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Saket Ranjan Shukla
रूह झुलसाती मुफलिसी मुफलिसी इतनी कि ख़ुद से भी नज़रें नहीं मिला पाता है वो, ख़ुद को भी तो अब किस्मत पर यकीन नहीं दिला पाता है वो, रूह झुलस जाती है उसकी, नज़रें चुराकर बहाने बनाते हुए भी, अपनी जान के लिए, खिलौनों की कीमत नहीं जुटा पाता है वो...! . . मुफलिसी:— निर्धनता/ आर्थिक मंदी BY:— © Saket Ranjan Shukla G:— @my_pen_my_strength रूह झुलसाती मुफलिसी...! . मुफलिसी:- निर्धनता/ आर्थिक मंदी . #poverty #father #life #struggle #brokensoul #society #Hindi #poem #Shayari #Soc
CA Vinit Jaluka
शीर्षक- अब तो बाहर जाना होगा।। कबतक डरके बैठेंगे घर पे, अब तो बाहर जाना होगा, रोज़गार जो गवाये हम सबने, वापस उनको अब लाना तो होगा, हो चली है खाली जो चावल की बोरियां, फिरसे चावल उसमे सजाना तो होगा, चुनौती पूर्ण हो गेई है सबकी जिंदगी, नियम मानकर अब इसको बिताना तो होगा, बाहर जब भी निकलोगे घर से, नाक-मुँह को मास्क से छुपाना तो होगा, वापस जब भी आओगे बाहर से घर में, नहाकर अच्छे से सैनिटाइजर लगाना तो होगा, सावधानी हर बात पे बरतनी होगी सबको, और लापरवाहियों से खुदको बचाना तो होगा, आर्थिक मंदी जो भी आई है देश पर, स्वदेशी बनकर देश को इससे बाहर लाना तो होगा, जीना होगा हम सबको साथ अब कोरोना के, पर संयम रखके धीरे-धीरे इसको हराना तो होगा।। -विनीत जालुका(Soch) #coronavirus #lockdown #Life #Poetry #Inspiration #Motivation #Hindi #Shayari #Nojoto #nojotohindi शीर्षक- अब तो बाहर जाना होगा।। कबतक डर
Shilpi
C-2020 ये Covid नहीं आसान!! Read in caption👇 पहले तो एक सोची समझी साजि़श के तहत अपने ही राष्ट्र में एक भयावह विषाणु को जन्म देना, और कुछ ही समय में इसे वैश्विक महामारी के रूप मे बदल देन
Richa Mishra
लोक कल्याणकारी राज्य ( पढ़े , अनुशीर्षक में ) लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा का विकास २० वी ० शदी में हो गया था । सामाजिक न्याय का सूचक यह शब्द राज्य में रह रहे सभी व्यक्तियो को सामाजिक
Richa Mishra
लोक कल्याणकारी राज्य ( पढ़े , अनुशीर्षक में ) लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा का विकास २० वी ० शदी में हो गया था । सामाजिक न्याय का सूचक यह शब्द राज्य में रह रहे सभी व्यक्तियो को सामाजिक
Gaurav Christ
Nicky Shukla
मंदी अपनी बंदी है पानी! बिक रहा था,तो भी ठीक था अब आंसुओं की भी कीमत हो गयी है.. ये मंदी का दौर है,,साहब बंदी भी अब!कीमती हो गयी है - nickyshukla मंदी अपनी बंदी