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Nitika Negi
बेटी.... बहुत कुछ है बताने को पर बता नहीं पाती बहुत कुछ है करने को पर कर नहीं पाती जीवन मिला बेटी का इसलिए बेटियां कुछ बोल नहीं पाती। सपनों को पूरा करना है पर कर नहीं पाती समाज के डर से बेटी जी नहीं पाते जीवन मिला बेटी का इसलिए बेटियां कुछ बोल नहीं पाती। खुल कर जीना बेटी सीख नहीं पाती अपनी आवाज को समाज में उठा नहीं पाती जीवन मिला बेटी का इसलिए बेटियां कुछ बोल नहीं पाती। आजाद पक्षी की तरह उठ नहीं पाती समाज नीचा दिखाता है इसलिए उठ नहीं पाती जीवन मिला बेटी का इसलिए बेटियां कुछ बोल नहीं पाती। बेटी भगवान का रूप है। यह बेटी को इज्जत ना देने वाले क्या जाने। बेटी कुछ भी कर सकती है। यह जिनकी बेटी नहीं है वह अभागा क्या जाने। ✍️✍️ नितिका नेगी बेटी जी नहीं पाती है।
kavi karan
खुद को अकेली पाती है वो,लगता है,प्यार से घबराती है वो!! ©kavi karan अकेली पाती है वो...! #NationalSimplicityDay
Shiv Narayan Saxena
आरज़ू पर हवस जब हावी हो जाती है, चैन बिना ज़िन्दगी लाचार बन जाती है, तृष्णा का टॉर्च जला भी लो 'शौक' पर इंसान मरे चाहे, इच्छा नहीं मर पाती है. ©Shiv Narayan Saxena #boat इच्छा नहीं मर पाती है .....
Vickram
वक्त लगता है किसी भी काम को होने में पहले पत्ते, फिर, फूल,तब जाकर फल मिलता है,, मुफ्त की चीजें तो कभी मुकम्मल ना रही,, मैंने कयी बार ऐसा होते हुए खुद देखा है,, दोस्तों जो चीजें वक्त लेंगी,, वो उसके बदले आप को वक्त जरूर देंगी,,, ©Vickram मुफ्त की चीजें कहां टिक पाती है,,##
Ajay Kumar Dwivedi
शीर्षक - खुद प्रेम कभी ना पाती है। कर में लिए प्रकाश सदा, दो कुल को रौशन करतीं हैं। फिर भी दुनियां की सारी, जाने क्यूँ पीड़ा सहती हैं। बीन नारी के नर का कोई, अस्तित्व मुझे समझाएगा। क्या है नर में शक्ति इतनी, नारी की वेदना सह पायेगा। कभी गुड़िया रानी तो कभी, कुलक्ष्क्षनी पुकारी जाती हैं। कभी बहू के रूप में तो कभी, माँ के गर्भ में मारी जाती हैं। कभी किसी बहसी के हाथों, चौराहे पर लूटी जाती। कभी स्वयं के पति के हाथों, घर के भीतर पीटी जाती। कभी-कभी तो नारी ही खुद, बन जाती नारी की दुश्मन। सास ननद के रूप में अक्सर, बढ़ा देती है बहू की उलझन। सीता जैसी पतिव्रता को, वनवास यहां मिल जाता है। द्रौपदी जैसी सम्राज्ञी का, चीर हरण हो जाता है। भूल जाता है अक्सर मानव, नारी ने लंका ध्वंस करायी थी। एक नारी ने ही द्वापर युग में, महाभारत करवाई थी। यदि नारी अपने पर आ जाये, राज्य उलट कर रख देगी। क्रोध में आकर नारी पूरा, ब्रम्हाण्ड पलट कर रख देगी। पर हृदय की कोमल नारी अक्सर, सबको क्षमा कर देती है। मानव द्वारा होती प्रताड़ित, सभी दर्द सह लेती है। इतना सहने की शक्ति नारी, न जाने कहाँ से लाती है। प्रेम लुटाती सबपर पर खुद, प्रेम कभी ना पाती है। प्रेम लुटाती सबपर पर खुद, प्रेम कभी ना पाती है। अजय कुमार द्विवेदी ''अजय'' #अजयकुमारव्दिवेदी खुद प्रेम कभी न पाती है।
Narendra Sonkar
"पैदाइशी से मरते दम तक या कहूं सातों जनम तक वेश्यायें पहुंच नही पाती है महज लज्जा-शरम तक।। ©Narendra Sonkar "वेश्या पहुंच नही पाती है लज्जा शरम तक"
Praveen Jain "पल्लव"
#AzaadKalakaar पल्लव की डायरी व्यथा कहना भी,जहाँ चुभ जाती है पंख सच्चाई के काट,फरेब फैलाती है धर दबोच,कलाकारों को, रोड़ा बन जाती है दल बल के साथ,फजीहत करवाती है आजाद कलाकारों को पंछी की तरह आसमानो की उड़ाने कहा मिल पाती है खून जलाकर,संघर्षो की ज्वाला में तपाती है हुकूमत कोई भी हो,सब दमन अपनाती है आजादी का बोझ नही सह पाती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #AzaadKalakaar आजादी का बोझ सह नही पाती है #AzaadKalakaar
writer dream
कुछ एहसास आंखो की पलकों तले ही दब के रह जाते है। और कभी कभी आंसु में बह के, तकिये गीले हो जाते है। किसी की मोहब्बत यही तक मुक्कमल हो पाती है।