Find the Latest Status about बांझ ककोड़ा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बांझ ककोड़ा.
Shabd_siya_k
"एक स्त्री का सम्पूर्ण दुख "मां" शब्द को ना सुन पाना जो बहुत ही मार्मिक है" एक उम्र भर का दाग लग जाता है मां शब्द ना सुन पाने का आघात दिल पर कर जाता है फिर भी उस जख्म को सहती रहती है मुख से ना बोल पाती है बस अपने अंतर्मन में दुखो का सागर पीती रहती है , वो समाज का एक दयनीय शब्द जो "बांझ" के रूप में बोला जाता है, और एक स्त्री के अंतर्मन को अंदर तक चाकू की धार से छन्नी कर देता है, लेकिन कोई उसके दर्द को भी समझो जो अपनी ही कोख को सूनी देखकर बस निशब्द पड़ी रहती है, उसकी कोख का निर्जीव होने का जरिया केवल वो है क्या उसके हमसफर का भी उतना ही अधिकार होता है तो दोष केवल स्त्री को ही क्यों दिया जाता है , क्या उसका मन नहीं करता अपने आंचल में अपनी संतान को खिलाने का क्या उसका मन नहीं चाहेगा कि कोई उसे भी मां बोलो क्या उसका मन नहीं करता अपनी संतान को डाटने का , क्या वो एक स्त्री नहीं है ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं है वो भी स्त्री का पूर्ण रूप लाई है बस एक गुहार वो लगाती है कोई "बांझ" ना कहे वो ये गुजारिश करती है, उसकी एक गुजारिश का इतना तो सम्मान करो उसके अंतर्मन को खुशी तो नहीं दे सकते लेकीन उसके चेहरे की मुस्कान जरुर बनो। ©Sita Kumari #बांझ #girl
Saurav Shubham
A short story This time they both wanted kid Report said, 'Foetus itself got detached from ovary' Unfortunately abortion produce one more sterile.. #NojotoQuote बांझ #nojoto #tales
Hemant Rai
.............. ।।। #बांझ #Nojoto #writeups #writing #writingcommunity #लेखक #writer_rai #Quote #quoteoftheday
Anuradha T Gautam 6280
Komal Tanwar
बांझ नहीं हूँ मैं, बस "चिराग" के इन्तज़ार में "माँ" नहीं बन पाई। Caption is not required..... #बांझ #foeticide #girlchild #yqbaba #yqhindi #yqdidi #yqdiary #katiequotes
सुसि ग़ाफ़िल
____________ जिस दिन झरनों की आंखें सूख गई ! उस दिन सारी नदियां बांझ हो जाएंगी!! ____________ ____________ जिस दिन झरनों की आंखें सूख गई ! उस दिन सारी नदियां
Ajay Shrivastava
❤ तमाम शब जली है शमा हिज्र की उम्मीद भी बची है तो बस इतनी सी.., जितनी एक बांझ कोख
Dinesh Kumar Pathak
"रद्दी टुकड़ा " बहुत अरमान से आई थी, छोड़ बाबुल का घर ससुराल को सजाया और संवारा.. ननद - सास के, उल्हनो को बर्दाश्त किया ! उसे उम्मीद थी पति साथ हैं, जिंदगी संवर जायेगी मगर ! वक्त की मार ने उसे बांझ कर दिया और उसकी कदर गिरती गई हर इक के नज़र में रद्दी अखबार की तरह॥ © दिनेश कुमार पाठक "रद्दी टुकड़ा " बहुत अरमान से आई थी, छोड़ बाबुल का घर ससुराल को सजाया और संवारा.. ननद - सास के, उल्हनो को बर्दाश्त किया !