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SK Poetic
“मेरे लिए तो शिक्षा का सार तथ्यों का संग्रहण नहीं बल्कि मस्तिष्क की एकाग्रता है। अगर मुझे मेरी शिक्षा की फिर से शुरुआत करनी पड़े और इस मसले पर अगर मेरी राय ली गई तो मैं तथ्यों-ब्योरों का अध्ययन एकदम नहीं करूंगा। इसके बजाय, मैं एकाग्रता और निर्लिप्तता की शक्ति विकसित करूंगा और फिर उपयुक्त उपकरणों के साथ अपनी इच्छा से तथ्यों को जमा कर सकता हूं।” ©S Talks with Shubham Kumar एकाग्रता : स्वामी विवेकानंद के शिक्षा के विचार में एक महत्त्वपूर्ण घटक #Light
Sabir Khan
#OpenPoetry लिखने वाला चाहे जैसा भी हो, उसके लेख को पढ़ें-भाव को पढ़ें, उसकी लेखनी की प्रशंसा करें। आपकी प्रशंसा में वो सामर्थ्य है जो कि लेखक का जीवन बदलने के लिये काफ़ी है। .....भावार्थ यह है कि किसी की निजी जिंदगी पर टिप्पणी न करते हुए उसके अच्छे कार्य की प्रशंसा करें, उसका जीवन परिवर्तन निश्चित है। लेखक
Shikha Dubey
लेखक अपने भीतर उमड़े शैलाबों में डूब कर उभरता है तब जा कर वो कुछ लिख पाता है देर तलक वो खुद से लड़ता है तब जा कर वो एक मुकाम पाता है कालिख (स्याही) से कुछ लिखता है तब कहीं जा कर इतिहास पन्नों पर छपता है शब्दों से संग्राम में कुछ चुन कर लाता है तब जा कर उन्हें ,कुछ तहजीब , कुछ तरीके से कतार में लगाता है फिर कतार में लगे शब्दों को पन्नों पर बिठाता है तब कहीं जा कर वो लोगों के दिलों को छू पाता है लेखक
Sabir Khan
#Pehlealfaaz लिखने वाले समाज के रचयिता हैं, समाज लिखने वालों से ही चलता है। अब लिखने वाले ही स्वयं सोच लें कि उनको समाज कैसा बनाना है। लेखक
Vinit Kumar
लेखक अच्छे शब्द इस्तेमाल करने से नहीं बनते बल्कि बनते है समाज की बुर्राईओं के खिलाफ आवाज उठाकर बनते हैं और जब दिल के मरीज खुद को लेखक कहते हैं तो लगता है कौन नाराज हैं समाज से लेखनी,कागज़ या ईश्वर। #लेखक
Andy Mann
लेखक दुनियां का सबसे असफ़ल व्यक्ति होता है .जो जिंदगियाँ वो जी नहीं पाता उन्हें तरह तरह के किरदारों में जीवित करता है .. ©Andy Mann #लेखक
Gurudeen Verma
शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #लेखक
Parasram Arora
साहित्य क़े हरियाले चारगाह से चर चर कर उनकी जगाली कर शब्दवलियो को बंधक बना कर उन्हे अपनी लेखनी क़े आगे समर्पन्न करा कर एक अदना सा लेखक भी महान लेखक बन कर दिखा सकता हैं ©Parasram Arora लेखक.....
HARSH VARDHAN
हम खुशी नही गम भी लिखते है..... हम दिन नही रात भी लिखते है...... हम लेखक है.... हर किसी का गम अपने ही कलम से लिखते है......। सिर्फ रात ही नही हम सपने भी लिखते है....... @हर्ष वर्धन 💐 लेखक.....
Tafizul Sambalpuri
नमस्कार आदाब दोस्तों परिस्थिति, पूर्वानुमान , सामाजिक दायित्व और कल्पना के आधार पर रचनाएं प्रकाशित होती है। शब्द जो खामोश रहते समाज को नई दिशा देता है। इतिहास हो या वर्तमान या फिर दिल की दास्तां बयां करता है। इसके लिए कल्पना और प्रशिक्षण के साथ स्वछता और विनम्रता के लक्षण एक लेखक के लिए जरूरी है। ©Tafizul Sambalpuri लेखक