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श्रेजल मिश्रा🍂

ऐ बारिश तेरा असर कुछ इस क़दर हो,
की दिल पे लगी हर चोट भी बेअसर हो,
दिल भी कुछ ऐसे दुखे मेरा ,
न किसी को पता चले,न किसी को खबर हो,
मैं बरसूं जब जब भी मेरी तू ही हमसफर हो,
की ऐ बारिश तेरा असर कुछ इस कदर हो।
 शहर शहर घूमी फिरि,कहीं आराम न मिला,
कहीं न मिला मुझे सुकून,जिसकी तलबगार थी रूह,

थक गई तो सोचा फिर ,वापस अपने घर चलूँ,
वापस अपनो में चलूँ।।❣

शहर शहर घूमी फिरि,कहीं आराम न मिला, कहीं न मिला मुझे सुकून,जिसकी तलबगार थी रूह, थक गई तो सोचा फिर ,वापस अपने घर चलूँ, वापस अपनो में चलूँ।।❣ #Zindagi #feelings #truelove #yqbaba #yqdidi #yqquotes

0 Love

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Vikas Sharma Shivaaya'

'दुर्गम काज जगत के जेते
 सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।' 
कठिन कार्यों की सफलता के लिए।
 
ऊं कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात

रूठे सुजन मनाइए-जो रूठे सौ बार
रहिमन फिरि फिरि पोइए- टूटे मुक्ता हार.

रहीम कहते हैं की यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे -तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए,क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए...

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 'दुर्गम काज जगत के जेते
 सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।' 
कठिन कार्यों की सफलता के लिए।
 
ऊं कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्र

'दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।' कठिन कार्यों की सफलता के लिए। ऊं कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्र #समाज

7 Love

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Poetry with Avdhesh Kanojia

आपको श्रीहनुमान जन्मोत्सव की शत कोटि शुभकामनाएं

पवन तनय कहुँ करि नमन
बंदऊँ फिरि प्रुभ राम।
राम राम रटि राम रटि
पावहिं मन बिसराम। 

अंजनि सुत महावीर कपि
अतुलित बल कर धाम।
केवल मिलते प्रेम बस
जपहु राम कर नाम।।

स्वर्णिम गिरी सम देह अरु
आनन तेज निधान।
हाथ गदा धारण करहिं 
कुंडल धारैं कान।।

राम नाम वन फिरहिं नित
ध्यावहिं सदा खरारि।
मगन होहिं सुनि राम जस
देहिं पदारथ चारि। #अवधी #ram #hanuman #राम #हनुमानजन्मोत्सव #poetry #poem 

आपको श्रीहनुमान जन्मोत्सव की शत कोटि शुभकामनाएं

पवन तनय कहुँ करि नमन
बंदऊँ फिरि प

#अवधी #Ram #Hanuman #राम #हनुमानजन्मोत्सव poetry #poem आपको श्रीहनुमान जन्मोत्सव की शत कोटि शुभकामनाएं पवन तनय कहुँ करि नमन बंदऊँ फिरि प

0 Love

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Jaichand Kumar

गज़ल 

रोज   हमरा  के  देलू   जहर   ज़िन्दगी
तू  त  बाड़ू  अजब  हमसफ़र  ज़िन्दगी

डेगे   डेगे    पे   लाग  ता   ठेस्वा   इहाँ
बड़ कठिन बा ई जीवन डगर ज़िन्दगी

रूप  सुंदर  बा  कितना, कहे  हर कोई
आव   तोहर   उतारीं   नज़र   ज़िन्दगी

रात  रानी  इहां  कवनो   कइसे  खिले
तोहरा  अंगना  में  बा  दुपहर ज़िन्दगी

साथ  तोहरा  से  छूटे  ना  कबहूं हमार
मांगिले   ई   दुआ   हर  पहर  ज़िन्दगी

हम निभावत रहब तोहसे हरदम वफ़ा
तू हो  फिरिह  ना हमसे नज़र ज़िन्दगी

"आरती"  हंसते हंसते मिलइहन नज़र
मौत के  कर  द  तू  ई  खबर  ज़िन्दगी।।
 - जयचंद कुमार। गज़ल 

रोज   हमरा  के  देलू   जहर   ज़िन्दगी
तू  त  बाड़ू  अजब  हमसफ़र  ज़िन्दगी

डेगे   डेगे    पे   लाग  ता   ठेस्वा   इहाँ
बड़ कठिन बा ई जीवन

गज़ल रोज हमरा के देलू जहर ज़िन्दगी तू त बाड़ू अजब हमसफ़र ज़िन्दगी डेगे डेगे पे लाग ता ठेस्वा इहाँ बड़ कठिन बा ई जीवन

7 Love

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Rohit

 Rahim ji ke dohe with meaning

1.रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय।
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गांठ परी जाय।।

भावार्थ – रहीमदास जी कहते हैं

Rahim ji ke dohe with meaning 1.रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय। टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गांठ परी जाय।। भावार्थ – रहीमदास जी कहते हैं

4 Love

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Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुंदरकांड🙏
दोहा – 12
प्रभु श्री राम की मुद्रिका (अंगूठी)
हनुमानजी श्री राम की अंगूठी सीताजी के सामने डाल देते है
कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि मुद्रिका डारि तब।
जनु असोक अंगार दीन्ह हरषि उठि कर गहेउ ॥12॥
उस समय हनुमान जी ने अपने मन मे विचार करके अपने हाथ में से मुद्रिका (अँगूठी) डाल दी-सो सीताजी को वह मुद्रिका उस समय कैसी दिख पड़ी की मानो अशोक के अंगार ने प्रगट हो कर हमको आनंद दिया है (मानो अशोक ने अंगारा दे दिया।)।सो सीताजी ने तुरंत उठकर वह अँगूठी अपने हाथमें ले ली ॥12॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

माता सीता अंगूठी को देखती है
तब देखी मुद्रिका मनोहर।
राम नाम अंकित अति सुंदर॥
चकित चितव मुदरी पहिचानी।
हरष बिषाद हृदयँ अकुलानी॥
फिर सीताजी ने उस मुद्रिकाको (अँगूठी को) देखा तो वह सुन्दर मुद्रिका रामचन्द्रजी के मनोहर नाम से अंकित हो रही थी,अर्थात उस पर श्री राम का नाम खुदा हुआ था॥उस अँगूठी को सीताजी चकित होकर देखने लगी।आखिर उस मुद्रिकाको पहचान कर हृदय में अत्यंत हर्ष और
विषादको प्राप्त हुई और बहुत अकुलाई॥

सीताजी अंगूठी कहाँ से आयी यह सोचती है
जीति को सकइ अजय रघुराई।
माया तें असि रचि नहिं जाई॥
सीता मन बिचार कर नाना।
मधुर बचन बोलेउ हनुमाना॥
यह क्या हुआ? यह रामचन्द्रजी की नामांकित मुद्रिका यहाँ कैसे आयी?
या तो उन्हें जितने से यह मुद्रिका यहाँ आ सकती है,किंतु उन अजेय रामचन्द्रजी को जीत सके ऐसा तो जगत मे कौन है?अर्थात उनको जीतने वाला जगत मे है ही नहीं।और जो कहे की यह राक्षसो ने माया से बनाई है सो यह भी नहीं हो सकता।क्योंकि माया से ऐसी बन नहीं सकती॥इस प्रकार सीताजी अपने मनमे अनेक प्रकार से विचार कर रही थी।इतने में ऊपर से हनुमानजी ने मधुर वचन कहे॥

हनुमानजी पेड़ पर से ही श्री राम की कथा सुनाते है
रामचंद्र गुन बरनैं लागा।
सुनतहिं सीता कर दुख भागा॥
लागीं सुनैं श्रवन मन लाई।
आदिहु तें सब कथा सुनाई॥
हनुमानजी रामचन्द्रजी के गुनो का वर्णन करने लगे।उनको सुनते ही सीताजी का सब दुःख दूर हो गया॥और वह मन और कान लगा कर सुनने लगी।हनुमानजी ने भी आरंभ से लेकर अब तक की कथा सीताजी को सुनाई॥

माता सीता और हनुमानजी का संवाद
सीताजी हनुमान को सामने आने के लिए कहती है
श्रवनामृत जेहिं कथा सुहाई।
कही सो प्रगट होति किन भाई॥
तब हनुमंत निकट चलि गयऊ।
फिरि बैठीं मन बिसमय भयऊ॥

हनुमानजी के मुख से रामचन्द्रजी का चरितामृत सुनकर सीताजी ने कहा कि
जिसने मुझको यह कानों को अमृत सी मधुर लगनेवाली कथा सुनाई है,वह मेरे सामने आकर प्रकट क्यों नहीं होता?
सीताजी के ये वचन सुनकर हनुमानजी चलकर उनके समीप गए तो हनुमान जी का वानर रूप देख कर सीताजी के मनमे बड़ा विस्मय हुआ (आश्र्चर्य हुआ) की यह क्या!सो कपट समझ कर सीता जी मुख फेरकर बैठ गई
(हनुमानजी को पीठ देकर बैठ गयी)॥

हनुमानजी, माता सीता को अपने बारें में और अंगूठी के बारें में बताते है
राम दूत मैं मातु जानकी।
सत्य सपथ करुनानिधान की॥
यह मुद्रिका मातु मैं आनी।
दीन्हि राम तुम्ह कहँ सहिदानी॥
तब हनुमानजी ने सीताजी से कहा की हे माता!मै रामचन्द्रजी का दूत हूँ।मै रामचन्द्रजी की शपथ खाकर कहता हूँ की इसमें फर्क नहीं है॥और रामचन्द्र जी ने आपके लिए जो निशानी दी थी,
वह यह मुद्रिका (अँगूठी) मैंने लाकर आपको दी है॥

सीताजी हनुमानजी से पूछती है की श्री राम उनसे कैसे मिले
नर बानरहि संग कहु कैसें।
कही कथा भइ संगति जैसें॥
सीताजी ने पूछा की हे हनुमान! नर और वानर का संग कहो कैसे हुआ?
तब हनुमान जी ने जैसे संग हुआ था,
वह सब कथा कही॥(तब उनके परस्परमे जैसे प्रीति हुई थी,वे सब समाचार हनुमानजी ने सीताजी से कहे)॥
आगे शनिवार को .... 

 
विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 502 से 513 नाम

502 भूरिदक्षिणः जिनकी बहुत सी दक्षिणाएँ रहती हैं
503 सोमपः जो समस्त यज्ञों में देवतारूप से सोमपान करते हैं
504 अमृतपः आत्मारूप अमृतरस का पान करने वाले
505 सोमः चन्द्रमा (सोम) रूप से औषधियों का पोषण करने वाले
506 पुरुजित् पुरु अर्थात बहुतों को जीतने वाले
507 पुरुसत्तमः विश्वरूप अर्थात पुरु और उत्कृष्ट अर्थात सत्तम हैं
508 विनयः दुष्ट प्रजा को विनय अर्थात दंड देने वाले हैं
509 जयः सब भूतों को जीतने वाले हैं
510 सत्यसन्धः जिनकी संधा अर्थात संकल्प सत्य हैं
511 दाशार्हः जो दशार्ह कुल में उत्पन्न हुए
512 सात्त्वतां पतिः सात्वतों (वैष्णवों) के स्वामी
513 जीवः क्षेत्रज्ञरूप से प्राण धारण करने वाले

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड🙏
दोहा – 12
प्रभु श्री राम की मुद्रिका (अंगूठी)
हनुमानजी श्री राम की अंगूठी सीताजी के सामने डाल देते है
कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि

🙏सुंदरकांड🙏 दोहा – 12 प्रभु श्री राम की मुद्रिका (अंगूठी) हनुमानजी श्री राम की अंगूठी सीताजी के सामने डाल देते है कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि #समाज

6 Love

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Swatantra Kumar Singh

हम वहिते कहि देबे एक दिन 

हम तुमका बहुतै चाहिति है 

( In Caption )
 Tried avadhi language for the 1st time... Please give honest reviews🤓

बस याक झलक की आशा मा हम गली मा तुम्हरे आइति है
हम वहिते कहि देबे एक द

Tried avadhi language for the 1st time... Please give honest reviews🤓 बस याक झलक की आशा मा हम गली मा तुम्हरे आइति है हम वहिते कहि देबे एक द #Emotions #Hindi #yqbaba #yqdidi #urdu #yqurdu #yqbhaijan #yqhindi

0 Love

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Vikas Sharma Shivaaya'

शनि गायत्री मंत्र:
.-ॐ भग भवाय विद्महे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नो शौरीहि प्रचोदयात् ||

-ॐ शनैश्चराय विद्महे छायापुत्राय धीमहि तन्नो मंद: प्रचोदयात ||

-ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात ||

सुंदरकांड:   दोहा – 1

प्रभु राम का कार्य पूरा किये बिना विश्राम नही
हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम ॥1॥
हनुमानजी ने उसको अपने हाथसे छुआ,
फिर उसको प्रणाम किया, और कहा की –
रामचन्द्रजीका का कार्य किये बिना मुझको विश्राम कहाँ? ॥1॥
श्री राम का कार्य जब तक पूरा न कर लूँ,
तब तक मुझे आराम कहाँ?
श्री राम, जय राम, जय जय राम

सुरसा का प्रसंग
देवताओं ने नागमाता सुरसा को भेजा
जात पवनसुत देवन्ह देखा।
जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा॥
सुरसा नाम अहिन्ह कै माता।
पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता॥1॥
देवताओ ने पवनपुत्र हनुमान् जी को जाते हुए देखा और
उनके बल और बुद्धि के वैभव को जानने के लिए॥
देवताओं ने नाग माता सुरसा को भेजा।
उस नागमाताने आकर हनुमानजी से यह बात कही॥

सुरसा ने हनुमानजी का रास्ता रोका
आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा।
सुनत बचन कह पवनकुमारा॥
राम काजु करि फिरि मैं आवौं।
सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं॥2॥
आज तो मुझको देवताओं ने यह अच्छा आहार दिया।
यह बात सुन, हँस कर हनुमानजी बोले॥
मैं रामचन्द्रजी का काम करके लौट आऊँ और
सीताजी की खबर रामचन्द्रजी को सुना दूं॥

हनुमानजी ने सुरसा को समझाया कि वह उनको नहीं खा सकती
तब तव बदन पैठिहउँ आई।
सत्य कहउँ मोहि जान दे माई॥
कवनेहुँ जतन देइ नहिं जाना।
ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना॥3॥
फिर हे माता! मै आकर आपके मुँह में प्रवेश करूंगा।
अभी तू मुझे जाने दे। इसमें कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा।
मै तुझे सत्य कहता हूँ॥
जब सुरसा ने किसी उपायसे उनको जाने नहीं दिया,
तब हनुमानजी ने कहा कि,
तू क्यों देरी करती है? तू मुझको नही खा सकती॥

सुरसा ने कई योजन मुंह फैलाया, तो हनुमानजी ने भी शरीर फैलाया
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा।
कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा॥
सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ।
तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ॥4॥
सुरसाने अपना मुंह, एक योजनभरमें (चार कोस मे) फैलाया।
हनुमानजी ने अपना शरीर, उससे दूना यानी दो योजन विस्तारवाला किया॥
सुरसा ने अपना मुँह सोलह (16) योजनमें फैलाया।
हनुमानजीने अपना शरीर तुरंत बत्तीस (32) योजन बड़ा किया॥

सुरसा ने मुंह सौ योजन फैलाया, तो हनुमानजी ने छोटा सा रूप धारण किया
जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा।
तासु दून कपि रूप देखावा॥
सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा।
अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥5॥
सुरसा ने जैसे-जैसे मुख का विस्तार बढ़ाया, जैसा जैसा मुंह फैलाया,
हनुमानजी ने वैसे ही अपना स्वरुप उससे दुगना दिखाया॥
जब सुरसा ने अपना मुंह सौ योजन (चार सौ कोस का) में फैलाया,
तब हनुमानजी तुरंत बहुत छोटा स्वरुप धारण कर लिया॥

सुरसा को हनुमानजी की शक्ति का पता चला
बदन पइठि पुनि बाहेर आवा।
मागा बिदा ताहि सिरु नावा॥
मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा।
बुधि बल मरमु तोर मैं पावा॥6॥
छोटा स्वरुप धारण कर हनुमानजी,
सुरसाके मुंहमें घुसकर तुरन्त बाहर निकल आए।
फिर सुरसा से विदा मांग कर हनुमानजी ने प्रणाम किया॥

उस वक़्त सुरसा ने हनुमानजी से कहा की –
हे हनुमान! देवताओंने मुझको जिसके लिए भेजा था,
वह तुम्हारे बल और बुद्धि का भेद, मैंने अच्छी तरह पा लिया है॥

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' शनि गायत्री मंत्र:
.-ॐ भग भवाय विद्महे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नो शौरीहि प्रचोदयात् ||

-ॐ शनैश्चराय विद्महे छायापुत्राय धीमहि तन्नो मंद: प्रच

शनि गायत्री मंत्र: .-ॐ भग भवाय विद्महे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नो शौरीहि प्रचोदयात् || -ॐ शनैश्चराय विद्महे छायापुत्राय धीमहि तन्नो मंद: प्रच #समाज

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Mastan Sahab

 एक सिर फिरा सा लड़का हूं मैं
     इस्क किया फिर भी जिंदा हूं मैं

एक सिर फिरा सा लड़का हूं मैं इस्क किया फिर भी जिंदा हूं मैं #nojotophoto

5 Love

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Mastan Sahab

 एक सिर फिरा सा लड़का हूं मैं
     इस्क किया फिर भी जिंदा हूं मैं

एक सिर फिरा सा लड़का हूं मैं इस्क किया फिर भी जिंदा हूं मैं #nojotophoto

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Ladla. S. Sharma

ये उनके लिए है जिसके पास बेस्ट हो फिर भी मुँह मारते फिरे 😔❤️#tumharesaath

ये उनके लिए है जिसके पास बेस्ट हो फिर भी मुँह मारते फिरे 😔❤️tumharesaath

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सुनील चर्चित

किरायेदार सी तुम्हारी फ़ितरत 
कभी पूरी तरह से अपना समझा ही नही.. तुम्हारी फिरत...

तुम्हारी फिरत...

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Amit

 अमित गिरि

अमित गिरि #nojotophoto

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Amit

 अमित गिरि

अमित गिरि #nojotophoto

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Shakti Singh

आवारा फिरे

आवारा फिरे

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pankaj giri

शुभप्रभात पंकज गिरि

पंकज गिरि

3 Love

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Rupesh Baghel

फिरी फायर

फिरी फायर #सस्पेंस

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नित्या_आभा

जान फिरे बौराई ..! 
मैं फिरू दीवानी...!! 
शब्दों से परे...! 
मैं कहूँ कहानी...!! 
ह्रदय में भाव भरें..!
मैं रहूँ सुहानी ...!!

 

 जान फिरे बौराई ..
मैं फिरू दीवानी 
शब्दों से परे... 
मैं कहूँ कहानी..
नैनो में भाव भरें.. 
मै रहूँ सुहानी...

जान फिरे बौराई .. मैं फिरू दीवानी शब्दों से परे... मैं कहूँ कहानी.. नैनो में भाव भरें.. मै रहूँ सुहानी... #Poetry

5 Love

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Parasram Arora

नीड  का  निर्माण  फिर फिर
नेह का  आवाहन फिर

©Parasram Arora नेहा का आवाहन फिर फिर

नेहा का आवाहन फिर फिर

10 Love

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Rishidev Bhardwaj

फिर मिलूंगा ..

मैं वक्त निकाल के नहीं 
वक्त साथ लेके तुझसे मिलूंगा
तेरे साथ तेरी हर बात करूंगा 
मैं अपनी हर बात लेके तुझसे मिलूंगा 

जब मिलेंगे तो वक्त की कोई परवाह नहीं होगी 
जब मिलेंगे तब बेपरवाह सा होके तुझसे मिलूंगा 
और बातें खत्म हों पर वक्त ना बीते 
अब जब भी मिलेंगे तो ये ना कहना पड़े..

... की फिर तुझसे मिलूंगा

©Rishidev Bhardwaj फिर मिलेंगे #मुलाकात #फिर #बेपरवाह

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Sanu Chauhan Spn

पहले Fends request ,फिर Like Comments,फिर Inbox में बाते,फिर शक,फिर झगड़ा,फिर Break-up,फिर Blocked आख़िर में Sad post इसे कहते है Facebook 😉

Sanu Singh Chauhan Shahjahanpur 9005729520 पहले Fends request ,फिर Like Comments,फिर Inbox में बाते,फिर शक,फिर झगड़ा......

पहले Fends request ,फिर Like Comments,फिर Inbox में बाते,फिर शक,फिर झगड़ा...... #विचार

12 Love

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Seema Nirankari

कल से सीखो कि, आज फ़िर 
               वही ग़लती नही दोहरानी हैं... फिर..

फिर..

29 Love

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sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3

आपको अच्छा लगे, गर इसलिए ही जीना हैं...
फिर नहीं चाहिए ये जिंदग़ी, हमको मरना हैं..।

                       - ख़ब्तुल
                       संदीप बडवाईक फिर

फिर

7 Love

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Niti Mishra

#फिर
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Tapan

सौ बार तलाश किया हमने,
खुद को खुद में…
एक तेरे सिवा, कुछ नही
मिला मुझको, मुझ में..

©Tapan
  #फिर
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vaishnavi

मैं आज फिर लिखूंगी 
तुम प्रेम पत्र 
फिर समझ लेना। फिर

फिर

12 Love

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प्रल्हाद दुधाळ

अगर तकलीफ बहोत है हमसे
तुम मुझे छोड़ क्यों नहीं देते?

माना की बहोत बेरहम थे हम
मगर बेरहम तुम भी कम थे ?

छोड़ने की ये बात आतीही कैसे 
अगर पहले हमारे दिल में रहते?

बीती बातों को कर बेखबर तू
चलो आज फिर से है मिलते!

©प्रल्हाद दुधाळ #फिर
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Ankush Thakur

फिर

फिर किसी और हुस्न की चाहत  नहीं हुई।।
हालांकि फिर भी दिल को राहत नहीं हुई।।

तू  आकर  चला  भी गया  ऐ  दोस्त मगर।।
मुझे  तेरे  कदमों  की   आहट   नहीं  हुई।।

फिर मैं करता भी तेरी हिफाजत तो कैसे।।
जब मुझ से  खुद की हिफाजत नहीं हुई।।

मैंने गुजारे चंद लम्हें तेरी तस्वीर के साथ।।
मगर तेरी तस्वीर मां का आंचल नहीं हुई।।

हारकर इश्क में मरने की कोशिश में हो।।
दोस्त ये बुझदिली हुई शहादत नहीं हुई।।

अंशुल ठाकुर 9974709671

©Ankush Thakur
  फिर

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