सुनो, हम दोस्त ही रहते हैं।
वरना जानते हो क्या होगा ?
दो - चार तारीफ के शब्द तुम कहोगे
और मैं मुस्कुरा दूँगी ।
दो - चार तारीफ तुम्हारा मैं
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Divyanshu Pathak
अपने स्वतंत्र अस्तित्व को समझने के लिए चिरकाल से लोगों ने प्रयास किए।
नई-नई तकनीकों के विकास के आधार पर नए आयामों का स्थापन किया।
विज्ञान और #स्वयं#पंछी#पाठक#हरे