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Anuradha Vishwakarma
लोकतंत्र के दो प्रकार होते हैं :- 1) प्रत्यक्ष 2) अप्रत्यक्ष #alone लोकतंत्र के दो प्रकार होते हैं :- 1) प्रत्यक्ष 2) अप्रत्यक्ष
Raunak (Srijan)
कभी कभी हम सरलता से कट रही ज़िंदगी में अनजाने ही कुछ ऐसी घटनाओं के गवाह बन जाते हैं जो हमारी आत्मा पर एक गहरी छाप छोड़ जाती हैं। कुछ दिन पहले अपनी बहन के घर से लौट रहा था। कुछ सोचते-सोचते ट्रेन पर चढ़ा और एक कोने में खड़ा हो गया।इतने में नज़र एक छह-सात साल की बच्ची पर पड़ी। फटे पुराने कपड़े, पैर बिना चप्पल के और बाल बिखरे हुए मगर होंठों पर एक मुस्कुराहट थी। तभी कानों में ढोलक की आवाज़ पड़ी। देखा तो एक तीस-चालीस साल का आदमी बैठा ढोलक बजा रहा है। ढोलक की तर्ज पर वह बच्ची गुलाटियां मारने लगी और गीत गाने लगी। मेरे मन को एक धक्का-सा लगा। मैंने पहले भी ऐसे दृश्य देखे थे पर कभी उनपर चिंतन नहीं किया। खुद को कोसने की पूरी तैयारी कर चुका था कि तब तक ढोलक की ताल तालियों के शोर में बदल गई। अपने मन को तसल्ली तो दे दी कि मैं एकमात्र बुरा इंसान नहीं हूं, मगर आत्मा पर पड़ी यह छाप जीवन भर रहेगी। प्रत्यक्ष
Anuradha Vishwakarma
अन्तर @अप्रत्यक्ष लोकतंत्र आमतौर पर प्रत्यक्ष लोकतंत्र से अलग होता है। @प्रत्यक्ष लोकतंत्र में, लोग सीधे वोट देते हैं कि कानून पारित किया जाएगा या नहीं। @लेकिन अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में, लोग केवल उन प्रतिनिधियों का चयन करते हैं जो कानून बनायेंगे। jhankiom vishwakarma #weather अन्तर अप्रत्यक्ष लोकतंत्र आमतौर पर प्रत्यक्ष लोकतंत्र से अलग होता है। प्रत्यक्ष लोकतंत्र में, लोग सीधे वोट देते हैं कि कानून पारित
Lata Sharma सखी
मुज्जसिम हूँ मैं, ये बात जान ले तू मेरे सनम, इश्क़ में अपनों से ही पर्दा नहीं किया करते। ©सखी #प्रत्यक्ष #इश्क़
Sandeep kumar Sakhawar
आप किसी न किसी अच्छे क्षेत्र में दुनियां के लियें महान हो एक बार सोचना जरूर ©Sandeep kumar Sakhawar #hands great वनों
Parasram Arora
लाभ क़ी भाषा लोभ क़ी भाषा है और जहाँ तक लाभ क़ी भाषा चलती है वहाँ तक लोभ भी चलता है और जहाँ तक लोभ चलता है. वहाँ तक क्षोभ भी होता रहेगा ©Parasram Arora लाभ और लोभ
Shravan Goud
सत्य वही जिसके साथ प्रत्यक्ष रूप से कोई नही खडा। सत्य वही जिसके साथ प्रत्यक्ष रूप से कोई नही खडा।
Parasram Arora
एक जगत सामने खड़ा हैँ प्रत्यक्ष और एक जगत मेरे मन के कोने मे सिमटा हुआ हैँ अदृश्य शिथिल विचलित मेरी काया इन दो संसारो के झूले पर झूल रही हैँ युगो से प्रत्यक्ष और अदृश्य जगत
PRAVEEN YADAV
जब हम दौड़ते हैं तब हमारे ब्लड का सर्कुलेशन जिसके वजह से हमारा शरीर स्वथ्य और चमकदार होता है ©PRAVEEN YADAV दौड़ने से लाभ