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Pankaj Singh Chawla

History Source: Google आदिग्रन्थ सिख संप्रदाय का प्रमुख धर्मग्रन्थ है। इसे ' ग्रंथ साहिब' भी कहते हैं। इसका संपादन सिख धर्म के पांचवें गुरु #Punjabi #yqbaba #yqdidi #yqbhaji #pchawla16 #yqpowrimo #गुरूपुरब

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🙏🌹धन धन साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी🌹🙏
 🙏🌹दे पहले प्रकाश गुरूपुरब दिया लख-लख वधाईयां🌹🙏
🙏वाहेगुरु जी दा खालसा🙏
🙏वाहेगुरु जी दी फतेह🙏 History Source: Google

आदिग्रन्थ सिख संप्रदाय का प्रमुख धर्मग्रन्थ है। इसे ' ग्रंथ साहिब' भी कहते हैं। इसका संपादन सिख धर्म के पांचवें गुरु

Kulbhushan Arora

मौन की पुकार सुन, मन रह गया सुन्न, मौन के रहस्य का, चला करने अन्वेषण, पहुंचना ही इसे अंतर्मन, अन्तर्मन है तीर्थ श्रेष्ठ, मन नहीं रहना निश्च #yqquotes #yqमन #yqकुलभूषणदीप #yqअंतर्मन

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मौन की पुकार सुन,
मन रह गया सुन्न,
मौन के रहस्य का,
चला करने अन्वेषण,


 मौन की पुकार सुन,
मन रह गया सुन्न,
मौन के रहस्य का,
चला करने अन्वेषण,
पहुंचना ही इसे अंतर्मन,
अन्तर्मन है तीर्थ श्रेष्ठ,
मन  नहीं रहना निश्च

Sunita D Prasad

हे देव! मेरे भीतर.... . . रखना बस इतना-सा आसमान कि निश्चेष्ट इच्छाएँ भी #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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हे देव! 
.
मेरे भीतर
.
रखना
बस इतना-सा आसमान 
कि निश्चेष्ट इच्छाएँ भी 
फैला पाएँ पंख!
.
.
रखना
धरा का एक कोना इतना नम 
कि संभावनाओं के टूटे बीज भी
हो सकें स्फुटित कभी!
.
.
रखना 
वायु की बस इतनी-सी आमद 
कि क्षीण पड़ती कामनाएँ भी
लेती रहें श्वास!
.
.
रखना 
अनल की इतनी ही निदाघ
कि जली रहे आस
और स्वप्न जलें नह्रीं!
.
.
भ्रम, संशय, दुविधाओं से परे
रखना 
उदीप्त प्रेम का एक कण 
बस इतना-सा उजास
कि  बना रहे देव!
तेरे सृजन के प्रति 
मेरा विश्वास।।
--सुनीता डी प्रसाद💐💐








 
हे देव! 
मेरे भीतर....
.
.
रखना
बस इतना-सा आसमान 
कि निश्चेष्ट इच्छाएँ भी

Anita Saini

देखो ना...कैसी है मेरी चित्रकारी...? बड़ी सरलता से पूछा था उसने मैंने आश्चर्यचकित होते हुए कहा है अतिसुन्दर! उसके चेहरे हर्षमिश्रित मुस्क #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #collabwithme #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ATdiarypicspecial

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देखो ना...कैसी है मेरी चित्रकारी...?
बड़ी सरलता से पूछा था उसने
 मैंने आश्चर्यचकित होते हुए
कहा है अतिसुन्दर!
उसके चेहरे 
हर्षमिश्रित 
मुस्कान
का अर्थ
समझ
नहीं
पाई...
केवल इतना कहा ये तुम रख लो 
मेरी ओर से मित्र समझकर
काग़ज़ का स्मृति चिन्ह !
काग़ज़ फूल!मोहक
हो सकते परन्तु
महकते नहीं!
कौड़ियों का
कोई मूल्य
नहीं होता
इतना कहा
जड़वत
निश्चेष्ट
वो..— % &  देखो ना...कैसी है मेरी चित्रकारी...?
बड़ी सरलता से पूछा था उसने
 मैंने आश्चर्यचकित होते हुए
कहा है अतिसुन्दर!
उसके चेहरे 
हर्षमिश्रित 
मुस्क

आशीष के अल्फाज

********* कठिनाइयों में संतुलन रखिए! *********************** "कठिनाइयाँ" जीवन की एक सहज-स्वाभाविक स्थिति है, जिन्हें स्वीकार करके मनुष्य अ #Thoughts #Journey #Motivation #nojotoenglish #each #nojohindi #nojotostorytelling

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कठिनाइयों में संतुलन रखिए!
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"कठिनाइयाँ"  जीवन की एक सहज-स्वाभाविक स्थिति है, जिन्हें स्वीकार करके मनुष्य अपने लिए उपयोगी बना सकता है और "कठिनाइयों" को जीवन का विरोधी मानकर उनसे दुःखी और परेशान होकर मनुष्य अपनी ही हानि भी कर लेता है ।कठिनाइयों में रोना, हार मान लेना, निराशा और अवसाद से ग्रस्त होना अपने विश्वास के मार्ग को छोड़ बैठना ही है ।वस्तुतः कठिनाइयाँ इतनी भयंकर और कष्टदायक नहीं हैं, जितना बहुत से लोग समझते हैं! 

जिन  "कठिनाइयों" में कई व्यक्ति रोते हैं, मानसिक क्लेश अनुभव करते हैं, उन्हीं कठिनाइयों में दूसरे व्यक्ति नवीन प्रेरणा, नव उत्साह पाकर सफलता का वरण करते हैं ।* इस तरह कठिनाइयाँ अपने आपमें कुछ नहीं हैं वरन मन की स्थिति से इनका स्वरूप बनता है!मन और कठिनाइयाँ सापेक्ष है!सबल मन वाला व्यक्ति बड़ी कठिनाई को भी स्वीकार करके आगे बढ़ता है तो निर्बल मन वाला सामान्य सी कठिनाई में भी निश्चेष्ट हो जाता है! निर्बल मन तो अपनी कल्पनाजन्य कठिनाइयों में ही अशांत हो जाता है!

नियति के नियम अजेय एवं अपरिवर्तनीय हैं । मानव जीवन में होने वाले परिवर्तन भी इसी के अंतर्गत होने से ध्रुव सत्य हैं । जीवन में आने वाली कठिनाइयों की जड़ में भी यही है । इस तथ्य को हृदयंगम कर कठिनाइयों में भी संतुष्ट, संतुलित रहने वालों की जीवन यात्रा सहज गति में चलती रहती हैं । अनेक विपरीतताएँ  भी उनका मार्ग नहीं रोक पाती । छोटी - बड़ी कठिनाई उनके लिए इसी तरह महत्व रखती हैं जैसे रात और दिन, सरदी और गर्मी ।

©आशीष के अल्फाज 
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कठिनाइयों में संतुलन रखिए!
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"कठिनाइयाँ"  जीवन की एक सहज-स्वाभाविक स्थिति है, जिन्हें स्वीकार करके मनुष्य अ

Divyanshu Pathak

:💕🐒👨Good morning ji☕☕☕☕☕🍫🍫🍫🍨🍨☕🍧🍉🍉🍉☘ : पतंजलि ने योगसूत्र में कहा है-योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:। अर्थात् योग सांसारिक जीवन का मार्ग नहीं है। जहां

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संयुक्त राष्ट्र प्रमुख “बान की मून” ने
योग को सबके लिए जरूरी बताया है।
वह कहते हैं-“योग का ताल्लुक धर्म से नहीं है।
यह निष्पक्ष है।
धर्मो के बीच भेदभाव नहीं करता।
जो योग करेगा, उसे इसका फायदा होगा।
” स्वामी विवेकानन्द तो यहां तक कह गए थे कि
जाति, धर्म, राष्ट्र, भाषा, परम्परा आदि सब
देश-काल के साथ बदल जाते हैं।
इनमें समन्वय के लिए परिपूरकता लानी पड़ेगी।
“शरीर इस्लाम का हो, आत्मा वेदान्त की।” :💕🐒👨Good morning ji☕☕☕☕☕🍫🍫🍫🍨🍨☕🍧🍉🍉🍉☘
:
पतंजलि ने योगसूत्र में कहा है-योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:। अर्थात् योग सांसारिक जीवन का मार्ग नहीं है। जहां
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