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Manisha Bose
विश्व रेडियो दिवस पर एक पाती... रेडियो तुम तो मेरे मीत हो बिन बाँधें बंध गई!वो प्रीत हो सुख-दुख के साथी तुम प्रेम अपनत्व और सद्भाव भरी पाती तुम। हौसला देने वाली सदियों की एक रीत हो। नितांत गहन अंधेरा हो या नीरवता से भरा कोई पहरा हो। तेरी धुन में रम कर मेरा हर लम्हा बेबाक़ हुआ जाता है। तुझसे मिलकर आत्मविश्वास कहीं अधिक बढ़ जाता है। गाँव-गाँव, गली-गली जब-जब तेरी बयार चली। हर्षित-पुलकित होंठों पर मुस्कान की कली खिली। सुगम, सरल हर किसी को पसंद तुम्हारा अंदाज़े बयां आता है। तेरी आवाज़, आवाज़ उठाने का सलीका भी सिखलाता है। ज्ञान-विज्ञान देश-दुनियां घर-संसार सब का हाल बताता है रेडियो तुम मेरे... #रेडियोतुममेरेमीतहो
Mysterious_मनीष
'' रेड लाईट '' अक्सर देखा है मैंने और महसूस किया है। जब ट्राफिक सिग्नल की लाइट जब 'रेड' होती है। तो उसी वक़्त कार के खिडकी दरवाजों पर नजरें टिकाते है। वो छोटे छोटे सामान बेचने वाले बच्चे। उनकी आँखों में भी रौशनी की किरण दिखती है। वो सोचते है कोई उनके सामान पर भी रौशनी डालें। तो उनके घर का अँधेरा भी दूर हो,उन्हें भी रौशनी मिले। ©Manish '' #रेड_लाईट ''
Arora PR
धर्म के नाम पर चलने वाले सारे संगठन सारे सम्प्रदाय दुकानो मे परिंणित हो गए है. वहा बने बनाये रेडिमेड सत्य बड़े आराम से हमें मिल जाता है वस्त्र ही बने बनाये नहीं मिलते. सत्य भी मिल जाते है ©Arora PR रेडिमेड सत्य
upsk
हर रोज उनकी मौत होती है, दिनभर में शायद; एक,दो,तीन या कई बार। जब वो स्वयं को खूँखार भूखे भेड़ियों के सामने परोस देती हैं नोचने,फाड़ने के लिये!! अपनी आत्मिक खुशी से नही..... बल्कि; मजबूर और लाचार होकर। और वहीं से संवेदनाएं..भावहीन होकर पकड़ लेती हैं शून्यता की डगर। और जन्म लेती है लालसा..हवस की!! जो हर पल आतुर रहती है... स्त्रीत्व को जमीदोंज करने को और समस्त मानवीय संवेदनाओं को भी!! ●●●●●●●●●● ©शशिकान्त #रेडलाईट #मजबूरी #दर्द
Tausif Kazi
I miss those days वो रेडियो जॉकी की नज़ाकत, वो सदाबहार गीत, वो कहानियों को यूँ बयाँ करना मानो कानो से देख रहे हो, और गर्मियों में रेड़ियो के धुन सुनकर दोपहर में आने वाली मीठी निंद,,, याद आती है। #NojotoQuote रेडिओ #WorldRadioDay #radio #nojoto
Mahfuz nisar
खूं और गोश्त? क्या तुमने वो कतरन देखे हैं, जो अपने फ़ायदे के लिये काटे , तुम्हारा काम तराशने का था, तुम खो गये हो बनाने में, पूरी तरह से खो जाओगे, तुम इन कतरनों की वजह से, जब कोई बचेगा नहीं, तो क्या करोगे बनाये नये नामों का, ख़ुद को संगतराश बनालो, ख़ुद इमारतें सजदे में होंगी, वरना सारे गुंब-नार तुम्हारे खिलाफ़ लड़ेंगी, और लड़ के क्या हासिल कर पाओगे? खूं और गोश्त? ✍महफूज़ © रेड कार्पेट