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mangalviras
विरो मे वो विर थै मेवाड के सिर मोर ः ना झुके ना रुकै ना हुऐ कभी मजबुर ः चेतक जेसा साथी और भाले तलवार और तिरो का करते थै सिंगार ः दुख को अपनी छाया मानी सुख को माना ख्वाब ः सबके दिलो मै अब भी जिंदा है नाम है महाराणा प्रताप ः ः।।मंगल विरास ।।ः ©mangalviras #maharanapratap विचरता का प्रतीक महाराणा प्रताप
मोहित "बेख़बर"
##आन्चलिक छंद## प्रीतम प्रीत लगाई के,जाई बसों परदेस । वहां से पैसा भेजियो, तासों मिटे क्लेश । तासो मिटे कलेश सहज में दिन कट जावै । जामैं रोज बाजार की टिकिया भल्ला खावै। मोहित कह रहे गाय, आज कल हाल है ऐसा । चाहे मारो काटो तुम जाए हमें बस दे दो पैसा।। ©Mohit Sharma ##प्रीतम प्रीति लगाई कै##
Neophyte
जो अभी तक छूआ ही नही तुमको वो हमपर से गुजरा होगा तो कैसे गुजरा होगा ये जो बह रहा इसे तो हम सुकून की हवा कहते है वो जो हमपर बहा वो कैसा हवा होगा दर्द का इन्तेहाँ ये नही है साहब जो हमने सहा तो कैसे सहा होगा तुम इन चिंगारियों से कैसे डर गए सोचो उन अंगारो पर कोई कैसे चला होगा -(क्षत्रियंकेश) अंगारे!
Deepika Tiwari Sona
ममता का प्रतीक ~~``~``~~ एक तारा आँगन में आज हमारे आया है संग अपने सारे जहाँ की खुशियाँ लाया है "सोना" मासी का प्यारा राज दुलारा वो नाना नानी का सारा प्यार उसने ही पाया है देखो पापा 'मयंक' के मन को भी कितना भाया है देखा पोते को तो दादा दादी का भी मन हर्षाया है माँ 'ममता' के प्रेम का प्रतीक है ये इसने नाम भी "प्रतीक" ही पाया है मामा 'मुकेश' के जैसा मनमौजी ये 'प्रवीण' की वो रोज बीण बजाता है ये मेरा प्यारा छोटा नन्हा सा तारा हर पल लाखों खुशियाँ बरसाता है ~~``~``~~ स्वरचित :- दीपिका तिवारी "सोना" प्यारा प्रतीक
Pratik Singh
मैं आज भी तेरा हूं जैसे कल था , सबको भूल के तू मेरे पास आ तो सही । क्या आज भी तेरे सीने में मेरा दिल धड़कता है , पास आ के धड़कने सुना तो सही ।। #प्रतीक #Nojoto #Nojotohindi
Deepika Tiwari Sona
ममता का प्रतीक ~~``~``~~ एक तारा आँगन में आज हमारे आया है संग अपने सारे जहाँ की खुशियाँ लाया है "सोना" मासी का प्यारा राज दुलारा वो नाना नानी का सारा प्यार उसने ही पाया है 'कपिल' काका के कलेजे का टुकड़ा है तू देखकर तुझे सारा परिवार खिलखिलाया है पापा 'मयंक' के मन को ये खूब ही भाया है देखा पोते को तो दादा दादी का भी मन हर्षाया है माँ 'ममता' के प्रेम का प्रतीक है ये इसने नाम भी "प्रतीक" ही पाया है मामा 'मुकेश' के जैसा मनमौजी ये 'प्रवीण' की वो रोज बीण बजाता है ये मेरा प्यारा छोटा नन्हा सा तारा हर पल लाखों खुशियाँ बरसाता है ~~``~``~~ स्वरचित :- दीपिका तिवारी "सोना" प्यारा भान्जा प्रतीक
Pankaj Priyam
प्रेम निशान ताज़महल को मानते, सभी प्रेम आधार। कटे सभी वो हाथ जो, बने सृजन आकार।। मूरख मानुष मानते, उसको प्रेम प्रतीक। लहू सना इक मक़बरा, कैसे इश्क़ अतीक? शाहजहाँ का प्रेम तो, झूठ खड़ा बाजार। एक नही मुमताज़ थी, बेगम कई हजार।। उसके पहले बाद फिर, रखे कई सम्बंध। प्रेम नहीं बस वासना, केवल था अनुबंध।। सच्ची मूरत प्रेम की, जपे सभी जो नाम। राम हृदय सीता बसी, सीता में बस राम।। ताज़महल निर्माण में, कटे हुनर के हाथ। सेतु में सहयोग कर, मिला राम का साथ।। प्रेम शिला जल तैरते, सागर सेतु अपार। राम कृपा से गिलहरी, हुई अमर संसार।। माँ सीता के प्रेम में, विह्वल करुण निधान। सेतुबंध रामेश्वरम, अनुपम प्रेम निशान।। कवि पंकज प्रियम (*अतीक-श्रेष्ठ) ©Pankaj Priyam प्रेम प्रतीक #sagarkinare