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Shaarang Deepak
Insprational Qoute
कृष्ण सौंदर्य वर्णन ************ मोर-मुकुट सिर पर पगड़ी तेरे धानी है, मधुर सुरों की बांसुरी मधुर तेरी वाणी है। पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ें। मोर -मुकुट सिर पर पगड़ी तेरी धानी है, मधुर सुरों की बांसुरी मधुर तेरी वाणी है, कानन कुंडल गल वैजयंती माला है, चाँद सा मुखड़ा ऐसा बृज
Sahitya Vikas Manch
साहित्य विकास मंच के whatsapp group में आज का विषय - रचना भेजने या जुड़ने के लिये - 9714292905 whatsapp number. (साथ ही अनुप्रास अलंकार की जानकारी के लिये यह पोस्ट पढें ) धन्यवाद ©Sahitya Vikas Manch *दैनिक विषयानुसार काव्य सृजन* *दिनांक : 15/03/2021* *वार- सोमवार* *विषय क्रमांक - 44* *विषय - अलंकार* ( अनुप्रास अलंकार ) *परिभाषा -*
AK__Alfaaz..
कल प्रातः, दिल की दालान मे, अठखेली करता, एक नवजात धूप का टुकड़ा, लुढ़क आया, आसमान की सीढ़ी से, मै, मौन एकांत मे, ममत्व की ममतामयी, आरामकुर्सी पर बैठे, उसे अपलक निहारता रहा, कल प्रातः, दिल की दालान मे, अठखेली करता, एक नवजात धूप का टुकड़ा, लुढ़क आया, आसमान की सीढ़ी से, मै,
Parasram Arora
ज़ब भी दी है दस्तक..... मन का दरवाझा बंद ही मिला है. ज़ब भी गीत कोई नया कहना चाहा अनचाहा छंद ही मिला है मर्गनैनी ढूंढ़ती रही है गंध कस्तूरी की युगो से. उछली कूदीं कई कई बार फ़िरभी उसे कुछभी नहीं मिला है उसे क्या पता वो अबूझ गंध कस्तूरी की उसी की नाभि मे पल रही है ©Parasram Arora कस्तूरी.... कुंडल बसे....
Parasram Arora
ज़ब भी दी है दस्तक..... मन का दरवाझा बंद ही मिला है. ज़ब भी गीत कोई नया कहना चाहा अनचाहा छंद ही मिला है मर्गनैनी ढूंढ़ती रही है गंध कस्तूरी की युगो से. उछली कूदीं कई कई बार फ़िरभी उसे कुछभी नहीं मिला है उसे क्या पता वो अबूझ गंध कस्तूरी की उसी की नाभि मे पल रही है ©Parasram Arora कस्तूरी कुंडल बसे
Dileep Kumar Dubey
तभी तक पुछे जाओगे जब तक काम आओगे, चिरागों के जलते ही बुझा दी जाती हैं माचिस की तीलियाँ ©Dileep Kumar Dubey कैंडल
Skc
अब हर घर के दरवाजे की कुंडी बंद रहती हैं। पहले लोग झाँक लेते थे तो कहीं ना कहीं से एक मुस्कान मिल ही जाती थी। Skc.... कुंडी
BIKASH RANJAN
विज्ञान ने हमको कंप्यूटर दिया कि कम समय में ज्यादा काम किया जाए और भारतीय लोग पहले कुंडली देखने लगे। आज भी अखबार में पहले लोग राशि देखने लगे जाते हैं। समझ मे नहीं आता कि इतने करोड़ों लोगों की एक जैसे भाग्य कैसे हो सकता हे। यहां कुंडली से भाग्य चलता हे , कुंडली से दिल जुड़ता हे और जिंदगी भी चलता हे। कुंडली
BIKASH RANJAN
विज्ञान ने हमको कंप्यूटर दिया कि कम समय में ज्यादा काम किया जाए और भारतीय लोग पहले कुंडली देखने लगे। आज भी अखबार में पहले लोग राशि देखने लगे जाते हैं। समझ मे नहीं आता कि इतने करोड़ों लोगों की एक जैसे भाग्य कैसे हो सकता हे। यहां कुंडली से भाग्य चलता हे , कुंडली से दिल जुड़ता हे और जिंदगी भी चलता हे। कुंडली