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Amit chauhan
#OpenPoetry कैसे बयाँ करूँ, तरीके जिंदगी के साहेब कोई दूर रह कर भी दिल में उतर जाता है कोई पास रह कर भी दिल से उतर जाता है तरीके जिंदगी के
Nikhil Ranjan
रोज सुबह से देर रात तक , जो तुम मेरे मेसेज का इंतजार करती हो , मान क्यूं नहीं लेती कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो । इज़हार के तरीके
Rajendra
बदल दिए हमने अब नाराज होने के तरीके रूठने के बजाय बस हल्के से मुस्कुरा देते है । #जीने-के तरीके
Monika Arya
प्रचंड वेग से आया मैं,ब्राह्मण-असुर का जाया मैं था विश्व का सबसे बड़ा ज्ञानी मैं शिव में समाया मैं... रहते दरबार में सभी देवता नतमस्तक मेरे सोने में सुगंध कर देता मैं दस सिरो वाला दशानन मैं था अमरत्व का वरदान लिए पर लोभ-काम से हरा मैं ले आया छल से सीता को मैं... बुद्धि का विनाश था मेरा,कुल का नाश था मेरा रामसिया को ना जान पाया मैं थी चतुरंगनी सेना साथ फिर भी वनवासी से हारा मैं.... सामने था तेज पुरुषार्थ का अहंकार,लोभ,घमंड,अभिमान,काम से हरा मैं मेरे मन के विचारों अधर्म का दहन है... तभी तो जग में रावण रूपी भावनाओ का पर्व रावण दहन है.!! विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं ©Monika Arya विजयदशमी..!!
Ripudaman Jha Pinaki
विजयादशमी ---------------- विजयदशमी पर विजय उत्सव मनाती है धरा। सीतापति श्रीराम की गाथा सुनाती है धरा।। दहन होता आज है रावण और कुंभकर्ण, मेघनाद। गूंजता जयघोष है करतल करे चहुंओर नाद।। हर्ष है सुर,नर, मुनि में आज हर्षित दिग दिगंत। राम के हाथों हुआ, पापी दशानन का है अंत।। तीनों लोकों पर किया प्रभु राम ने उपकार है। अहंकारी दुष्ट रावण का किया संहार है।। जीत है यह धर्म की, यह सत्य की,परमार्थ की। राम ने है नींव रख्खी, जगत में पुरुषार्थ की।। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #विजयदशमी
hayaa collection
विजयदशमी की आप सभी को हार्दिक शुभकाममाये हया कलेक्शन 8808188880 विजयदशमी
Balraj Chaprana
लाखन अपने होश सम्भालों मारूति तुम शेष सम्भालों इन्द्र देव तुम रथ सम्भालों दशानन तुम शीष सम्भालों blrj विजयदशमी
Balraj Chaprana
खींचत बान बहुजन दानी।। (दानी दानव का प्रायवाची) राम नाम के तीर ना जानी।। अहंकार के वश में ज्ञानी।। रावण के बस में ना आनी।। हसत हसत उपहास मानी।। कोमल काया राम की जानी।। खींच प्रत्यंचा कर्रण तक सियाजी।। चीर कवच को भेदन नाभि।। दानव के प्राण भांजी।। हे राम से गुंजत बानी।। राम नाम के तीर ना जानी ।। राम नाम के तीर ना जानी।।(अवधी) blrj विजयदशमी