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DR. LAVKESH GANDHI
LAVKESH GANDHI ©DR. LAVKESH GANDHI # गुरु नानक देव# # गुरु की सीख #
Kamal bhansali
#GuruNanakJayanti "नानक, दुःखिया सारा संसार काहे की दुश्मनी, काहे का बैर तूँ रह जग में तब तक चाह रख शुकून की मांग सब की "उससे" खैर संसार की जहाज पर हुआ सवार अच्छे कर्म की दी ऊपरवाले ने पतवार हो सके तो ये भवसागर कर ले पार"। 👉श्रद्धाजंलि सहित ✍️कमल भंसाली👈 श्रद्धाजंलि गुरु नानक को
कवि मनीष
कहे नानक पाखंड त्याग से हो सब जन का भला, जो करे औरों की मदद वही चलाए मानवता का सिलसिला #कविमनीष गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएँ । #कविमनीष
Jyoti Mahajan
सिख धर्म के संस्थापक प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी की जयंती पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐🙏🙏🙏 'वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह' 🙏बाबा नानक जी🙏 मानव धर्म की थे जो शान बाबा नानक थे वह महान जो थे सर्व संत सुजान जन- जन का किया कल्याण। अलौकिक छवि सा स्वरूप चेहरे का तेजोमय था नूर शालीनता की मूरत वह गंभीर प्रवृत्ति दिखे भरपूर बाल्यावस्था में जिसकी बातों में छिपा था रहस्य गूढ़। मानवता का पाठ पढ़ाया जप, कीरत कर, वंड-चखना सिखाया मूर्ति- पूजा ,रूढ़िवाद जैसी कुरीतियों के संग लड़ना सिखाया कर्म को श्रेष्ठ बताने वाले जात-पात का भेद मिटाने वाले लंगर प्रथा चलाने वाले दिव्य गुणों से युक्त छवि ने जन-जन को शुभ संदेश दिया परमात्मा एक अनंत सत्य है सब को यह अमिट ज्ञान दिया। दिव्य स्वरूप परम अनुरागी परमात्मा की सकल मूर्त वह धन्य-धन्य गुरु आप पधारे दूर किया फैले तम घनेरे को एक ओंकार ही सिमरे सदा कहां एक ओंकार ही बोलने को अनुसरणीय बाबा नानक हमारे संत प्यारे सदा ही वह🙏 स्वरचित एवं मौलिक ज्योति महाजन गाज़ियाबाद ©Jyoti Mahajan गुरु नानक जयंती पर विशेष #sunrays
Biikrmjet Sing
एक कहेन्दा है कि एह सभ मेरा है ते एक केन्दा है कि यह सभ प्रभु दा दित्ता है।। असी सिर्फ नाम च रत्तना है।। किसे होर चीज़ च नहीं।। यहां ओर कोई अपना नहीं सिवाए परमेश्वर के इसलिए किसी भी चीज़ यानी पैसे ज़मीन व पुत्र रिश्तेदारों का मान नहीं करना चाहिए।। ऐसा गुरमुख बताते हैं। गुर के चरण ऊपर मेरे माथे।। तां ते दूख मेरे सगले लाथे।। अर्थ:- नाम ध्याने की विधि से परमात्मा का प्रकाश मेरे मस्तक पर उदय होने लगा।। फिर मन आनंद में आ कर त्रे गुनी दुखो से मुक्त हो गया।। धुन में ध्यान, ध्यान में जानया गुरमुख अकथ कहानी।। अर्थ:- सहज धुन है गुरमुखो-संतों द्वारा की गई हर की वह कथा को ध्यान से श्रवण कर जिस में नेत्रों में बसे मन को ध्यान द्वारा साहमने रमते प्रकाश में कैसे ध्यान टिकाया जाए वह सिखाया जाता है और फिर उस ध्यान में टिक कर यानी मुख पर बसे नेत्रों द्वारा परम् प्रकाश को विधि-गुर द्वारा निहारने पर अकथ प्रभु की कहानी मन फिर जान पाता है।। सन्त संग अंतर प्रभ दीठा नाम प्रभु का लागा मीठा।। हरि के संतों के संग नाम ध्याने की विधि यानी गुर ले कर परमात्मा सारी सृष्टि के अंतर दिख गया फिर वह विधि-गुर-नाम मन को मीठा लगने लगा मतलब भा जाना मन नू।। ©Biikrmjet Sing #गुरबाणी
Poetry with Avdhesh Kanojia
#GuruNanakJayanti नमन कोटि गुरु नानक को चरण कमल सिर नाऊँ। गुरु नानक जी स्वामी और मैं नानक दास कहाऊँ।। ✍️अवधेश कनौजिया© नमन कोटि गुरु नानक को चरण कमल सिर नाऊँ। गुरु नानक जी स्वामी और मैं नानक दास कहाऊँ।। ✍️अवधेश कनौजिया©