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SURAJ आफताबी
सरगोशी ये होने लगी है उस नाज़नीं की गलियों में इस दफ़ा आफताबी दाने पकेंगे उनकी महताबी फलियों में! नौनिहाल सी कली बोई है एक अलम्बुषा ने गन्ने की कलियों में जिसका शबाब अब फल लगा रहा गुड़ की ड़लियों में! सुना है इस करवाचौथ जाने कौन फँसेगा उनकी तारों वाली छलनियों में जिसने सँवारा चाँद वो राजगीर "आफताब" तो रहे गये छलियों में! सरगोशी- कानाफूसी अलम्बुषा- name of an angel राजगीर - बनाने वाला छलिया- छलने वाला Thanku so much Chulbul Pandey for remember me..🤗 #yqbaba
Sachin Singh
दामिनी नारायण सिंह Quotes
#RIPPriyankaReddy #Roja या #प्रियंका_रेड्डी #कैमुर या #राजगीर #राँची या #दिल्ली नबालिग या बालिग गैंगरेप के अपराधियों के लिये कोई रहम नहीं कोई ट्राइल नहीं क्योंकि कोई भी सजा दरिंदगी कि भेंट चढ़ी लड़कियों के अकल्पनीय दर्द के आगे कम ही होगी राक्षस हैं तो अंत करो~बिना रहम टुट पड़ो जिसपल तुम्हारी बस्ती तुम्हारे दरवाजे से होकर तुम्हारे मोहल्ले के हैवान किसी को सहारे के नाम पर मन में हैवानियत ले गलियों से गुजर रहे हैं सिर्फ ये सोंचकर हमें क्या हर बस्ती को खबर होती है उन दो चार जल्लादों के बारे में जो वहीं रहते हैं आसपास पर हमें क्या सोंचकर सिर्फ अपने घर के दरवाजे लगाना बंद करो क्योंकि आज #Roja या #प्रियंका_रेड्डी #कैमुर या #राजगीर #राँची या #दिल्ली नबालिग या बालिग गैंगरेप के अपराधियों के लिये कोई रहम नहीं कोई ट्राइल नहीं क्यो
Priya Kumari Niharika
शीर्षक : हम रंगरेज बिहार हैं वैदेही की जन्मभूमि, गुरु गोविंद जी का प्यार है, मगही, मैथिली, भोजपुरी और उर्दू का संसार है दाव सियासी खेल में हम तो, तैर के गंगा पार है। अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं नागार्जुन की रचना हम, रेणु की हुंकार हैं। दिनकर के राष्ट्रप्रेम हम, विद्यापति के श्रृंगार हैं अष्टवक्र और अश्वघोष के ज्ञान का भंडार है अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं नालंदा के गौरव हैं, विक्रमशिला के आधार हैं पाणिनि का व्याकरण है, बुद्ध के हम संस्कार हैं मधुबनी की चित्रकला, अविचल पर्वत मंधार हैं अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं गणित और साहित्य में बबुआ, सबसे हम होशियार हैं रिक्शा खींच के दिए कलेक्टर, अनपढ़ न गवार हैं धोनी का क्रिकेट मैच है, रतन टाटा का व्यापार है अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं लिट्टी चोखा के क्या कहने, बड़ा लजीज अचार हैं ठेकुआ, पूड़ी लौंगलता और खाजे का बाजार है सभी धर्म को शरण दिया है,सब आपन परिवार हैं अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार है बिंदुसार की सल्तनत हम, गांधी के गुहार हैं चंद्रगुप्त के महाशोर्य हम, अशोक के अधिकार हैं महावीर का ज्ञान धर्म, और मिथिला के हम द्वार हैं अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं सर्वप्रथम गणतंत्र बने हम, बेनीपुरी की दहाड़ हैं जुर्म किये जो इस माटी में, दिया उसे तिहाड़ है बजरंगी के भक्त है बबुआ, कुंवर कि हम तलवार हैं अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं बिस्मिल्लाह के सुर हैं हम, मगध के हम आकार हैं आर्यभट्ट के अविष्कार हम, राजेंद्र के विचार हैं छठ, दशहरा, रामनवमी के हर्ष के हम त्यौहार हैं अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं गया, राजगीर, पावापुरी, शेरशाह के दरबार हैं मोक्ष ज्ञान की गया है नगरी, जनक के हम दुलार हैं शत्रु का बुखार कहो या सिंह के हम प्रहार हैं अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं ©Priya Kumari Niharika शीर्षक : हम रंगरेज बिहार हैं वैदेही की जन्मभूमि, गुरु गोविंद जी का प्यार है, मगही, मैथिली, भोजपुरी और उर्दू का संसार है दाव सियासी खेल में
Baisa_Raj_Neha_Pandya
सामने मंज़िल थी और, हम बेहतर रास्तों की तलाश में भटक गए। भटकते-भटकते राह भटक गए। और मुसाफिर बन गए। मिली थी मंज़िल हमें एक दिन राहों में, वो मुस्कुराई इस कदर कि हम राहगीर बन गए। Neha_Pandya #राहगीर
Anjana Thakur
मंजिल की तलाश मे निकले थे, मंजिल तो न मिली तजुर्बे बहुत मिले। ©Anjana Uikey #राहगीर
H Hetta Narender
"मैं राहगीर हूं मुझे गुज़र जाने दो, बार - बार तुम क्यूँ अड़चनें बड़ाती हो, या तो साथ चल कर देखो ¦कितना मज़ा है अंधेरों में, या बंद करो अपने ये मज़ाक वाले बहाने को, मैं राहगीर हूं मुझे गुज़र जाने दो " **H Hetta Narender ** राहगीर
Durgesh Kumar
"राहगीर" हम थोड़े से खुशी मे चहक जाते है,बहक जाते है, राह मिले नहीं के साथ चल जाते है, अंधेरे मे ज़मी और बादल के बीच हम यू ही मुस्कराते फिरते है, हम मुसाफिर है, आज यहां तो, कल कहीं और निकल जाते है हमारी आँखों मे नींद और पैरों मे दर्द नहीं होता है, हम राहगीर गिरते संभलते पहाड़ चढ़ जाते है, अपनों की तलाश और गैरों से प्यार बड़े जोर से करते है, हमे पता है कुछ लोगों हमे गिराने के लिए क्या क्या नहीं करते है, हम राहगीर ऐसे बातों को इग्नोर करते है, लोगों के खुशी के लिए क्या क्या नहीं करते है. कभी बंदर के तरह कूदते है, छिपकली सा मचलते है, जब खुद को खुशी ना मिले तो बिन पानी के मछली के तरह तड़पते है, हम थोड़े से खुशी मे चहक जाते है,बहक जाते है, राह मिले नहीं के साथ चल जाते है, (sun writer) ©Durgesh Kumar राहगीर
Ram Rv Sen
राहगीर हूँ मेरा कहा कोई ठिकाना है एक मन्ज़िल है धुंधली सी बस वही तक जाना है -Rv✍ राहगीर