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Ek villain

इस दृष्टांत का उपयोग अध्यात्मिक क्षेत्र में कर कर देखा जाए तो किसी से किसी भी तरह का सहयोग लेकर कोई व्यक्ति धनसंपदा में वृद्धि करता है या यश प्राप्त करता है यह अन्य किसी प्रकार की उपलब्धि हासिल करता है और बदले में जिन से मदद की है उसके सहयोग को भूल जाता है वक्त पर उसकी मदद के बदले मदद करना तो दूर उसकी जगह निंदा करता रहता है तो सहयोग लेने वाला अपने पुणे की पूंजी गंवा देता है इससे सहयोग देने वाले का पुण्य प्राप्त बढ़ने लगता है समाज में सहयोग देने वाले को चाहिए कि बिना हिचकी में सहयोग पद पर चलते रहें भगवान शंकर ने भस्मासुर को वरदान दिया और भस्मासुर उन्हें ही मारने की कोशिश करने लगा

©Ek villain #brokenlove #कृष्ण भगवान ने भस्मासुर को वरदान दिया और भस्मासुर उन्हें ही मारने लगा

#brokenlove #कृष्ण भगवान ने भस्मासुर को वरदान दिया और भस्मासुर उन्हें ही मारने लगा #Society

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Rahul Wayne 07

भस्मासुर और शिव जी की अनोखी कहानी

भस्मासुर और शिव जी की अनोखी कहानी #Motivational

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आसमा mainy taroy की भण्डार थी।।

आसमा mainy taroy की भण्डार थी।। #Shayari

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SINGH BEEJ BHANDAR

 सिंह बीज भण्डार (हाजी मार्केट बड़ागांव) अयोध्या

सिंह बीज भण्डार (हाजी मार्केट बड़ागांव) अयोध्या #nojotophoto

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hgdshots

गुलज़ार भरा है  गुलों के रंग से तू भी आके मेरे मन की बगिया को महका दे
जैसे भंवरा रस भर लाता पराग से और भरता मधु रस भण्डार।। #hgdshots#भवंरा#पराग#भण्डार#बगिया#लाइफ #पोएट्री
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Mili Saha

// भस्मासुर को शिव का वरदान //

पूर्व काल में भस्मासुर नाम का हुआ करता था एक राक्षस,
समस्त विश्व में राज करने की प्रबल इच्छा जिसमें भरकस,

इसी प्रयोजन हेतु करने लगा, भगवान शिव की घोर तपस्या,
शिव ने तब प्रसन्न होकर उसकी गहन तपस्या का फल दिया,

वर मांगने कहा जब, भस्मासुर ने मांगा अमरत्व का वरदान,
शिव बोले नहीं दे सकता यह वर, है यह सृष्टि विरुद्ध विधान,

अमृत्व के अतिरिक्त जो मांगना मांग लो बोले शिव भगवान,
तब भस्मासुर ने, दौड़ाई बुद्धि और बदल कर मांगा वरदान,

जिसके भी सिर पर मैं, हाथ रखूँ, वो वहीं पर भस्म हो जाए,
दीजिए मुझे यही एक वरदान जिससे मेरा कल्याण हो जाए,

भगवान शिव से वरदान लेकर, उन्हीं को भस्म करने चला,
भ्रष्ट हुई बुद्धि भस्मासुर की, त्रिकाल देव को ही हराने चला,

जैसे -तैसे खुद को बचा कर, शिव पहुंँचते नारायण के पास,
संपूर्ण कथा सुनाकर नारायण को‌ मदद करने की कही बात,

तब विष्णु भस्मासुर का अंत करने को मोहनी रूप बनाते हैं,
भगवान नारायण अपने रूपजाल में भस्मासुर को फंँसाते हैं,

देख रूप मोहिनी का भस्मासुर रखता है विवाह का प्रस्ताव,
उसी से विवाह करूंँगी जो नृत्य जाने मोहनी देती है ज़वाब,

नृत्य नहीं जानता था भस्मासुर मांगी उसने मोहनी की मदद,
तुरंत तैयार हो गई मोहनी, भस्मासुर की थी यह बेला सुखद,

मोहनी ने अपने सर पे रख दिया हाथ नृत्य सिखाते सिखाते,
भस्मासुर भूल गया शिव से मिला वरदान, नृत्य करते-करते,

रख दिया उसने अपने सर पर हाथ, भस्म हो गया भस्मासुर,
भगवान विष्णु की मदद से शिव की विकट समस्या हुई दूर।

©Mili Saha भस्मासुर को शिव का वरदान

// भस्मासुर को शिव का वरदान //

पूर्व काल में भस्मासुर नाम का हुआ करता था एक राक्षस,
समस्त विश्व में राज करने की प

भस्मासुर को शिव का वरदान // भस्मासुर को शिव का वरदान // पूर्व काल में भस्मासुर नाम का हुआ करता था एक राक्षस, समस्त विश्व में राज करने की प #Trending #nojotohindi #sahamili

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N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey}
जब भगवान विष्णु ने लोक कल्याण के लिए किए छल :- हिन्दू धर्म में कहते हैं कि ब्रह्माजी जन्म देने वाले, विष्णु पालने वाले और शिव वापस ले जाने वाले देवता हैं। भगवान विष्णु तो जगत के पालनहार हैं। वे सभी के दुख दूर कर उनको श्रेष्ठ जीवन का वरदान देते हैं। जीवन में किसी भी तरह का संकट हो या धरती पर किसी भी तरह का संकट खड़ा हो गया हो, तो विष्णु ही उसका समाधान खोजकर उसे हल करते हैं। 

भगवान विष्णु ने ही नृसिंह अवतार लेकर एक और जहां अपने भक्त प्रहलाद को बचाया था वहीं क्रूर हिरण्यकश्यपु से प्रजा को मुक्ति दिलाई थी। उसी तरह वराह अवतार लेकर उन्होंने महाभयंकर हिरण्याक्ष का वध करके देव, मानव और अन्य सभी को भयमुक्त किया था। उन्होंने ही महाबलि और मायावी राजा बलि से देवताओं की रक्षा की थी। 

इसी तरह श्रीहरि विष्‍णु ने कुछ ऐसे कार्य किए थे जिनको जनकल्याण के लिए किया गया छल कहा गया। यदि वे ऐसा नहीं करते तो कई देवी और देवताओं की जान संकट में होती। तो आओ जानते हैं श्रीहरि विष्णु द्वारा जनहित में किए गए 5 छल… 

भस्मासुर के साथ छल : भस्मासुर का नाम सुनकर सभी को उसकी कथा याद हो आई होगी। भस्मासुर के कारण भगवान ‍शंकर की जान संकट में आ गई थी। हालांकि भस्मासुर का नाम कुछ और था लेकिन भस्म करने का वरदान प्राप्त करने के कारण उसका नाम भस्मासुर पड़ गया। 

भस्मासुर एक महापापी असुर था। उसने अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए भगवान शंकर की घोर तपस्या की और उनसे अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन भगवान शंकर ने कहा कि तुम कुछ और मांग लो तब भस्मासुर ने वरदान मांगा कि मैं जिसके भी सिर पर हाथ रखूं वह भस्म हो जाए। भगवान शंकर ने कहा- तथास्तु। 

भस्मासुर ने इस वरदान के मिलते ही कहा, भगवन क्यों न इस वरदान की शक्ति को परख लिया जाए। तब वह स्वयं शिवजी के सिर पर हाथ रखने के लिए दौड़ा। शिवजी भी वहां से भागे और विष्णुजी की शरण में छुप गए। तब विष्णुजी ने एक सुन्दर स्त्री का रूप धारण कर भस्मासुर को आकर्षित किया। भस्मासुर शिव को भूलकर उस सुंदर स्त्री के मोहपाश में बंध गया। मोहिनी स्त्रीरूपी विष्णु ने भस्मासुर को खुद के साथ नृत्य करने के लिए प्रेरित किया। भस्मासुर तुरंत ही मान गया। 

नृत्य करते समय भस्मासुर मोहिनी की ही तरह नृत्य करने लगा और उचित मौका देखकर विष्णुजी ने अपने सिर पर हाथ रखा। शक्ति और काम के नशे में चूर भस्मासुर ने जिसकी नकल की और भस्मासुर अपने ही प्राप्त वरदान से भस्म हो गया। 

यहां छुपे थे शिव : भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शंकर वहां से भाग गए। उनके पीछे भस्मासुर भी भागने लगा। भागते-भागते शिवजी एक पहाड़ी के पास रुके और फिर उन्होंने इस पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए। बाद में विष्णुजी ने आकर उनकी जान बचाई। माना जाता है कि वह गुफा जम्मू से 150 किलोमीटर दूर त्रिकुटा की पहाड़ियों पर है। इन खूबसूरत पहाड़ियों को देखने से ही मन शांत हो जाता है। इस गुफा में हर दिन सैकड़ों की तादाद में शिवभक्त शिव की आराधना करते हैं। 

वृंदा के साथ छल : श्रीमद्मदेवी भागवत पुराण अनुसार जलंधर असुर शिव का अंश था, लेकिन उसे इसका पता नहीं था। जलंधर बहुत ही शक्तिशाली असुर था। इंद्र को पराजित कर जलंधर तीनों लोकों का स्वामी बन बैठा था। यमराज भी उससे डरते थे। 

श्रीमद्मदेवी भागवत पुराण अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपना तेज समुद्र में फेंक दिया तथा इससे जलंधर उत्पन्न हुआ। माना जाता है कि जलंधर में अपार शक्ति थी और उसकी शक्ति का कारण थी उसकी पत्नी वृंदा। वृंदा के पतिव्रत धर्म के कारण सभी देवी-देवता मिलकर भी जलंधर को पराजित नहीं कर पा रहे थे। जलंधर को इससे अपने शक्तिशाली होने का अभिमान हो गया और वह वृंदा के पतिव्रत धर्म की अवहेलना करके देवताओं के विरुद्ध कार्य कर उनकी स्त्रियों को सताने लगा। 

जलंधर को मालूम था कि ब्रहांड में सबसे शक्तिशाली कोई है तो वे हैं देवों के देव महादेव। जलंधर ने खुद को सर्वशक्तिमान रूप में स्थापित करने के लिए क्रमश: पहले इंद्र को परास्त किया और त्रिलोकाधिपति बन गया। इसके बाद उसने विष्णु लोक पर आक्रमण किया। 

जलंधर ने विष्णु को परास्त कर देवी लक्ष्मी को विष्णु से छीन लेने की योजना बनाई। इसके चलते उसने बैकुण्ठ पर आक्रमण कर दिया, लेकिन देवी लक्ष्मी ने जलंधर से कहा कि हम दोनों ही जल से उत्पन्न हुए हैं इसलिए हम भाई-बहन हैं। देवी लक्ष्मी की बातों से जलंधर प्रभावित हुआ और लक्ष्मी को बहन मानकर बैकुण्ठ से चला गया। 

इसके बाद उसने कैलाश पर आक्रमण करने की योजना बनाई और अपने सभी असुरों को इकट्ठा किया और कैलाश जाकर देवी पार्वती को पत्नी बनाने के लिए प्रयास करने लगा। इससे देवी पार्वती क्रोधित हो गईं और तब महादेव को जलंधर से युद्घ करना पड़ा, लेकिन वृंदा के सतीत्व के कारण भगवान शिव का हर प्रहार जलंधर निष्फल कर देता था। 

अंत में देवताओं ने मिलकर योजना बनाई और भगवान विष्णु जलंधर का वेष धारण करके वृंदा के पास पहुंच गए। वृंदा भगवान विष्णु को अपना पति जलंधर समझकर उनके साथ पत्नी के समान व्यवहार करने लगी। इससे वृंदा का पतिव्रत धर्म टूट गया और शिव ने जलंधर का वध कर दिया। 

विष्णु द्वारा सतीत्व भंग किए जाने पर वृंदा ने आत्मदाह कर लिया, तब उसकी राख के ऊपर तुलसी का एक पौधा जन्मा। तुलसी देवी वृंदा का ही स्वरूप है जिसे भगवान विष्णु लक्ष्मी से भी अधिक प्रिय मानते हैं। 

भारत के पंजाब प्रांत में वर्तमान जालंधर नगर जलंधर के नाम पर ही है। जालंधर में आज भी असुरराज जलंधर की पत्नी देवी वृंदा का मंदिर मोहल्ला कोट किशनचंद में स्थित है। मान्यता है कि यहां एक प्राचीन गुफा थी, जो सीधी हरिद्वार तक जाती थी। माना जाता है कि प्राचीनकाल में इस नगर के आसपास 12 तालाब हुआ करते थे। नगर में जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था 

मोहिनी बनकर किया असुरों के साथ छल : जब इन्द्र दैत्यों के राजा बलि से युद्ध में हार गए, तब हताश और निराश हुए देवता ब्रह्माजी को साथ लेकर श्रीहरि विष्णु के आश्रय में गए और उनसे अपना स्वर्गलोक वापस पाने के लिए प्रार्थना करने लगे। 

श्रीहरि ने कहा कि आप सभी देवतागण दैत्यों से सुलह कर लें और उनका सहयोग पाकर मदरांचल को मथानी तथा वासुकि नाग को रस्सी बनाकर क्षीरसागर का मंथन करें। समुद्र मंथन से जो अमृत प्राप्त होगा उसे पिलाकर मैं आप सभी देवताओं को अजर-अमर कर दूंगा तत्पश्चात ही देवता, दैत्यों का विनाश करके पुनः स्वर्ग का आधिपत्य पा सकेंगे। 

देवताओं के राजा इन्द्र दैत्यों के राजा बलि के पास गए और उनके समक्ष समुद्र मंथन का प्रस्ताव रखा और अमृत की बात बताई। अमृत के लालच में आकर दैत्य ने देवताओं का साथ देने का वचन दिया। देवताओं और दैत्यों ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर मदरांचल पर्वत को उठाकर समुद्र तट पर लेकर जाने की चेष्टा की लेकिन नहीं उठा पाए तब श्रीहरि ने उसे उठाकर समुद्र में रख दिया। 

मदरांचल को मथानी एवं वासुकि नाग की रस्सी बनाकर समुद्र मंथन का शुभ कार्य आरंभ हुआ। श्रीविष्णु की नजर मथानी पर पड़ी, जो कि अंदर की ओर धंसती चली जा रही थी। यह देखकर उन्होंने स्वयं कच्छप बनाकर अपनी पीठ पर मदरांचल पर्वत को रख लिया। 

तत्पश्चात समुद्र मंथन से लक्ष्मी, कौस्तुभ, पारिजात, सुरा, धन्वंतरि, चंद्रमा, पुष्पक, ऐरावत, पाञ्चजन्य, शंख, रम्भा, कामधेनु, उच्चैःश्रवा और अंत में अमृत कुंभ निकले जिसे लेकर धन्वन्तरिजी आए। उनके हाथों से अमृत कलश छीनकर दैत्य भागने लगे ताकि देवताओं से पूर्व अमृतपान करके वे अमर हो जाएं। दैत्यों के बीच कलश के लिए झगड़ा शुरू हो गया और देवता हताश खड़े थे। 

श्रीविष्णु अति सुंदर नारी का रूप धारण करके देवता और दैत्यों के बीच पहुंच गए और उन्होंने अमृत को समान रूप से बांटने का प्रस्ताव रखा। दैत्यों ने मोहित होकर अमृत का कलश श्रीविष्णु को सौंप दिया। मोहिनी रूपधारी विष्णु ने कहा कि मैं जैसे भी विभाजन का कार्य करूं, चाहे वह उचित हो या अनुचित, तुम लोग बीच में बाधा उत्पन्न न करने का वचन दो तभी मैं इस काम को करूंगी। 

सभी ने मोहिनीरूपी भगवान की बात मान ली। देवता और दैत्य अलग-अलग पंक्तियों में बैठ गए। मोहिनी रूप धारण करके विष्णु ने छल से सारा अमृत देवताओं को पिला दिया, लेकिन इससे दैत्यों में भारी आक्रोश फैल गया। 

असुरराज बलि के साथ छल : असुरों के राजा बलि की चर्चा पुराणों में बहुत होती है। वह अपार शक्तियों का स्वामी लेकिन धर्मात्मा था। दान-पुण्य करने में वह कभी पीछे नहीं रहता था। उसकी सबसे बड़ी खामी यह थी कि उसे अपनी शक्तियों पर घमंड था और वह खुद को ईश्वर के समकक्ष मानता था और वह देवताओं का घोर विरोधी था। कश्यप ऋषि की पत्नी दिति के दो प्रमुख पुत्र हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष थे। हिरण्यकश्यप के 4 पुत्र थे- अनुहल्लाद, हल्लाद, भक्त प्रह्लाद और संहल्लाद। प्रह्लाद के कुल में विरोचन के पुत्र राजा बलि का जन्म हुआ। 

राजा बलि का राज्य संपूर्ण दक्षिण भारत में था। उन्होंने महाबलीपुरम को अपनी राजधानी बनाया था। आज भी केरल में ओणम का पर्व राजा बलि की याद में ही मनाया जाता है। राजा बलि ने विश्वविजय की सोचकर अश्वमेध यज्ञ किया और इस यज्ञ के चलते उसकी प्रसिद्धि चारों ओर फैलने लगी। अग्निहोत्र सहित उसने 98 यज्ञ संपन्न कराए थे और इस तरह उसके राज्य और शक्ति का विस्तार होता ही जा रहा था, तब उसने इंद्र के राज्य पर चढ़ाई करने की सोची। इस तरह राजा बलि ने 99वें यज्ञ की घोषणा की और सभी राज्यों और नगरवासियों को निमंत्रण भेजा। देवताओं की ओर गंधर्व और यक्ष होते थे, तो दैत्यों की ओर दानव और राक्षस। अंतिम बार हिरण्यकशिपु के पुत्र प्रहलाद और उनके पुत्र राजा बलि के साथ इन्द्र का युद्ध हुआ और देवता हार गए, तब संपूर्ण जम्बूद्वीप पर असुरों का राज हो गया। 

तब लेना पड़ा वामन अवतार : वामन ॠषि कश्यप तथा उनकी पत्नी अदिति के पुत्र थे। वे आदित्यों में 12वें थे। ऐसी मान्यता है कि वे इन्द्र के छोटे भाई थे और राजा बलि के सौतेले भाई। विष्णु ने इसी रूप में जन्म लिया था। देवता बलि को नष्ट करने में असमर्थ थे। बलि ने देवताओं को यज्ञ करने जितनी भूमि ही दे रखी थी। तब सभी देवता विष्णु की शरण में गए। विष्णु ने कहा कि वह भी (बलि भी) उनका भक्त है, फिर भी वे कोई युक्ति सोचेंगे। 

तब विष्णु ने अदिति के यहां जन्म लिया और एक दिन जब बलि यज्ञ की योजना बना रहा था तब वे ब्राह्मण-वेश में वहां दान लेने पहुंच गए। उन्हें देखते ही शुक्राचार्य उन्हें पहचान गए। शुक्र ने उन्हें देखते ही बलि से कहा कि वे विष्णु हैं। मुझसे पूछे बिना कोई भी वस्तु उन्हें दान मत करना। लेकिन बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं सुनी और वामन के दान मांगने पर उनको तीन पग भूमि दान में दे दी। 

जब जल छोड़कर सब दान कर दिया गया, तब ब्राह्मण वेश में वामन भगवान ने अपना विराट रूप दिखा दिया। भगवान ने एक पग में भूमंडल नाप लिया। दूसरे में स्वर्ग और तीसरे के लिए बलि से पूछा कि तीसरा पग कहां रखूं? पूछने पर बलि ने मुस्कराकर कहा- इसमें तो कमी आपके ही संसार बनाने की हुई, मैं क्या करूं भगवान? अब तो मेरा सिर ही बचा है। इस प्रकार विष्णु ने उसके सिर पर तीसरा पैर रख दिया। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णु ने उसे पाताल में रसातल का कलियुग के अंत तक राजा बने रहने का वरदान दे दिया। तब बलि ने विष्णु से एक और वरदान मांगा। राजा बलि ने कहा कि भगवान यदि आप मुझे पाताल लोक का राजा बना ही रहे हैं तो मुझे वरदान ‍दीजिए कि मेरा साम्राज्य शत्रुओं के प्रपंचों से बचा रहे और आप मेरे साथ रहें। अपने भक्त के अनुरोध पर भगवान विष्णु ने राजा बलि के निवास में रहने का संकल्प लिया। 

पातालपुरी में राजा बलि के राज्य में आठों प्रहर भगवान विष्णु सशरीर उपस्थित रह उनकी रक्षा करने लगे और इस तरह बलि निश्चिंत होकर सोता था और संपूर्ण पातालपुरी में शुक्राचार्य के साथ रहकर एक नए धर्म राज्य की व्यवस्था संचालित करता है। 

माता पार्वती के साथ छल : माना जाता है कि बद्रीनाथ धाम कभी भगवान शिव और पार्वती का विश्राम स्थान हुआ करता था। यहां भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते थे लेकिन श्रीहरि विष्णु को यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने इसे प्राप्त करने के लिए योजना बनाई। 

पुराण कथा के अनुसार सतयुग में जब भगवान नारायण बद्रीनाथ आए तब यहां बदरीयों यानी बेर का वन था और यहां भगवान शंकर अपनी अर्द्धांगिनी पार्वतीजी के साथ मजे से रहते थे। एक दिन श्रीहरि विष्णु बालक का रूप धारण कर जोर-जोर से रोने लगे। उनके रुदन को सुनकर माता पार्वती को बड़ी पीड़ा हुई। वे सोचने लगीं कि इस बीहड़ वन में यह कौन बालक रो रहा है? यह आया कहां से? और इसकी माता कहां है? यही सब सोचकर माता को बालक पर दया आ गई। तब वे उस बालक को लेकर अपने घर पहुंचीं। शिवजी तुरंत ही ‍समझ गए कि यह कोई विष्णु की लीला है। उन्होंने पार्वती से इस बालक को घर के बाहर छोड़ देने का आग्रह किया और कहा कि वह अपने आप ही कुछ देर रोकर चला जाएगा। लेकिन पार्वती मां ने उनकी बात नहीं मानी और बालक को घर में ले जाकर चुप कराकर सुलाने लगी। कुछ ही देर में बालक सो गया तब माता पार्वती बाहर आ गईं और शिवजी के साथ कुछ दूर भ्रमण पर चली गईं। भगवान विष्णु को इसी पल का इंतजार था। इन्होंने उठकर घर का दरवाजा बंद कर दिया। 

भगवान शिव और पार्वती जब घर लौटे तो द्वार अंदर से बंद था। इन्होंने जब बालक से द्वार खोलने के लिए कहा तब अंदर से भगवान विष्णु ने कहा कि अब आप भूल जाइए भगवन। यह स्थान मुझे बहुत पसंद आ गया है। मुझे यहीं विश्राम करने दी‍जिए। अब आप यहां से केदारनाथ जाएं। तब से लेकर आज तक बद्रीनाथ यहां पर अपने भक्तों को दर्शन दे रहे हैं और भगवान शिव केदानाथ में।

©N S Yadav GoldMine
  #CityWinter {Bolo Ji Radhey Radhey}
जब भगवान विष्णु ने लोक कल्याण के लिए किए छल :- हिन्दू धर्म में कहते हैं कि ब्रह्माजी जन्म देने वाले, विष

#CityWinter {Bolo Ji Radhey Radhey} जब भगवान विष्णु ने लोक कल्याण के लिए किए छल :- हिन्दू धर्म में कहते हैं कि ब्रह्माजी जन्म देने वाले, विष #प्रेरक

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कवि मनीष

 नया साल लाए आप सभी के जीवन में खुशियों का भण्डार,
आप सभी के जीवन में छाई रहे रंगो भरी बहार

#कविमनीष 
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नया साल लाए आप सभी के जीवन में खुशियों का भण्डार, आप सभी के जीवन में छाई रहे रंगो भरी बहार #कविमनीष ************************************** #nojotophoto

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Ayushi Shukla

न जाने ज़िन्दगी के किस पल में ढली थी मैं
अभी तो  सफ़र में, एक पग  ही चली थी मैं

कितना कुछ दिखा दिया, हमको ज़िन्दगी ने
अभी तो कुछ वर्षों, से ही फकत पली थी मैं

आगे जाने की सीढियाँ,जैसे ओझल हो गयी
अभी ज़िन्दगी की, कुछ  सीढियाँ चढ़ी थी मैं

आज फिर से एक अरसे पर,दोहराया वो पल 
जिस पल से  एक अरसा  पहले, लड़ी थी मैं

हाँ फिर उसी तरह ज़िन्दगी में,आज गिर गयी
जैसे  पहले  एक दफा और, गिर चुकी थी मैं

संभलने की  कोशिशें, अब नाकाम लगती है
चूंकि बड़ी मुश्किलों  से पहले, संभली थी मैं

बहुत सी उलझनों में,आज उलझी है तू 'आयु'
उलझना ही था,जो सीमातीत मनचली थी मैं लिखती हू लेखनी में तुझे हमेशा, सोचा अब अपना किरदार लिखूं..
खूबियां शायद नहीं मुझमें, तो सोचा अपनी कमियों का भण्डार लिखूं..

_____________☹️_

लिखती हू लेखनी में तुझे हमेशा, सोचा अब अपना किरदार लिखूं.. खूबियां शायद नहीं मुझमें, तो सोचा अपनी कमियों का भण्डार लिखूं.. _____________☹️_ #Humour #sadness #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ज़िन्दगीकीकिताब #बेवजहसीजिंदगी

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एक इबादत

सुनो ....yq पर जितनी बहन,दीदी है मेरी सब से हाथ जोड़ प्रार्थना है रक्षाबंधन आ रहा राखी भिजवा दीजिएगा ,मिठाई जरूरी नही है...

मैं तोहफा देने की जगह एक दिन का सभी बहनों की खुशी के लिए उपवास रख लूंगा... priyanjaliverma 
Janhavi Singh 
Shiksha Srishti 
Ankita Patel 
Poonam Suthar 
Supriya S. Deekshit
# और जितने भी बन सको,या हो...🙏🙏🙏💞🌹🌹🌹🌹

priyanjaliverma Janhavi Singh Shiksha Srishti Ankita Patel Poonam Suthar Supriya S. Deekshit # और जितने भी बन सको,या हो...🙏🙏🙏💞🌹🌹🌹🌹

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Divyanshu Pathak

भौतिक जीवन का लक्ष्य भोग है,
आध्यात्मिक साधनों का लक्ष्य मोक्ष है।
यही हमारे मन की दो धाराएं हैं।
मन ही किसी धारा में फैलता है,
वही सिकुड़ता है।
अहंकार ही पतन की शुरुआत है।
अहंकारी किसी दूसरे को नहीं
स्वयं को खत्म कर लेता है।
अहंकार का कोप पीढिय़ों को
भोगना पड़ता है। अहंकार ही व्यक्ति को रावण बनाता है। शिव से प्राप्त शक्ति के अहंकार से ग्रस्त होकर कैलाश पर्वत को उठाने चला था। शिव से वर प्राप्त करके भस्मास

अहंकार ही व्यक्ति को रावण बनाता है। शिव से प्राप्त शक्ति के अहंकार से ग्रस्त होकर कैलाश पर्वत को उठाने चला था। शिव से वर प्राप्त करके भस्मास

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Ajay Amitabh Suman

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-29

#Kavita #Duryodhana #Ashvatthama #Kritvarma #Kripacharya #Mahabharata #Mahadev #Shiv #Rudra 

महाकाल क्रुद्ध हो

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-29 #kavita #Duryodhana #Ashvatthama #Kritvarma #Kripacharya #Mahabharata #mahadev #Shiv #RuDra महाकाल क्रुद्ध हो #कविता

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Ajay Amitabh Suman

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©Ajay Amitabh Suman दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-29

#Kavita #Duryodhana #Ashvatthama #Kritvarma #Kripacharya #Mahabharata #Mahadev #Shiv #Rudra  

महाकाल क्रुद्ध ह

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रजनीश "स्वच्छंद"

मैं भष्मासुर।।

मैं मानव हूँ मैं श्रेष्ठ रहा,
मैं बुद्धि-बल से ज्येष्ठ रहा।
मेरी विजय का बजता डंका,
हस्तिनापुर हो या हो लंका।
मुझमे विवेक विशेष रहा,
जग अविवेकी शेष रहा।
इस युग का मैं निर्माता हूँ,
नीति-नियंता विधाता हूँ।
धरा नदी ये पर्वत सारे,
मेरे विवेक के आगे हारे।
पाषाण में तप था बहुत किया,
मनचाहा वर सृष्टि ने दिया।
पल में मैं सागर लांघ रहा,
मुर्गा अभी भी देता बांग रहा।
वो सदियों से वहीं पे बैठा रहा,
मानो जड़ता ही उसमे पैठा रहा।
हमने विकास का मंत्र लिया,
हर काम हवाले यंत्र किया।
अब मौत भी मुझसे हारी है,
मेरी बुद्धि ही सबपे भारी है।
मैं ब्रह्मा विष्णु महेश हुआ,
जग बाकी सब दरवेश हुआ।

जो आज मैं अंदर झांक रहा,
कितना सच है जो हांक रहा।
मैंने जो तप था बड़ा किया,
वर ले सृष्टि को खड़ा किया।
अमरत्व का वर था मांगा मैने,
था सृष्टि नियम भी लांघा मैंने।
जो मांगा मुझको मिलता रहा,
मेरे बल से जग ये हिलता रहा।
सृष्टि से वर ले दम्भ हुआ,
एक खोट प्रकट अविलम्ब हुआ।
जो हुआ मैं निर्माता सृष्टि का,
बदला था सार मेरी दृष्टि का।
ले वर करने मैँ अंत चला,
हत्या उसकी जो अनन्त चला।
प्रकृति भी जब मुझसे हारी,
बोली कि अब मेरी बारी।
बन मोहिनी भौतिकता छाई थी,
अभिशाप छुपा संग लायी थी।
मैं कामातुर मोहित उस पर,
एक नृत्य हुआ उस उत्सव पर।
निज हाथों में भष्म का वर मेरा,
नृत्य ऐसा था कर-नीचे सर मेरा।
फिर वही कहानी गढ़ी गयी,
एक छद्म लड़ाई लड़ी गयी।
था भष्मासुर अवतरित हुआ,
बलशाली पर भंगुर त्वरित हुआ।
मैं मनुज नहीं मैं भष्मासुर,
अपनी हत्या को ही आतुर।
वृत्ताकार समय जो चलता है,
हर युग भष्मासुर मरता है।

©रजनीश "स्वछंद" मैं भष्मासुर।।

मैं मानव हूँ मैं श्रेष्ठ रहा,
मैं बुद्धि-बल से ज्येष्ठ रहा।
मेरी विजय का बजता डंका,
हस्तिनापुर हो या हो लंका।
मुझमे विवेक वि

मैं भष्मासुर।। मैं मानव हूँ मैं श्रेष्ठ रहा, मैं बुद्धि-बल से ज्येष्ठ रहा। मेरी विजय का बजता डंका, हस्तिनापुर हो या हो लंका। मुझमे विवेक वि #Poetry #Quotes #Nature #Human #kavita

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Kulbhushan Arora

क्रोध भस्मासुर है 😡😡
#bachau _ki _bitiya  क्रोध भस्मासुर है,
अग्नि है क्रोध,
हमें भस्म करती है
बुद्धि को विचलित करती हैं 
क्रोध में ....
बुद्धि विचलित
अविवेक आया,
ज्ञानशक्ति पस्त,

क्रोध भस्मासुर है, अग्नि है क्रोध, हमें भस्म करती है बुद्धि को विचलित करती हैं क्रोध में .... बुद्धि विचलित अविवेक आया, ज्ञानशक्ति पस्त, #yqquotes #Bachau #yqकुलभूषणदीप #yqkrodh

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Love Prashar

 #Shiv #Shivratri

अघोर तपस्वी तू  भण्डार  है  ज्ञान  का  
ॐ की  संतान तू  चिन्ह  है  शमशान  का  

तू  भोला भंडारी तू  रुदर महाकाल है 
तू इष्

#Shiv #shivratri अघोर तपस्वी तू भण्डार है ज्ञान का ॐ की संतान तू चिन्ह है शमशान का तू भोला भंडारी तू रुदर महाकाल है तू इष् #Poetry

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Munmun Dhali

Namaskar chachaji...mukh se bole..

Dil mei..sala phir aa gaya...bakaitee karne.
.

Aao bhagat..sab gul hai...
.
Baki sab thik hai...
 प्रिय परिवारजनों को नमस्कार।

एक लेखक को अच्छे लेखन के लिए उचित शब्दों का चुनाव बहुत आवश्यक है। इस के लिए उस के पास पर्याप्त शब्द भण्डार होन

प्रिय परिवारजनों को नमस्कार। एक लेखक को अच्छे लेखन के लिए उचित शब्दों का चुनाव बहुत आवश्यक है। इस के लिए उस के पास पर्याप्त शब्द भण्डार होन #Challenge #yqdidi #YourQuoteAndMine #अभिनंदन

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Ravendra

जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय कामुख्य बिकास अधिकारी ने किया औचक निरीक्षण 

बहराइच। चिकित्सालय द्वारा प्रदान की जा रही चिकित्सकीय सेवाओं एवं सुव

जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय कामुख्य बिकास अधिकारी ने किया औचक निरीक्षण बहराइच। चिकित्सालय द्वारा प्रदान की जा रही चिकित्सकीय सेवाओं एवं सुव #न्यूज़

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SUNIL MADAAN

बातों में, आपकी, खुशियाँ साथ हैं
हँसते जो लफ्ज़ों में तुम, इक अदा खास है
लिखते हो जब भी जो तुम
तो महकती है यह जो फ़िज़ा, आसपास है

हर रंग में तुम, रहते हो खुश, यही बात है
सब को जो तुम, देते हो खुशी, बड़ी खास है
फूलों सी, मुस्कुराहट लिए
हर पन्ने पर, बिखेरते, तुम अपने श्वास है

बेदाग तुम, *श्वेत* पन्नों सी, मन की साफ है
हर पल दुआ, जो देते हो तुम, रूह पाक है
अपनापन, रखते हो जो, प्रेम की मिसाल है
गैरों को भी, अपना लेते हो, ऐसे ज़ज़्बात हैं

सबके दिलों में बसते रहो, आपकी जगह खास है
बिखेरते रहो खुशियों के रंग, होली की जैसे रास है
कलम आपकी सदा चलती रहे, प्रभु का इसमें वास है
*श्वेत* फूलों से महकते रहो, मेरी दुआ श्वास-श्वास है Dedicating a #testimonial to Sweta Mishra Ji

आपके गुणों के भण्डार को जितना गहराई में खोजता गया, असीम ही पाया, मेरे शब्द इन्हें वर्णित करने

Dedicating a #testimonial to Sweta Mishra Ji आपके गुणों के भण्डार को जितना गहराई में खोजता गया, असीम ही पाया, मेरे शब्द इन्हें वर्णित करने #yqbaba #yqdidi #yqlove #yqshayari #yqpoetry #anupamsongs #yqsunilmadaan

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सोमेश त्रिवेदी

माँ दुर्गा की प्रतिकृतियाँ / कविता कानन / रंजना वर्मा ठहर आततायी, मत समझ हमें असहाय दुर्बल सहज प्राप्य । हम भण्डार हैं

माँ दुर्गा की प्रतिकृतियाँ / कविता कानन / रंजना वर्मा ठहर आततायी, मत समझ हमें असहाय दुर्बल सहज प्राप्य । हम भण्डार हैं

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विषय       हिन्दी 
विधा        दोहा

हिन्दी हिन्दस्तान की , सुन लो होती शान ।
इसके देश विदेश में , है लाखो विद्वान ।।१

हिन्दी से नित मिल रहा , भारत को सम्मान ।
हिन्दी ही पहचान है , करो सदा गुणगान ।।२

हिन्दी-हिन्दी रट रहे , हिन्दी में कुछ खास ।
हिन्दी पढ़ ले आप तो , हो जाए विश्वास ।।३

प्रथम बोल नवजात के , माँ से हो शुरुआत ।
हिन्दी के यह बोल है , होता सबको ज्ञात ।।४

हिन्दी भाषा में भरा , सुनो ज्ञान भण्डार ।
वर्ण-वर्ण पढ़कर कभी , तुम भी करो विचार ।।५

१५/०९/२०२३     -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय       हिन्दी 

विधा        दोहा


हिन्दी हिन्दस्तान की , सुन लो होती शान ।

इसके देश विदेश में , है लाखो विद्वान ।।१

विषय       हिन्दी  विधा        दोहा हिन्दी हिन्दस्तान की , सुन लो होती शान । इसके देश विदेश में , है लाखो विद्वान ।।१ #कविता

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Anjuola Singh (Bhaddoria)

एकाकी प्रीत
नि:शब्द प्यार
अनेकानेक अव्यक्त
हृदय के मनोभाव,
अनुराग बन गई है।
                           खुद सवाल
                           खुद जवाब
                           ज़िन्दगी अप्रितम
                           असंख्य प्रश्नों का
                           संवाद बन गई है।
दर्द आपका
खुशी आपकी
मुझमें समा गई है
आलौकिक प्रेम बन
वैराग्य बन गई है।
                         श्रद्धा रूपी प्रेम
                         नतमस्तक नैंन
                         स्थाई अवलम्बन
                         प्रेरणाओं का अक्षय
                         भण्डार बन गई है।
कुछ खोकर है कुछ पाना,
मुझे प्यार है तुमसे
तुम्ही से है ये छुपाना
ज़िन्दगी सुलगती क्रांति की
 मशाल बन गई है।
                         एक राज़, एक आगाज़,
                         खुद पर तनिक विश्वास,
                         थोड़ा उन्मुक्त स्वछंदवास,
                         ज़िन्दगी एक नवीनतम,
                         अंदाज़ बन गई है।
 #Nojoto #एकाकी_प्रीत #Poetry #Kavishala #AnjulaSinghBhadauria #Love

एकाकी प्रीत
नि:शब्द प्यार
अनेकानेक अव्यक्त
हृदय के मनोभाव,
अनुराग बन गई

#एकाकी_प्रीत #Poetry #kavishala #AnjulaSinghBhadauria #Love एकाकी प्रीत नि:शब्द प्यार अनेकानेक अव्यक्त हृदय के मनोभाव, अनुराग बन गई

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Pranav K

#hindipoetry Hindi #Poetry #Hindi परिवर्तन मैं उदास हूँ बीती हुई बात हूँ गुजरी हुई रात हूँ हारी हुई बिसात हूँ #nojotohindi

#hindipoetry Hindi #Poetry #Hindi परिवर्तन मैं उदास हूँ बीती हुई बात हूँ गुजरी हुई रात हूँ हारी हुई बिसात हूँ #nojotohindi

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अज्ञात

जय सियाराम

©Rakesh Kumar Soni #राम 
दुर्लभ है संसार में रामचरित सा ग्रंथ
शब्द शब्द परब्रम्ह है यह सद्गति का पंथ.!!

संतति के सब गुन कहे,मनु जीवन आधार
रामायण पावन परम,ज्ञा

#राम दुर्लभ है संसार में रामचरित सा ग्रंथ शब्द शब्द परब्रम्ह है यह सद्गति का पंथ.!! संतति के सब गुन कहे,मनु जीवन आधार रामायण पावन परम,ज्ञा #कविता

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Amit Tiwari

मेरे विचार ...और शुभकामनायें 
जिस इंसान में श्रद्धा का भाव निहित है ... उसे भगवान् पर अपने इष्ट पर जिनमे भी वो पूर्ण रूप से आस्था रखता है .. चाहे हो मूर्ति पूजक हो या सिर्फ ईश्वर के भाव को मानता हो ... उन्हें निराकार रूप में देखना पसंद करता हो ... ये उसका अपना नजरिया है ...बस आप सच्ची श्रद्धा रखो .. क्युकी श्रद्धा में साहस , विश्वास ,शांति दिलाने वाली शक्ति का भण्डार है ...
अपने प्रभु की भक्ति में लींन रहिये ... बस इसी  आशा के साथ अमित तिवारी की तरफ से   आप सभी को  माँ नवदुर्गा के पावन पर्व  नवरात्रि  की हार्दिक शुभकामनायें 
   जय माता दी 
-  अमित मेरे विचार ...और शुभकामनायें 

जिस इंसान में श्रद्धा का भाव निहित है ... उसे भगवान् पर अपने इष्ट पर जिनमे भी वो पूर्ण रूप से आस्था रखता है .

मेरे विचार ...और शुभकामनायें  जिस इंसान में श्रद्धा का भाव निहित है ... उसे भगवान् पर अपने इष्ट पर जिनमे भी वो पूर्ण रूप से आस्था रखता है . #Love #nojotohindi #jai #Mata #vichaar #Navraatri

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Devesh Dixit

अटल सत्य (दोहे)

अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान।
फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभिमान।।

मोह छूटता है नहीं, अद्भुत ये संसार।
अटल सत्य ये जान कर, भरते भी भण्डार।।

अनदेखा इसको करें, पछताते फिर बाद।
अटल सत्य को भूल कर, दिखलाते आबाद।।

ईश्वर की ही देन है, ये जो माया जाल।
अटल सत्य है जान लो, मौत यही विकराल।।

घबराते इससे बहुत, आज सभी इंसान।
अटल सत्य है क्या कहें, कहते सभी सुजान।।
...............................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #अटल_सत्य #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry 

अटल सत्य (दोहे)

अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान।
फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभि

#अटल_सत्य #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अटल सत्य (दोहे) अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान। फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभि #Poetry #sandiprohila

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Pratiksha Jain

teacher's day जन्म दायिनी माताएं है ,पिता हमारे रक्षक मानवता का पाठ पढाते,जीवन में हमको शिक्षक अंधकारमय जीवन में ज्ञान सूर्य जो भरते है हम

teacher's day जन्म दायिनी माताएं है ,पिता हमारे रक्षक मानवता का पाठ पढाते,जीवन में हमको शिक्षक अंधकारमय जीवन में ज्ञान सूर्य जो भरते है हम

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