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Kavita By Dr
देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया था. इसके बाद से हर साल इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है 26 जनवरी 1950 में इस दिन संविधान लागू किया गया था, जिसके कई कारण थे। देश स्वतंत्र होने के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने संविधान अपनाया था। वहीं, 26 जनवरी 1950 को संविधान को लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया। इस दिन भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया। 26 जनवरी को संविधान लागू करने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि सन् 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत की पूरी तरह से आजादी की घोषणा की थी। सन् 1929 को पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में इंडियन नेशनल कांग्रेस के जरिये एक सभा का आयोजन किया गया था। जिसमें आम सहमति से इस बात का ऐलान किया गया कि अंग्रेजी सरकार, भारत को 26 जनवरी 1930 तक डोमिनियन स्टेटस का दर्जा दे। इस दिन पहली बार भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने तक 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था। 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज घोषित करने की तारीख को महत्व देने के लिए 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया। 308 सदस्यों ने बनाया था संविधान देश में आज जिस संविधान के अनुसार कार्य किया जा रहा है, उसका मसौदा डॉ. भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने तैयार किया था जिन्हें भारतीय संविधान के वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। कई सुधारों और बदलावों के बाद कमेटी के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 हाथ से लिखे कानून की दो कॉपियों पर हस्ताक्षर किये, जिसके दो दिनों बाद 26 जनवरी को यह देश में लागू कर दिया गया। 26 जनवरी के महत्व को बनाए रखने के लिए उसी दिन भारत को एक लोकतांत्रिक पहचान दी गई थी। संविधान के लागू होने के बाद पहले से चले आ रहे अंग्रेजों का कानून Government of India Act (1935) को भारतीय संविधान के जरिये भारतीय शासन दस्तावेज के रूप में बदल दिया गया। इसलिए हर साल हम भारतवासी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते है। भारत 26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर एक गणतंत्र राष्ट्र बना। डॉ.हौसकुमार ......... ©Kavita By Dr 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर भाषण
Vijaykumar Khune
Mahesh Lokhande
सव्वीस जानेवारी सव्वीस जानेवारी हा मंगलदिन हो भारी॥धृ॥ तिरंगी ध्वजाला सलाम करण्या जमली दुनिया सारी॥1॥ सडा टाकूनी रांगोळी सुंदर काढली दारोदारी॥2॥ सकाळी सकाळी अंघोळ करूनी नटली पोरंपोरी॥3॥ स्वच्छ कपडे घालुनी घोषणा देऊनी काढली प्रभातफेरी॥4॥ राष्ट्रगीत गाऊनी ध्वजगीत गाऊनी ध्वजा सलाम करती सारी॥5॥ भाषण ऐकून खाऊ खाऊन होऊ संविधानाचे पुजारी॥6॥ कवी=महेश लोखंडे सव्वीस जानेवारी
AnishaDodke
शीर्षक:माता सावित्री क्रांती जोती सावित्री तू आम्हा मुलींची आई झालीस.! महात्मा फुलेंना साथ देणारी अख्या जगाची माऊली झालीस.! समाजासाठी कसली बाळगलीस कसली तमा या विषम रुढीत जोतिबांची जोत उजळलीस...! खरं सांगू सावित्री माता तुला जोतिबा पेक्षा ही जास्त बलिदान द्यावं लागेल! समाजासाठी तुला मान सन्मान ही गमवावा लागला..! संगर्षं नायकाची खरी नायिका तूच आहेस आणि क्रांती सूर्य महात्मा जोतिबा फुलेंनी क्रांती जोती सावित्रीबाई तूच आहेस...! समाजासाठी शेण गोटे चिखल अंगावर झेलणारी माय माऊली तू आहेस रांडा ,वाडा, उष्टी, काडा हे सूत्र बाजूला सारून शिक्षणाच महत्व पटवून देणारी आमची माय माऊली खरं सांगते तुझ्या या त्यागाला मी कोणत्याच शब्दात मांडू शकत नाही...! आमच्या कातड्याचे जोडे तुझ्या पायात रुजवलेन तरी देखील तुझे पांग फाटणार नाही....! कवयित्री; कु अनिषा दिलीप दोडके8080175160 नांदेड ©AnishaDodke 3 जानेवारी #Stars
Shiv Narayan Saxena
सदैव सत्य बोलना ही उचित है. परन्तु सत्य भाषण का संकल्प बहुत कठिन होता है और उससे भी अधिक कठिन है अपने सत्य भाषण के संकल्प को निभा पाना. इसके व्यावहारिक पक्ष को उजागर करती कुछ गंभीर पंक्तियां देखें. ©Shiv Narayan Saxena सत्य भाषण.