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ANIL KUMAR
sunset nature प्रेम की तीन सीढियाँ हैं। एक तो साधारण प्रेम है – मित्र- मित्र में, पति- पत्नी में, मॉ- बेटे में, भाई-बहन में। एक असाधारण प्रेम – शिष्य और गुरु में। और एक साधारण- असाधारण दोनों का अतिक्रमण कर जाए, तीसरा प्रेम- आत्मा और परमात्मा में, बूँद में और सागर में। प्रार्थना परम प्रेम है, पराकाष्ठा है प्रेम की। ©ANIL KUMAR प्रेम की सीढ़ियाँ
Chandan Sharma
सीढ़ियाँ उनके लिए बनी है, जिन्हें छत पर जाना है, लेकिन जिनकी नज़र आसमान पर हो, उन्हें तो रास्ता ख़ुद बनाना है !! __Chandan Sharma__ _Virat_ सीढ़ियाँ उनके लिए बनी है, जिन्हें छत पर जाना है,
REETA LAKRA
पहली हो या आखिरी सीढ़ी... ऊपर की ओर तभी ले जाती है ; जब उन पर सही-सही कदम रखे जाएँ । पहली हो या आखिरी सीढ़ी... जमीन पर ला पटकती है ; जब उन पर जैसे तैसे कदम रखे जाएँ। पहली हो या आखिरी सीढ़ी... ऊपर की ओर तभी ले जाती है ; जब उन पर पूरे पूरे कदम रखे जाएँ। पहली हो या आखिरी सीढ़ी... जमीन पर ला पटकती है ; जब उन पर आधे अधूरे कदम रखे जाएँ।।४९/३६५@२०२१ वही सीढ़ियाँ ऊपर की ओर ले जाती हैं जो ऊपर से नीचे उतार लाती हैं। पर... स्वयं स्थिर रहती हैं। yreeta-lakra-9mba
Nitesh Prajapati
सीढियाँ मोहब्बत की, चढ़नी है तो अंजाम का, क्या सोचती हो,रख दिल मे यक़ीन, और ना देख पीछे मुड़कर। ♥️ सीढ़ियाँ मोहब्बत की ♥️ #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ अपने मित्रों के साथ कोलाब करें। ♥️ कोलाब करन
Dr Upama Singh
सीढ़ियांँ मोहब्बत की हर किसी के वश की बात नहीं चढ़ना गर साथ है तो तुम पकड़ लो हाथ मेरा ज़मीं पर यहीं ♥️ सीढ़ियाँ मोहब्बत की ♥️ #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ अपने मित्रों के साथ कोलाब करें। ♥️ कोलाब करन
Vedantika
सीढ़ियाँ मोहब्बत की चढ़ना है मुश्किल। यहाँ हर किसी को मिलती नहीं मंज़िल। टूट जाते हैं दिल और मिलती है तन्हाई, सिवाय आँसुओं के कुछ नहीं है हासिल। ♥️ सीढ़ियाँ मोहब्बत की ♥️ #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ अपने मित्रों के साथ कोलाब करें। ♥️ कोलाब करन
Prem Nirala
आँखें, चेहरे, लब, जुल्फ़ सब ख़ामोश रह गए, अब तू आ भी गया तो तुझे खुदा बनाने नहीं आएंगे माना, कि छत पे धूप इंतज़ार करता होगा तेरा हम अब बार बार सीढ़ियाँ उतरने नहीं आएंगे केह दो अपने शहर के हवाओं से कि ज़रा तहज़ीब में रहे कि, हम अब छत पे गिले कपड़े सूखाने नहीं आएंगे तराज़ू में तोलता होगा, वो मेरा ज़ख्म भर-भर के, केह दो उनसे, हम अब बटखारे बनाने नहीं आएंगे! prem_nirala_ आँखें, चेहरे, लब, जुल्फ़ सब ख़ामोश रह गए, अब तू आ भी गया तो तुझे खुदा बनाने नहीं आएंगे माना, कि छत पे धूप इंतज़ार करता होगा तेरा हम अब बार
Pnkj Dixit
तुमने कहा था “ डर लग रहा है; अजनबी माहौल में काँप रहा है तन, घबरा रहा है मन, चलो जल्दी मंदिर भवन में, पकड़ लो हाथ थाम लो मुझे।” वो सब किया मैंने जो सब कहा था तुमने। वो साथ साथ सीढ़ियाँ उतरना, वो काँधे पे मेरे तेरा सिर रखना। सब याद है मुझे क्या सब याद है तुम्हें? (“प्रेम अमर है” से) ११/०९/२०२२ 🌷👰💓💝 ...✍️ कमल शर्मा'बेधड़क' ©Pnkj Dixit गले लग कर जब... तुमने कहा था “डर लग रहा है; अजनबी माहौल में काँप रहा है तन, घबरा रहा है मन, चलो जल्दी मंदिर भवन में, पकड़ लो हाथ थाम लो मुझे
SHAYARI BOOKS
चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया, पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया! जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए, ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया! सूखा पुराना जख्म नए को जगह मिली, स्वागत नये का और पुराने का शुक्रिया! आती न तुम तो क्यों मैं बनाता ये सीढ़ियाँ, दीवारों, मेरी राह में आने का शुक्रिया! आँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया, नजरों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया! अब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर, यूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया! गम मिलते हैं तो और निखरती है शायरी, यह बात है तो सारे जमाने का शुक्रिया! चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया.. जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए ऐ नींद आज तेरे न आने का श