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Vishavdeep Sharma
Ajay Amitabh Suman
Vidhi
यक्ष: क्या सचमुच गीता ने अर्जुन की मदद की? युधिष्ठर: की ही होगी। स्त्रियाँ प्रायः ही उसके पीछे सम्मोहित हो जाती हैं। छिछोरेपन के सारे ही गुण पाए जाते हैं उसमें। यहाँ तक कि द्रौपदी भी.. (आवाज़ में चिढ़न साफ सुनाई दे रही थी) यक्ष: अ.. मैं आप लोगों के व्यक्तिगत मामलों पर प्रश्न नहीं कर रहा। मैंने तो बस उन श्लोकों की बात की, जिसे प्रभु ने स्वयं उसे सुनाई। युधिष्ठिर: सच पूछिए, तो ये हमारी सोची समझी योजना ही थी। आपको क्या लगता है प्रभु इतने सीधे हैं? यक्ष: तो क्या आपका मतलब है कि ये सब ड्रामा था? मोह? प्रवचन? ये सब कुछ? युधिष्ठिर: ओह यस। प्रभु महान हैं, मगर उनमें इतना भी टैलेंट नहीं कि सहवाग को द्रविड़ बना सकें। वो तो बस हमारे कहने से बकलोली कर रहे थे। ताकि तब तक में हम पीछे से व्यूह रचना कर सकें। यक्ष: तो यानी आपने जिस व्यूह की रचना की उसका नाम 'नीतीश' था? युधिष्ठिर: अरे, आपको कैसे पता? यक्ष: संजय की कमेंट्री केवल धृतराष्ट्र ही नहीं सुनते। उसका सीधा प्रसारण स्वर्ग में भी होता है। युधिष्ठिर: हाँ मैं भूल ही गया था अब तो पृथ्वी पे मौजूद सारी सुविधाएँ आधार से जुड़ी हुई हैं। #यक्ष #युधिष्ठिर #संवाद #गीता #मनोरोग #नीतीश #आधार #YQbaba #YQdidi
Manish Kumar
धर्मराज युधिष्ठिर सा बनना, बच्चों का ये काम नहीं। सामर्थ्यवान होकर धीरज धरना, साधारण ये काम नहीं।। #धर्मराज #युधिष्ठिर #twoliners #yqdidi #yqbaba #yqbhaijan Collaborating with Shaifali Sharma
Dpk Kumar
पता नहीं क्यों इस अफसाने के बिना जिंदगी क्यों अधूरी लगती है यह दो लोगो के एक होने की कहानी है।। कहानी #कहानी
Durga Bangari
मैं उसकी, पूरी कहानी का "मैन" क़िरदार ना सह़ी । पर मेरे बिना उसकि कहानी अधुरी रहेगी ॥ #कहानी-कहानी
KoyaComputerWork
घास, बकरी और भेड़िया एक बार की बात है एक मल्लाह के पास घास का ढेर, एक बकरी और एक भेड़िया होता है। उसे इन तीनो को नदी के उस पार लेकर जाना होता है। पर नाव छोटी होने के कारण वह एक बार में किसी एक चीज को ही अपने साथ ले जा सकता है। अब अगर वह अपने साथ भेड़िया को ले जाता तो बकरी घास खा जाती। अगर वह घास को ले जाता तो भेड़िया बकरी खा जाता। इस तरह वह परेशान हो उठा कि करें तो क्या करें? उसने कुछ देर सोचा और फिर उसके दिमाग में एक योजना आई। सबसे पहले वह बकरी को ले कर उस पार गया। और वहाँ बकरी को छोड़ कर, वापस इस पार अकेला लौट आया। उसके बाद वह दूसरे सफर में भेड़िया को उस पार ले गया। और वहाँ खड़ी बकरी को अपने साथ वापस इस पार ले आया। इस बार उसने बकरी को वहीँ बाँध दिया और घास का ढेर लेकर उस पार चला गया। और भेड़िया के पास उस ढेर को छोड़ कर अकेला इस पार लौट आया। और फिर अंतिम सफर में बकरी को अपने साथ ले कर उस पार चला गया। सीख – मुसीबत चाहे कितनी भी बड़ी हो, खोजने पर समाधान मिल ही जाता है। ©KOYA COMPUTER WORK कहानी #कहानी