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Shruti Bangale
शोभून दिसत चूळबुळ करणारी नथ रेघांटली जाते मराठमोळी चंद्रकोर भगव्याचा साथ टीपरु थापीचा हाथ मनातली साद अंगातली आग फक्त ढोल ताशाचा नाद ढोल ताशांचा नाद..
yogesh atmaram ambawale
इंतजार रहेगा बाप्पा तेरे अगले साल के आने का, मस्तीभरे,भक्तिमय वातावरण में ढोल ताशा बजाने का| कोरोना संकट था कुछ भी न कर सके मन सा, अगले साल पूरी कसर निकालेंगे जमके स्वागत होगा आपका| OPEN FOR COLLAB✨ #ATइंतज़ाररहेगा • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️ Collab with your soulful words.✨ BG credits: Kakoli Biswas For su
Sarita Prashant Gokhale
*🌺 सर्व गणेशभक्तांना गणेशोत्सवाच्या हार्दिक शुभेच्छा 🌺* शीर्षक :- देवा तू माझा श्रीगणेशा देवा तूच माझा विनायका श्रीगणेशा शुभाषिश हो द्यावा मजला प्रथमेशा !! धृ!! भाद्रपद मासी चतुर्थीला आगमन ठाई ठाई जल्लोष करती भक्तगण ओढ दर्शनाची पुरवी भक्तांची आशा !!१!! धुप,दीप,नैवेद्य,आरती पुष्पहार मोदकाचा प्रसाद ठेवला हातावर स्वागताला जल्लोषात वाजे ढोल ताशा !!२!! तुझ्या पाऊली शोभतो, वाहन उंदीर सा-या संकटाचा तूच बाप्पा तारणहार उमटे चेहर्यावर तुझ्यामुळे हास्यरेषा !!३!! दहा दिवस घरोघरी, सजे मखर भक्त गाती आरतीसंगे नाम गजर एकदंता,ओमकारा तू स्वयंप्रकाशा !!४!! अधिपती,गणपती,दुखहर्ता मूर्ती विघ्नहारी तू मोरया मनोरथ पुर्ती चौदा विद्या, चौसष्ट कलांचा गणाधिशा !! ५!! ©Smita Raju Dhonsale *🌺 सर्व गणेशभक्तांना गणेशोत्सवाच्या हार्दिक शुभेच्छा 🌺* शीर्षक :- देवा तू माझा श्रीगणेशा देवा तूच माझा विनायका श्रीगणेशा शुभाषिश हो द्याव
SANTOSH PAWARA
इतिहास नही मिटता है, इतिहास फसता नही है । इतिहासकार यह भूले है, इतिहास उनका भी रचेगा काल पुर्तीहास रचनेवाले हाय इतिहासकार आदिवासी ..... इस माँ के लिये खून बहाया लढ़े है आदिवासी... - संतोष पावरा (सुविगस) ढोल काव्यसंग्रह
seema komre
वो महिला कभी चाँद थी उसकी जब सुडोल थी काया जैसे ही उसके सितारों को जना वो चाँद अब ढ़ोल हो गई। ©shital komre चाँद और ढोल #moonlight
Diwan G
बोलो तुम कुछ बोल रहे थे, क्यों अतीत के पन्ने खोल रहे थे। जो बीत गई, सो बीत गई, किस बात का ढोल पीट रहे थे। ©Diwan G #अतीत #ढोल #पन्ना #माहर_हिंदीशायर
Anjali Jain
साथ रहकर पता पड़ा कि मीठा मीठा बोलकर रंग जमाने वाले कितने खारे और थोथे होते हैं कितनी कटुताएं और द्वेष भीतर उगाए हुए हैं! लेकिन स्पष्ट और कड़वा सच बोलने वाले भीतर से कितने कोमल और सहृदय हैं! लाग लपेट से दूर सब कुछ ठीक कर देने का जुनून उन पर कितना हावी है? पर दुनिया तो ऊपरी आवरण देखती है और उसी से सबको आँकती हैं बाहरी चमक -दमक से, साज -सज्जा से चुंधिया जाती है उनकी आंखें और जब भीतर का खोखलापन बेपर्दा होता है तो पता चलता है 'दूर के ढोल सुहावने ' शायद इसी को कहते हैं!! © Anjali Jain दूर के ढोल सुहावने 27.05.21 #AdhureVakya