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Ayurveda Tips
Ayurveda Tips
कद बढ़ाने के लिए घरेलू उपचार? सूखी नागौरी, अश्वगंधा की जड़ को कूटकर चूर्ण बना लें और इसमें उतनी ही मात्रा में खांड मिलाकर कांच की शीशी में
Divyanshu Pathak
एक रम्य वाटिका में बैठे थे कपोत युग्म न कोई चाह थी न कोई डाह थी न कोई सुविधा की दुविधा विचार में इस दीन दुनियां से दूर थोड़ी देर काश पक्षी होना होता मेरे अधिकार में ! 😊🍉💕💕🍫🍫☕☕ गडतुम्बी का चूर्ण लेना पड़ेगा 😂😂😂😂😊🍉🍉💕🍫जलेबियों के साथ ! आज दिल दिमाग़ काम नहीं कर रहे ..... तुम्हारे करेले का जूस ही देदो !😂😂🍸🍸🍸🍸
Ayurveda Tips
चेहरे पर फुंसियां होने के कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक व घरेलू नुस्खे? कारण तैलीय त्वचा होने पर या मसालेदार, गरिष्ठ तैलीय पदार्थ सेवन करने स
Aushadhi Bazaar (औषधीबाज़ार)
Saket Ranjan Shukla
दिल फ़िर मनमानी करने लगा है शुष्क हो चुके इन लबों पर मुस्कान सजा रहा हूँ, आँखों में अश्क़ सोखने वाला सुरमा लगा रहा हूँ, तक़लीफों को दिल के गतालखाने में डाल आया, माथे की सिकन को, बाल बड़े करके छुपा रहा हूँ, सिखाया धड़कनों को धड़कना एक लय में हमेशा, साँसों को सिसकियों के स्वर दबाना सीखा रहा हूँ, अंदरूनी नासूरों की दवा तो मिल न सकेगी शायद, ऐसे-ऐसे ही ख्याल दे, ख़ुदको बहला-फुसला रहा हूँ, दिल ने फ़िर उतारा है “साकेत", तुझे इश्क़ के हाट में, इसीलिए नए ज़ख्मों के लिए थोड़ी जगह बना रहा हूँ। IG:— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla दिल फ़िर मनमानी करने लगा है.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . कुछ कठिन शब्दार्थ 👇🏻 शुष्क:— रूखा (Dry) सुरमा:— आंखों में लगाए
AK__Alfaaz..
चराग़-ए-ज़िन्दगी तो होगी पर फ़रोंज़ाँ अपनी ये रूठी ज़िन्दगानी न होगी । आयेंगी फ़स्ल-ए-बहाराँ साल भी मुबारक होंगे पर अब कोई कहानी न होगी ।। ये तक़्दीर-ए-आलम भी मेरे बाद तुम्हारे हवाले मेरे हमसफर हमनशीं साथियों । फ़रोग़-ए-बज़्म-ए-इम्काँ तुम्ही से है साथियों अब तो ये साँस भी कल मेरी न होगी ।। जिओ मेरे मुल्क के नौ-जवानों देखो तुम्हीं ये हसीं आतिशें ज़ुल्फ़-ए-जानाँ की । हम तो अपने आखिरी सफर पर हैं इन सँवरते गेसू-ए-दौरान अब ये रूह न होगी ।। टूटकर जब तक बिखरेगी हस्ती नहीं ये हमारी निकलेगा कल वो आफ़ताब कैसे । जबीन-ए-दहर पर पिघलेंगी अफ़्शाँ तूलू-ए-मेहर होगी हरतरफ बस ये जाँ न होगी ।। सुन ऐ 'अल्फाज' माज़ी तेरा मुस्तक़बिल वज़ूद बन के बैठा है अब तेरे सामने यहाँ । कि जिस दिन जगमगाएगा शबिस्ताँ तेरी मुनव्वर से यहाँ सब तो होंगे पर धड़कन न होगी ।। #ज़िन्दगानी_मे_कुछ_यूँ_भी हमारी यह रचना.. मशहूर शायर और पत्रकार "अब्दुल मजिद सालिक"(1894-1959) के अद्भुत व सुंदरतम् उर्दू शब्दों पर आधारित ह
Insprational Qoute
देखती हूँ जिंदगी के उस छोर में वो आवारगी के दौर में, रहते थे मजे के शोर में, वो हसीन जिंदगी के खूबसूरत लड़कपन के किस्से, अब चढ़ती उम्र में नही हैं इस जवानी के हिस्से, सुबह सुबह उठ कर दोस्तों संग मस्ती, अलग ही जमती थी अपनी गपशप की बस्ती, क्या क्या खेल हमने थे खेलें ,न कोई खास थे जिंदगी के झमेले , वो चवन्नी वो अठ्ठनी एक रुपये में भरते थे चीजो से पन्नी, वो लाल ,काली चूर्ण, वो पान पराग की टॉफी, चाय का ही नाम सुना था समझ से बाहर थी कॉफी, वो बर्फ की जूसी, रंग बिरंगी कुल्फ़ी चूसी, बर्फ के गोले से लाल होंठ करते थे,बचपन की लिपस्टिक के मजे लेते थे, गर्मी की छुट्टियों में ने नानी के घर जाना और पढ़ाई को करते थे दरकिनार, दिन भर घूमते,, होते थे मस्ती की कस्ती में सवार, Part-1 देखती हूँ जिंदगी के उस छोर में वो आवारगी के दौर में, रहते थे मजे के शोर में, वो हसीन जिंदगी के खूबसूरत लड़कपन के किस्से, अब चढ़ती उम्र में नह