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parthsarthi
Safar दुनिया,हमको समझ ना पायी हम दुनिया को समझ ना पाये ''हिसाब बराबर रहा'' #बहीखाता
अंदाज़ ए बयाँ...
#Pehlealfaaz हमारे ख़िताबों की कोई किताब ना सही पर क़िताबों - से ख़िताब बहुत हैं। नही रखा हमने तेरे ज़ुल्मों का बहीखाता हाँ मगर ज़ख़्मों के हिसाब बहुत हैं। रविकुमार हमारे ख़िताबों की कोई किताब ना सही पर क़िताबों - से ख़िताब बहुत हैं। नही रखा हमने तेरे ज़ुल्मों का बहीखाता हाँ मगर ज़ख़्मों के हिसाब बहुत हैं। रव
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
बहुत सुन चुके है कि घाटा नहीं है । बहीखाता फिर क्यों दिखाता नहीं है ।।१ चलो दूर कुछ और भी तुम हमारे । अभी प्यार का मुझको नश्शा नहीं है ।।२ तुम्हारी जुबाँ अब तुम्हें हो मुबारक । कभी थूक कर हमने चाटा नहीं है ।।३ न देखो ज़रा तुम मेरी सिम्त मुड़कर । अभी तक ये दिल मेरा टूटा नहीं है ।।४ सुलाने पड़े है मुझे भूखे बच्चे । नही कह सका घर में आटा नहीं है ।।५ उठाकर नज़र तुम इधर अब न देखो । चुभा पैर में कोई काँटा नहीं है ।।६ तुम्हारी वफ़ा ने समेटा मुझे है । तभी हाथ से कुछ भी छूटा नहीं है ।।७ उठा जो रहा उँगलियाँ इस तरफ है । हमें भी पता है खुदा वो नहीं है ।। ८ वफ़ा पे प्रखर की लगाते हो तोहमत । कहा क्या है उसने ये भूला नहीं है ।।९ २२/११/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बहुत सुन चुके है कि घाटा नहीं है । बहीखाता फिर क्यों दिखाता नहीं है ।।१ चलो दूर कुछ और भी तुम हमारे । अभी प्यार का मुझको नश्शा नहीं है ।।२
Rani Yadav
कृपया टाइटल पर क्लिक करके पढ़ें # inspiring मैं मैला ढोने वाला काश ज़हन भी धो पाता परिवार को हमेशा टुकड़ों पर है पाला रोटी के लिए फिरा हूं मारा -मारा उघारे-निघारे गंदी न
Anil Siwach
Vickram
कयी दफा ईश्क में धौका खाकर भी सुधर जाते हैं लोग । क्यो की कोई घाव जिंदगी को बदल कर चला जाता हैं । और बड़े ही संम्भल कर चलना सीख जाता है हर कोई । फिर दुबारा जिंदगी में एसी गलतियां करने से कतराता है ©Vickram ईश्क भी सीखाता है,,,
अर्हंत
क्या सच मैं तुम्हे बताऊँ ना आंखें बोलती हैं ना सांसो में कोई आवाज है बस आहटें हैं जिंदा होने का एक लम्हा ऐसा नहीं गुजरता जो तुम्हारे बिना हो मुझे नहीं पता मैं ज़िंदा हूँ भी की भी नहीं बस दिन, तारीखे, महीने गिनता हूँ तुम्हारे इंतज़ार में अब कुछ बचा नहीं ज़िन्दगी में बस खुद को बहलाता हूँ यकीं मानों मैं कुछ भी नहीं तुम्हारे बिना बस इस शहर में घूमता एक ज़िंदा लाश हूँ ©अर्हंत खुद को बहलाता हूँ