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Gautam_Anand
इक ठूँठ को जमाने के लिए सारा गुलशन उजाड़ बैठे हैं बरगद के ये पेड़ झाड़ियों के सहारे बैठे हैं #ठूँठ
PS T
ठूँठ हूँ मैं वृक्ष के नाम पर अब झूठ हूँ मैं हुआ करता था मैं भी कभी हरा भरा फल-फूल-पत्ति छाया से ढंकता था धरा बंदर उछले थे क्या कीड़े क्या मकोड़े घोंसले बने थे रहते थे चिड़ियों के जोड़े। दिनभर पंछियों की कलरव मचती थी रातों को उल्लूओं की पंचायत सजती थी। मानव भी आता था समय समय पर कभी छाँव तो कभी फल की उम्मीद लेकर। #वृक्ष #ठूँठ #pra Pic from instagram
Vijay Tyagi
"पेड़ की ठूँठ से... निकली है कोंपले देने को संदेश...." शेष नीचे अनुशीर्षक में पढ़ें... 🙏🙏 Vijay Tyagi "पेड़ की ठूँठ से" पेड़ की ठूँठ से निकली हैं कोंपले देने को संदेश नव उद्गम का नव आशा का, सृजन की नवभाषा का प्रकृति की प्रदत प्रकृति
Kishan Gupta
किचन की रानी, तू पसीने से लतपत, पंखा बना, मुझे घुमाये जा रही हो,, चाय कब तक यूँ ही, फीकी पिलाओगी, इलायची के इंतजार में, अदरक पीसे जा रही हो। ~किशन गुप्ता #कविता #कविता #
Awanish Singh
दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। पार जाऊँगा मेरा साहस, कभी हारा नहीं है। जो मिटा अस्तित्व दे, ऐसी कोई धारा नहीं है ।। कौन रोकेगा स्वयं तूफान, थककर रुक गये हैं । हर लहर मेरा किनारा, ध्येय तक बढ़ता रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। तोड़ दी अवरोध की सारी, शिलाएँ एक क्षण में । मैं धरा का प्यार मुझको, स्नेह देते सब डगर में।। शीत वर्षा और आतप कर, न पाये क्षीण गति को। बिजलियों की कौंध में भी, पंथ गढ़ता ही रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। ©Awanish Singh (AK Sir) #कविता #कविता
Anupama Jha
ठूँठ हो चला है अब वो पेड़ खड़ा है आँगन की दहलीज पर घरवाले बाबा जैसा इंतज़ार में है मौसम के बदलने का पत्तों के पेड़ में लगने का चिड़ियों के कलरव का गिलहरियों की धमाचौकड़ी का बस कुछ उन पलों का इंतज़ार जब ठूँठ भी हो जाता है जीवंत बिल्कुल बाबा जैसा... #YQdidi#ठूँठ#पेड़#hindipoem ठूँठ हो चला है अब वो पेड़ खड़ा है आँगन की दहलीज पर घरवाले बाबा जैसा इंतज़ार में है
Balu Khaire
भीगी हुई आँखोका मंजर न मिलेगा, घर छोडकर मत जाओ कही घर ना मिलेगा। फिर याद बहुत आएगी जुल्फो की शाम, जब धूप मे साया कोई सर न मिलेगा। आंसू को काभि ओस का कतरा न समझना, ऐसा तुम्हे चाहत का समुदर ना मिलेगा। इस ख्वाब के माहोल मे बे-ख्वाब है आँखे, जब निंद बहुत आएगी बिस्तर ना मिलेगा। ये सोचलो आखरी साया है मोहब्बत, इस दरसे उठोगे तो कोई दर ना मिलेगा ©Balu Khaire कविता कविता #lonely
vijaysinh
writing quotes in hindi मन पीढ़ा से बैचेन हो जाता है, तब जा के क़लम कागज स्याही रोता है। क़लम खुद का नहीं,औरों का दुख रोता हैं। हर पन्ने पर क्रांति की बीज बोता है। दुनिया में सब से ज्यादा दुखी क़लम हैं, हर वक़्त खून के आंसू रोता है, खून रूपांतर चंद लकीरों में होता है। अब लोक उसे अल्फ़ाज़ समजते हैं पर वह अल्फ़ाज़ नहीं लब होते हैं जो क़लम के दिलसे निकले होते है। #कविता #क़लम कविता
AnishaDodke
कविता कवीला वेळ नसतो कवीला काळ नसतो फावल्या वेळात तो कविता लिहीत असतो! कवितेत करियर नाही योग्य आहे पण करियर सोबत कविता करणे हाच छंद आहे! कवितेत आसन नाही ये दुःख आहे पण कवितेचं वेशन आहे हेंच सुख आहे....! रिकाम्या डोक्यात काही तरी सूचन आणि कागदावर मांडण हेच माझं काव्यलिखाण आहे.....! कवयित्री:कु अनिषा दोडके ©AnishaDodke कविता कविता #BookLife