकल , तू ठहर जरा हल्के गुज़र इस बात का अंदाज़ा कर , है दीपक अकेला ना जल रहा, उसके साथ में बाती भी प्रज्वलित हो रही प्रियांशु मिश्र बाती
Ganesh Sande
*व्यक्ति का कर्म ही उसकी किस्मत का निर्माण कर रहा है अर्थात अभी आप जो कर रहे है जो आज करने वाले है उसी का फल भविष्य में मिलने वाला है।* बाती आज कल की एक एक पल की
Mohan Sardarshahari
आज एक दीप ऐसा जले मेरे दिल की लौ बनकर उसके दिल को रोशन करे स्याह रातों के पहरे में जलती बाती देखकर वह मुझको महसूस करे ।। ©Mohan Sardarshahari जलती बाती