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New मैथिलीशरण गुप्त की कविता यशोधरा Quotes, Status, Photo, Video

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Ranjit Singh

मैथिलीशरण गुप्त #कविता

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Thanos

मैथिलीशरण गुप्त #uncategorized

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चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में,
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में।
पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से,
मानों झीम[1] रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥ 
                            👉मैथिलीशरण गुप्त मैथिलीशरण गुप्त

Mukesh Bansode

मैथिलीशरण गुप्त #कविता

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Arpit Mishra

मैथलीशरण गुप्त #Poetry

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उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा,
मानों हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा ।
मुख-बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल सा बोधित हुआ,
प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ क्या काल ही क्रोधित हुआ ?

अथवा अधिक कहना वृथा है, पार्थ का प्रण है यही,
साक्षी रहे सुन ये बचन रवि, शशि, अनल, अंबर, मही ।
सूर्यास्त से पहले न जो मैं कल जयद्रथ-वधकरूँ,
तो शपथ करता हूँ स्वयं मैं ही अनल में जल मरूँ ।
 - मैथलीशरण गुप्त

©Arpit Mishra मैथलीशरण गुप्त

Sachin Pratap Singh

#Methlisharangupt मैथिलीशरण गुप्त #poetryunplugged

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Lucky

Written By मैथिलीशरण गुप्त

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मरा नहीं वही जो जिया न आपके लिए Written By मैथिलीशरण गुप्त

Vishakha Tripathi

भारत भारती | मैथिलीशरण गुप्त जी #कविता

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●भारत भारती (अतीत खंड से)●


चर्चा हमारी भी कभी संसार में सर्वत्र थी,
वह सद्गुणों की कीर्ति मानो एक और कलत्र थी।
इस दुर्दशा का स्वप्न में भी क्या हमें कुछ ध्यान था?
क्या इस पतन ही को हमारा वह अतुल उत्थान था?
उन्नत रहा होगा कभी जो हो रहा अवनत अभी,
जो हो रहा अवनत अभी उन्नत रहा होगा कभी।
हँसते प्रथम जो पद्य हैं तम-पंक में फँसते वही।।

उन्नति तथा अवनति प्रकृति का नियम एक अखण्ड है,
चढ़ता प्रथम जो व्योम में गिरता वही मार्तण्ड है।
अतएव अवनति ही हमारी कह रही उन्नति कला,
उत्थान ही जिसका नहीं उसका पतन हो क्या भला?

होगा समुन्नति के अनन्तर सोच अवनति का नहीं,
हाँ सोच तो है जो किसी की फिर न हो उन्नति कहीं।
चिंता नहीं जो व्योम विस्तृत चन्द्रिका का ह्रास हो,
चिंता तभी है जब न उसका फिर नवीन विकास हो।।

है ठीक ऐसी ही दशा हत-भाग्य भारतवर्ष की,
कब से इतिश्री हो चुकी इसके अखिल उत्कर्ष की।
पर सोच है केवल यही वह नित्य गिरता ही गया,
जब से फिरा है दैव इससे नित्य फिरता ही गया।।

यह नियम है उद्यान में पककर गिरे पत्ते जहाँ,
प्रकटित हुए पीछे उन्हीं के लहलहे पल्लव वहाँ।
पर हाय! इस उद्यान का कुछ दूसरा ही हाल है,
पतझड़ कहें या सूखना कायापलट या काल है?

                                               ~मैथिलीशरण गुप्त जी भारत भारती | मैथिलीशरण गुप्त जी

Mamta Kumari

#Sadmusic मैथिलीशरण गुप्त की बहुत ही सुंदर रचना #कविता

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ႽႩႩkპႠ

राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त जी की जयंती की ढेरों शुभकामनायें

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‘‘केवल मनोरंजन न कवि का कर्म होना चाहिए।
उसमें उचित उपदेश का भी मर्म होना चाहिए॥’’
                                   ~मैथलीशरण गुप्त राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त जी की जयंती की ढेरों शुभकामनायें

suraj prajapati

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की रचना की कुछ प्रेरणा दायक lines #Teachersday

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नर हो, न निराश करो मन को

कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रह कर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को 
(मैथिलीशरण गुप्त)

©suraj prajapati राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की रचना की कुछ प्रेरणा दायक lines
#Teachersday
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