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ऋतुराज पपनै
नवल उषा की प्राची में सूर्यदेव दैदीप्यमान। प्रखर ओज से सिंचित साधू प्रातः करते उन्हें प्रणाम। तरु-पल्लव डोले हिल डुलकर खग-मृग-मधुकर गाते यशगान। अर्ग चढ़ाती नदी नीर से सूर्य किरण को प्रतिबिंबित कर। पर्वत,दर्पण बन देते सम्मान। नवल उषा की प्राची में सूर्यदेव दैदीप्यमान। प्रखर ओज से सिंचित साधू प्रातः करते उन्हें प्रणाम। ॐ सूर्याय नमः। आदित्याय नमः। भाष्कराय नमः। ©ऋतुराज पपनै #sunrays नवल उषा की प्राची में सूर्यदेव दैदीप्यमान। प्रखर ओज से सिंचित साधू प्रातः करते उन्हें प्रणाम। तरु-पल्लव डोले हिल डुलकर खग-मृग-मधुक
VOICE OF Anshika
Manish Tusham Panipat
देश के 73वें स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर सभी मित्रों को मेरी तरफ से हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। भारत की स्वाधीनता का यह राष्ट्रीय पर्व
Divyanshu Pathak
देकर विश्राम तन को मननशील मन को, जाग्रत कर प्राण मारो छलांग नभ-पथ से द्यु लोक तक । #good morning's 💕☕😊💕🌷🙏☕☕🌷💕🙏 : 11-01-2020 को एक साल पूरा हो गया मुझे मैं इस मंच और यहां उपस्थित सभी प्रवुद्ध जनों को हृदय से आभार व्यक्त करता
AB
" महागौरी " प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्। कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥ नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजा की जाती है। मां महगौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। इन्हें आठवीं शक्ति कहा जाता है। महागौरी
Vikas Sharma Shivaaya'
🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩 🙌🚩🔱 मां जगदम्बे🔱 हमेशा हमारा -आपका मार्गदर्शन करती रहें..., 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 मां दुर्गा का स्वरूप: कुष्माण्डा नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कुष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है-इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में अवस्थित होता है..., जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी- अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं, इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है-वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है- इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं..., इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं,ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है,माँ की आठ भुजाएँ हैं,अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं..., इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है-आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है,इनका वाहन सिंह है..., मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।' माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं- इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है-माँ कूष्माण्डा की उपासना मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है..., श्लोक: सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥ Affirmations: 66.मेरे जीवन में इस दशा की जरूरत को में जाने देता हूं..., 67. मैं भी किसी योग्य हूं ..., 68. मै अपने जीवन के लिए धनाढयता घोषित करता हूं..., 69.मैं अपनी आंतरिक बुद्धि पर भरोसा करता हूँ ..., 70.मेरा प्रेम असीम है..., बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩 🙌🚩🔱 मां जगदम्बे🔱 हमेशा हमारा -आपका मार्गदर्शन करती रहें..., 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल
Vikas Sharma Shivaaya'
🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩 🙌🚩🔱 मां जगदम्बे🔱 हमेशा हमारा -आपका मार्गदर्शन करती रहें..., 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 मां दुर्गा का स्वरूप: कुष्माण्डा नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कुष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है-इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में अवस्थित होता है..., जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी- अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं, इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है-वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है- इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं..., इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं,ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है,माँ की आठ भुजाएँ हैं,अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं..., इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है-आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है,इनका वाहन सिंह है..., मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।' माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं- इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है-माँ कूष्माण्डा की उपासना मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है..., श्लोक: सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥ Affirmations: 66.मेरे जीवन में इस दशा की जरूरत को में जाने देता हूं..., 67. मैं भी किसी योग्य हूं ..., 68. मै अपने जीवन के लिए धनाढयता घोषित करता हूं..., 69.मैं अपनी आंतरिक बुद्धि पर भरोसा करता हूँ ..., 70.मेरा प्रेम असीम है..., बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩 🙌🚩🔱 मां जगदम्बे🔱 हमेशा हमारा -आपका मार्गदर्शन करती रहें..., 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल
Vikas Sharma Shivaaya'
🙏सुंदरकांड 🙏 दोहा – 27 हनुमानजी माता सीता को प्रणाम करते है जनकसुतहि समुझाइ करि बहु बिधि धीरजु दीन्ह। चरन कमल सिरु नाइ कपि गवनु राम पहिं कीन्ह॥27॥ हनुमानजी ने सीताजी को (जानकी को) अनेक प्रकार से समझा कर,कई तरह से धीरज दिया और फिर उनके चरण कमलों में सिर नवाकर वहां से रामचन्द्रजी के पास रवाना हुए ॥27॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम हनुमानजी का लंका से वापस आना हनुमानजी लंका से वापिस आते है चलत महाधुनि गर्जेसि भारी। गर्भ स्रवहिं सुनि निसिचर नारी॥ नाघि सिंधु एहि पारहि आवा। सबद किलिकिला कपिन्ह सुनावा॥ जाते समय हनुमानजी ने ऐसी भारी गर्जना की,कि जिसको सुन कर राक्षसियों के गर्भ गिर गये॥समुद्र को लांघ कर हनुमानजी समुद्र के इस पार आए और उस समय उन्होंने किलकिला शब्द (हर्षध्वनि) सब बन्दरों को सुनाया॥ राका दिन पहूँचेउ हनुमन्ता। धाय धाय कापी मिले तुरन्ता॥ हनुमानजीने लंका से लौट कर कार्तिक की पूर्णिमा के दिन वहां पहुंचे,उस समय दौड़ दौड़ कर वानर बडी त्वरा के साथ हनुमानजी से मिले॥ हनुमानजी का तेज देखकर वानर हर्षित होते है हरषे सब बिलोकि हनुमाना। नूतन जन्म कपिन्ह तब जाना॥ मुख प्रसन्न तन तेज बिराजा। कीन्हेसि रामचंद्र कर काजा॥ हनुमानजी को देख कर सब वानर बहुत प्रसन्न हुए और उस समय वानरों ने अपना नया जन्म समझा॥हनुमानजी का मुख अति प्रसन्न और शरीर तेज से अत्यंत दैदीप्यमान देख कर वानरों ने जान लिया कि हनुमानजी रामचन्द्रजी का कार्य करके आए है॥ हनुमानजी के साथ सभी वानर श्री राम के पास जाते है मिले सकल अति भए सुखारी। तलफत मीन पाव जिमि बारी॥ चले हरषि रघुनायक पासा। पूँछत कहत नवल इतिहासा॥ और इसी से सब वानर परम प्रेम के साथ हनुमानजी से मिले और अत्यन्त प्रसन्न हुए।वे कैसे प्रसन्न हुए सो कहते हैं कि मानो तड़पती हुई मछलीको पानी मिल गया॥फिर वे सब सुन्दर इतिहास (वृत्तांत) पूंछते हुए और कहते हुए आनंद के साथ रामचन्द्रजी के पास चले॥ सुग्रीव का प्रसंग वानरों का मधुवन के फल खाना तब मधुबन भीतर सब आए। अंगद संमत मधु फल खाए॥ रखवारे जब बरजन लागे। मुष्टि प्रहार हनत सब भागे॥ फिर उन सबों ने मधुवन के अन्दर आकर युवराज अंगद के साथ वहां मीठे फल खाये॥जब वहां के पहरेदार बरजने लगे तब उनको मुक्को से ऐसा मारा कि वे सब वहां से भाग गये॥ आगे मंगलवार को ..., 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड 🙏 दोहा – 27 हनुमानजी माता सीता को प्रणाम करते है जनकसुतहि समुझाइ करि बहु बिधि धीरजु दीन्ह। चरन कमल सिरु नाइ कपि गवनु राम पहिं क
ताजदार
हुस्न तेरा देदीप्यमान है इश्क़ मेरा जाज्वल्यमान है 61/365 देदीप्यमान - चमकता दमकता हुआ जाज्वल्यमान - अच्छी तरह सबको दिखाई देने वाला #देदीप्यमान #जाज्वल्यमान #365days365quotes #writingresolu
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ कृते यद्धयातो विष्णुम त्रैतायाम यजतोमरवै। द्वापर परिचर्याम कल्लौ तदहरिकीर्तनाम। महान आध्यात्मिक संत चैतन्य महाप्रभु जी की जयंती पर कोटिश: नमन्! उनकी शिक्षाएं समाज में मंगल व शुभत्व के पवित्र दीप को देदीप्यमान और मानवता के कल्याण के ध्येय की प्राप्ति में योगदान देती रहेंगी..। ‼️🙏🏵जय जय श्री कृष्णा🏵🙏‼️ ✍️Vibhor vashishtha vs— % & Meri Diary #Vs❤❤ कृते यद्धयातो विष्णुम त्रैतायाम यजतोमरवै। द्वापर परिचर्याम कल्लौ तदहरिकीर्तनाम। महान आध्यात्मिक संत चैतन्य महाप्रभु जी की