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Faham
बिसतर से ऊठकर मस्जिद जा ना सके ईकबाल। खवाहिश रखते हैं कबर से उठकर जननत जाने की। इकबाल
Nazeer muhamad
सितारो के आगे जहान ओर भी है अभी इश्क़ के इम्तहान ओर भी है ।।।।।। दयारे इश्क़ मैं अपना मकाम पेदा कर नेया जमाना अगर सुभा शाम पेदा कर ।।। इकबाल ।।। इकबाल
Mohan Sardarshahari
तूने जाते-जाते किया कमाल दिया पेंटिंग तोहफा बेमिसाल दिल जीत ले गया अपने नाल शुक्रगुजार हैं हम समय के साथ हमारे रहा इकबाल।। ©Mohan Sardarshahari # इकबाल
रौशन कुमार प्रिय
मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो मोहन नंदलाल बरसाने वनआयो बरसाने की गुंजरिया दाधी बेचन जाए, वात मिले बनवारी कर लियो बोआय कर लियो बोलय बैठ कदम के छाइयां रे दोना बनवाए ,दोना दोना दाढ़ी बांटे दाढ़ी दियो लुटाए दाढ़ी दियो लुटाए ताहि समय हरी आयो मोहन नंदलाल... होली न खेले श्यामरो आपन सासुराय भर पिचकारी मारे हो रंग उरे गुलाला रंग उडे गुलल बेला फुले चमेला जूही कांचनर फुलवा लोरहे मलिनिया गूथे नंदलाल माला पिन्हे कन्हैया हो जसोदा जी के लाल जसोदा जी के लाल ताहि समय हरी आयो मोहन नंदलाल बरसाने बन आयो हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा , हो उपद पहाड़ गरमो हवा हो नीचे बराय दुकान बाराय नाय कट्रे पनवा रस बीड़ा लगाए रस वीडा लगाय बीड़ा न खा है कन्हैया जसोदा जी के लाल , जसैदा जी के लाल ताहि समय हरी आयो मोहन बंद लाल तबला बजे मंजीरा , हो तबला बजे मंजीरा धोलाक धुधू आय बाजे सरियांगिया रों य रों य हो रस बजे सितार रस बाजे सितार ताहि समय हरी आयो मोहन नंदलाल #लोकगीत
रौशन कुमार प्रिय
मोहन नंदलाल "बरसाने"वन आयो मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो अहो बरसाने की गुंजरिया दधिया बेचे जाए, वाट मिले बनवारी हो,"कर" लियो बोलाय , "कर" लियो बोलय बैठ कदम के छइयां रे "दोना" बनवाय,दोना - दोना दधी बांटे हो दधी दियो लुटाय ,दधी दियो लुटाय ताहि समय हरि आयो मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो....२ होली न खेले श्यामरो, आपन ससुरार भर पिचकारी मारे हो, रंग उरे गुलाल, रंग उरे गुलाल बेला फुले चमेला , जूही कंचनार , फुलवा लोरहे मलिनिया हो, गूथे नंदलाल, गूथे नंदलाल माला पिन्हे कन्हैया हो जसोदा जी के लाल जसोदा जी के लाल ताहि समय हरि आयो मोहन नंदलाल बरसाने बन आयो-२ हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा , हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा, हो नीचे बरय दुकान, बरय नय कतरय पनमा रस बीड़ा लगाय, रस बीड़ा लगाय बीड़ा न खा हय कन्हैया जसोदा जी के लाल , जसोदा जी के लाल ताहि समय हरि आयो मोहन नंद लाल बरसाने वन आयो तबला बजे मंजीरा , हो तबला बजे मंजीरा ढोलक धुधूआय ,बाजे सरंगिया रोंय रोंय हो रस बजे सितार, रस बाजे सितार ताहि समय हरी आयो मोहन ननंद लाल बरसाने वन आयो मोहन नंद लाल बरसाने वन आयो #लोकगीत