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Mansi Rathour

संध्या पूजा की विधि

संध्या पूजा की विधि #विचार

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Dr. Manishacharya Yoga Guru Astrologer

श्राद्ध : एक पर्व श्रद्धा का

श्राद्ध : एक पर्व श्रद्धा का

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@nil J@in R@J

माँ दुर्गा के स्वरूप शैलपुत्री की पूजा विधि
मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें और उसके नीचें लकडी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछायें। इसके ऊपर केशर से शं लिखें और उसके ऊपर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखें। तत्पश्चात् हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें। मंत्र इस प्रकार है-

ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:।

मंत्र के साथ ही हाथ के पुष्प मनोकामना गुटिका एवं मां के तस्वीर के ऊपर छोड दें। इसके बाद भोग प्रसाद अर्पित करें तथा मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें। यह जप कम से कम 108 होना चाहिए।

मंत्र - ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:। मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद मां के चरणों में अपनी मनोकामना को व्यक्त करके मां से प्रार्थना करें तथा श्रद्धा से आरती कीर्तन करें। #NojotoQuote जय मां शैलपुत्री की पूजा विधि

जय मां शैलपुत्री की पूजा विधि

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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

छठ की पूजन विधि यही दर्शाता है। 
जो आज ढ़ल रहा है,
कल वो जरूर उगेगा।
 और हमारी यही दास्तान है,
लोग कुछ ढ़लते को पुछेंगे,
और कुछ उगते के साथ जुड़ेंगे। #छठ पूजा की विधि यही दर्शाता है

#छठ पूजा की विधि यही दर्शाता है

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@nil J@in R@J

नवरात्र तीसरा दिन

पूजा विधि

माँ चंद्रघंटा

नवरात्री के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा के लिए सर्वप्रथम माता की चौकी पर माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा स्थापित करें। गंगा जल से इसे शुद्ध करे. इसके बाद चौकी पर एक कलश में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। पूजा का संकल्प लेकर सभी देवी- देवताओं का आवाहन करे. सभी प्रकार की पूजन सामग्री जैसे- वस्त्र, सुहाग पिटारी, चंदन, रोली, अक्षत, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, फूल, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, दक्षिणा, अर्पित कर पूजा करे. पूजा संपन्न करने के बाद प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करनी चाहिए.
 #NojotoQuote नवरात्र तीसरा दिन पूजा विधि मां की

नवरात्र तीसरा दिन पूजा विधि मां की

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Ram Pravesh Kumar

पूजा पूजा चाहे कोई भी हो
अगर श्रद्धा से नही की तो बेकार है,
फल भी उसका तभी मिलता है
जब उसमें शुद्धता अपार है। #विचार#पूजा#शुद्धता#श्रद्धा

विचारपूजाशुद्धताश्रद्धा

26 Love

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Ravendra

गायत्री पूजा विधि से किया गया सामूहिक विवाह

गायत्री पूजा विधि से किया गया सामूहिक विवाह #न्यूज़

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Praveen Kumar Singh

 कन्या पूजन की विधि सम्पन्न हुई।

कन्या पूजन की विधि सम्पन्न हुई। #nojotophoto

5 Love

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Archana Chaudhary"Abhimaan"

कल्पना करते हुए शब्दों को पीरो
कविताओं में हम प्रियंकाए बनाते रहे।
चारू सुमन खिला पुष्प वर्षा कराते रहे।
तरुण हो अवनीत सा जीवन बिताते रहे।
बहुत विधि की किंतु सोनल निधि ना संजो सके।
किससे आशा के रश्मि की उम्मीद करू।
किस राह चलू कौन है सुनीता मेरा।
 #विधि
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पूनम पाठक

कौवे कुत्ते और भिखारी को खीर पूरी का भोग अवश्य खिलाएं। परंतु अपने पितरों की तृप्ति के लिए उनके जीते जी ही उन्हें भरपेट भोजन और सम्मान दें। यकीन जानिए वे कौवा बनकर आपका भोजन ग्रहण करने नही आने वाले...🙏

तज़ुर्बे ज़िंदगी के

©पूनम पाठक
  #श्राद्ध
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Mou$humi mukherjee

#श्राद्ध
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Ajay Sharma

अब जब कभी मैं तुम्हें याद करता हूँ-
अश्रु-जल से ही तुम्हारा श्राद्ध करता हूँ.....// #श्राद्ध
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Raviraj Sharma

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 #श्राद्ध
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Anil Agrahari

#विधि
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@nil J@in R@J

⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘

नवरात्र तीसरा दिन

माँ चंद्रघंटा

मंत्र

'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:।'

स्तुति

अर्ध चंद्र, घंटा, रूप स्वामिनी
कुंदन रूप, स्वर्ण रंग धारिणी
दशम हस्त शस्त्र सुशोभिणी
तृतीय रूप चंद्रघण्टेति नमो नमः !!
⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘
 #NojotoQuote नवरात्र तीसरा दिन

पूजा विधि

माँ चंद्रघंटा

नवरात्री के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा के लिए सर्वप्रथम

नवरात्र तीसरा दिन पूजा विधि माँ चंद्रघंटा नवरात्री के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा के लिए सर्वप्रथम

22 Love

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Sk. Raja

इस महा शिवरात्रि महाशिवरात्रि पर जीवन में प्रेम और आनंद के लिए आजमाएं यह उपाय

इस वर्ष 11 मार्च को दिन में 2 बजकर 40 मिनट से चतुर्दशी तिथि लगेगी जो मध्यरात्रि में भी रहेगी और 12 तारीख को दिन में 3 बजकर 3 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसलिए 12 तारीख को उदय कालीन चतुर्थी होने पर भी 11 मार्च को ही महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।

©Sk. Raja इस महाशिवरात्रि के पूजन विधि
#महाशिवरात्रि #महादेव #pujanbidhi 
#Raja_shayari_status #Sk_Raja

इस महाशिवरात्रि के पूजन विधि #महाशिवरात्रि #महादेव #pujanbidhi #Raja_shayari_status #Sk_Raja

10 Love

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Rishu ji maharaj

#आसन विधि...

#आसन विधि... #nojotovideo

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Sachin Sharma

मैं ,तेरे शौक के लिए ,
अपने शौक नहीं बदलूंगा।

क्योंकि तु जिस्म से खेलती है,
 और मैं कलम से ।।



@sachinsharma कार्य विधि

कार्य विधि

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Madhukar Singh chauhan

विधि से कवि सब विधि बड़े जह मैं संशय नाहि ।

सठ् रस विधि की सृष्टि में नव रस कविता माहि ।।


          


          ,,,,,,,,तुलसीदास श्रीरामचरितमानस विधि से कवि सब विधि बड़े जह ........

विधि से कवि सब विधि बड़े जह ........

21 Love

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Aryan Bohane


नवरात्रि के पांचवे दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा? जानिए क्या है पूजा विधि, मंत्र और कथा
स्‍कंदमाता प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं की सेनापति बनी थीं जिस वजह से पुराणों में कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है।

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स्कंदमाता की उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। देवी की पूजा करने से संतान प्राप्ति के योग भी बनते हैं
चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन दुर्गा मां के स्कंदमाता रूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुासर, इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं देवी हैं स्कंदमाता। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से भी जाना जाता है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। वहीं, मान्‍यता ये भी है कि इनकी पूजा करने से संतान योग की प्राप्‍ति होती है। जानिए नवरात्रि के पांचवे दिन की पूजा विधि, व्रत कथा, आरती, मंत्र, मुहूर्त…

पूजा विधि: नवरात्रि के पांचवें दिन सबसे पहले स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। अब घर के मंदिर या पूजा स्‍थान में चौकी पर स्‍कंदमाता की तस्‍वीर या प्रतिमा स्‍थापित करें। गंगाजल से शुद्धिकरण करें फिर एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्‍के डालें और उसे चौकी पर रखें। अब पूजा का संकल्‍प लें। इसके बाद स्‍कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाएं और नैवेद्य अर्पित करें। अब धूप-दीपक से मां की आरती उतारें और आरती के बाद घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटें और आप भी ग्रहण करें। स्‍कंद माता को सफेद रंग पसंद है इसलिए आप सफेद रंग के कपड़े पहनकर मां को केले का भोग लगाएं। मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से मां निरोगी रहने का आशीर्वाद देती हैं।

ध्यान:
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम्।।
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥

स्तोत्र पाठ: 
नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम्॥
तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।
सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम्॥
स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम्॥

मां स्कंदमाता की कथा:
कार्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है। कार्तिकेय को पुराणों में सनत-कुमार, स्कन्द कुमार आदि नामों से भी जाता है। मां अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं। पर्वतराज की बेटी होने के कारण इन्हें पार्वती भी कहते हैं और भगवान शिव की पत्नी होने के कारण इनका एक नाम माहेश्वरी भी है। इनके गौर वर्ण के कारण इन्हें गौरी भी कहा जाता है। मां को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है जो अपने पुत्र से अत्याधिक प्रेम करती हैं। मां कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं इसलिए इन्‍हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है।

मां स्कंदमाता की आरती:

जय तेरी हो स्‍कंदमाता

पांचवां नाम तुम्हारा आता

सब के मन की जानन हारी

जग जननी सब की महतारी

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं

हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं

कई नामो से तुझे पुकारा

मुझे एक है तेरा सहारा

कही पहाड़ों पर है डेरा

कई शहरों में तेरा बसेरा

हर मंदिर में तेरे नजारे

गुण गाये तेरे भगत प्यारे

भगति अपनी मुझे दिला दो

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो

इन्दर आदी देवता मिल सारे

करे पुकार तुम्हारे द्वारे

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये

तुम ही खंडा हाथ उठाये

दासो को सदा बचाने आई

‘चमन’ की आस पुजाने आई

मां स्कंदमाता के मंत्र:
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया.

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥

©Aryan Bohane
  #samandar नवरात्रि के पांचवे दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा? जानिए क्या है पूजा विधि, मंत्र और कथा

#samandar नवरात्रि के पांचवे दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा? जानिए क्या है पूजा विधि, मंत्र और कथा #समाज

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GuRu

Happy B'Day aata Hoga Tum Logo Ka . Mera To श्राद्ध Aaya H. श्राद्ध
गुरु

श्राद्ध गुरु

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HP

पितृ श्राद्ध
राजा सगर के सौ पुत्र अपने दुष्कर्मों के कारण कपिल मुनि के कोप भाजन होकर जलकर भस्म हो गये और पाप परिणाम से नरक की दुखद यंत्रणाएं सहने लगे।

इन सौ नरकगामी राजकुमारों के भाई अंशुमान राजगद्दी पर बैठें पर वे सदैव इस चिंता में जलते रहे कि किस प्रकार अपने भाइयों का उद्धार करें। अंशुमान के पुत्र दिलीप भी अपने पितृ ऋण को भुला न सका। उसने पितरों के उद्धार के निमित्त घोर तपस्या की पर सफल मनोरथ न हो सका। दिलीप का पुत्र भागीरथ भी चुप न बैठा, पुरखों का उद्धार करना, उनके किये हुये पाप का प्रतिशोध करना आवश्यक था। अपने पूर्वजों की कलंक कालिमा को धोये बिना कोई सपूत कैसे चैन पा सकता है।

बताया गया कि सगर के सौ पुत्रों ने पृथ्वी पर जो पाप का बीज बोया है इसका कलंक तब छूट सकता है जब इस संसार पर भगवती गंगा जी लाई जायें। जिनके शीतल जल से उजाड़ खण्ड हरे हो जायें और प्यासे प्राणियों के सूखे कंठों को शीतलता प्राप्त हो। अभाव की पूर्ति का यही उपाय है कि जितनी हानि पूर्व काल में हो चुकी है उतना ही लाभ पहुँचा दिया जाय। पितरों के उद्धार का यही रास्ता है कि उनसे दुनिया का जो उपकार बन पड़ा हो वह सब पाई पाई चुका दिया जाये।

भागीरथ के हृदय में सच्चा पितृ प्रेम था, वे पितरों का श्राद्ध करके उनकी परलोकस्य आत्माओं को शान्ति लाभ करना चाहते थे इसलिए सुख वैभव छोड़कर शक्ति सम्पादनार्थ वे घोर तप करने लगे। तप में, संयम में, एकाग्रता में, लगन में, शक्ति का सारा केन्द्र छिपा हुआ है। यह भागीरथ ने जाना और एक महान कार्य को पूरा करने की तैयारी के लिये तप में प्रवृत्त हो गये। तप के बाद उनका पौरुष जागा और वे देवताओं की सहायता से भू-मण्डल पर गंगा जी को ले आये।

गंगा जी के आने से संसार का बड़ा उपकार हुआ। सगर सुतों द्वारा दुनिया में जितना अधर्म हुआ था उससे अधिक भागीरथ का धर्म हुआ। पितामहों के दुष्कर्म का परिमार्जन पौत्र के कार्यों द्वारा हो गया। पितरों की आत्माओं को स्वर्ग में शान्ति मिली, उनकी आन्तरिक जलन बन्द हो गई, कुम्भी पाक ही - आत्मवेदना की -कोठरी में घुटता हुआ जी सुस्थिरता अनुभव करने लगा। सच्चे पिंडोदक पाकर पितरों की आत्मायें आशीर्वाद देने लगी।

पूर्वजों की भूलों के परिणाम आज हमारा देश शैतान द्वारा पद दलित हो रहा है, पितृओं के कुविचारों के कारण हमारे समाज में नाना प्रकार के भ्रम पाखण्ड घुस पड़े हैं। जिनके पाप से आज हमारी जाति असंख्य कष्ट कठिनाइयों का अनुभव कर रही है। परलोकस्य पितृ अपनी संतति की ओर दृष्टि लगाये बैठे हैं कि कोई भागीरथ उपजे और देश जाति में सुव्यवस्था उत्पन्न करके हमें पिण्डोंदर प्रदान करे। चिन्ह पूजा करने वाले गोबर गणेश तो बहुत हैं पर सच्चा श्राद्ध करके पितृओं की अन्तरात्मा को शान्ति देने वाले भागीरथ दिखाई नहीं पड़ते। पितृ श्राद्ध

पितृ श्राद्ध

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Anita Agarwal

जीते जी परवाह नहीं, दुख जाने के बाद कैसा! 
नहीं मान सम्मान बडों का, घर है वो आबाद कैसा! 
घुटन अकेलापन ही पाया, जब अपनों के साथ मे रहकर। 
चले गए तो लोक दिखावा, कैसी श्रधा श्राद्ध कैसा?

©Anita Agarwal श्राद्ध 

#SunSet

श्राद्ध #SunSet

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पूणिमा श्राद्ध

©Savita Patel
  पूणिमा श्राद्ध

पूणिमा श्राद्ध #समाज

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पंचमी श्राद्ध

©Savita Patel
  पंचमी श्राद्ध

पंचमी श्राद्ध #समाज

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Shubhendra Jaiswal

विहँसत रवि नभ मध्य में,उलसत रश्मि सुजान।
विधिवत  राघव  आ रहे, भाल  विधिक सम्मान।।
©sj...✍ #शुभाक्षरी #राम #विधि
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Madhab

वो आए थे तब कितना खुशी था आगन में।
चला गया तो कितना सन्नाटा छा गया आगन में।
हम जाने नहीं देना चाहते थे उनको ।
पता नहीं कैसा मिला होगा आगन उनको ।
भगवान से प्रार्थना करता हूं कि हमसे बेहतर आगन मिलें उनको।।

©Madhab
  विधि के विधान

विधि के विधान #ज़िन्दगी

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Vishwajeet Pandey

चंदा मामा- विधि

चंदा मामा- विधि

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