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Dipti Singh Diya

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Jitendra Kumar Som

नौवीं पुतली मधुमालती की कथा

राजा भोज हर दिन नई पुतली से राजा विक्रमादित्य की महानता और त्याग के किस्से सुनकर परशान हो चुके थे। लेकिन वे सिंहासन पर बैठने का मोह भी नहीं रोक पा रहे थे। दूसर तरफ उज्जयिनी की जनता अपने पूर्व राजा विक्रमादित्य के त्याग की कहानियां ‍सिंहासन की पुतलियों से सुनने को बड़ी संख्या में हर दिन एकत्र होने लगी। 

नौवे दिन जैसे ही राजा भोज सिंहासन की तरफ बढ़ने लगे मधुमालती नामक पुतली जाग्रत हो उठीं और बोली, ठहरो राजन, क्या तुम राजा विक्रम की तरह प्रजा के लिए अपने प्राणों का भी त्याग कर सकते हो, अगर नहीं तो सुनो राजा विक्रमादित्य की कहानी- 

एक बार राजा विक्रमादित्य ने राज्य और प्रजा की सुख-समृद्धि के लिए एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। कई दिनों तक यज्ञ चलता रहा। एक दिन राजा मंत्र-पाठ कर रहे, तभी एक ॠषि वहां पधारे। राजा ने उन्हें देखा, पर यज्ञ छोड़कर उठना असम्भव था। उन्होंने मन ही मन ॠषि का अभिवादन किया तथा उन्हें प्रणाम किया। 

ॠषि ने भी राज्य का अभिप्राय समझकर उन्हें आशीर्वाद दिया। जब राजा यज्ञ से उठे, तो उन्होंने ॠषि से आने का प्रयोजन पूछा। राजा को मालूम था कि नगर से बाहर कुछ ही दूर पर वन में ॠषि एक गुरुकुल चलाते हैं जहां बच्चे विद्या प्राप्त करने जाते हैं।
ॠषि ने जवाब दिया कि यज्ञ के पुनीत अवसर पर वे राजा को कोई असुविधा नहीं देते, अगर आठ से बारह साल तक के छ: बच्चों के जीवन का प्रश्न नहीं होता। राजा ने उनसे सब कुछ विस्तार से बताने को कहा। इस पर ॠषि ने बताया कि कुछ बच्चे आश्रम के लिए सूखी लकड़ियां बीनने वन में इधर-उधर घूम रहे थे। 

तभी दो राक्षस आए और उन्हें पकड़कर ऊंची पहाड़ी पर ले गए। ॠषि को जब वे उपस्थित नहीं मिले तो उनकी तलाश में वे वन में बेचैनी से भटकने लगे। तभी पहाड़ी के ऊपर से गर्जना जैसी आवाज सुनाई पड़ी जो निश्चित ही उनमें से एक राक्षस की थी। राक्षस ने कहा कि उन बच्चों की जान के बदले उन्हें एक पुरुष की आवश्यकता है जिसकी वे मां काली के सामने बलि देंगे। 

जब ॠषि ने बलि के हेतु अपने-आपको उनके हवाले करना चाहा तो उन्होंने असहमति जताई। उन्होंने कहा कि ॠषि बूढे हैं और काली मां ऐसे कमज़ोर बूढ़े की बलि से प्रसन्न नहीं होगी। काली मां की बलि के लिए अत्यंत स्वस्थ क्षत्रिय की आवश्यकता है। राक्षसों ने कहा है कि अगर कोई छल या बल से उन बच्चों को स्वतंत्र कराने की चेष्टा करेगा, तो उन बच्चों को पहाड़ी से लुढ़का कर मार दिया जाएगा। राजा विक्रमादित्य से ॠषि की परेशानी नहीं देखी जा रही थी।
वे तुरन्त तैयार हुए और ॠषि से बोले- 'आप मुझे उस पहाड़ी तक ले चले। मैं अपने आपको काली के सम्मुख बलि के लिए प्रस्तुत करूंगा। मैं स्वस्थ हूं और क्षत्रिय भी। राक्षसों को कोई आपत्ति नहीं होगी।' ॠषि ने सुना तो हतप्रभ रह गाए। 

उन्होंने लाख मनाना चाहा, पर विक्रम ने अपना फैसला नहीं बदला। उन्होंने कहा अगर राजा के जीवित रहते उसके राज्य की प्रजा पर कोई विपत्ति आती है तो राजा को अपने प्राण देकर भी उस विपत्ति को दूर करना चाहिए। 

राजा ॠषि को साथ लेकर उस पहाड़ी तक पहुंचे। पहाड़ी के नीचे उन्होंने अपना घोड़ा छोड़ दिया तथा पैदल ही पहाड़ पर चढ़ने लगे। पहाड़ीवाला रास्ता बहुत ही कठिन था, पर उन्होंने कठिनाई की परवाह नहीं की। वे चलते-चलते पहाड़ की चोटी पर पहुंचे। उनके पहुंचते ही राक्षस बोला कि उन्हें बच्चों की रिहाई की शर्त मालूम है या नहीं।
राजा ने कहा कि वे सब कुछ जानने के बाद ही यहां आए हैं। उन्होंने राक्षसों से बच्चों को छोड़ देने को कहा। एक राक्षस बच्चों को अपनी बांहों में लेकर उड़ा और नीचे उन्हें सुरक्षित पहुंचा आया। दूसरा राक्षस उन्हें लेकर उस जगह आया जहां मां काली की प्रतिमा थी और बलिवेदी बनी हुई थी विक्रमादित्य ने बलिवेदी पर अपना सर बलि हेतु झुका दिया। 

वे जरा भी विचलित नहीं हुए। उन्होंने मन ही मन अंतिम समय समझ कर भगवान का स्मरण किया। वह राक्षस खड्ग लेकर उनका सर धर से अलग करने को तैयार हुआ। अचानक उस राक्षस ने खड्ग फैंक दिया और विक्रम को गले लगा लिया। वह जगह एकाएक अद्भुत रोशनी तथा खुशबू से भर गया। 

विक्रम ने देखा कि दोनों राक्षसों की जगह इन्द्र तथा पवन देवता खड़े थे। उन दोनों ने राजा विक्रमादित्य की परीक्षा लेने के लिए यह सब किया था। वे देखना चाहते थे कि विक्रम सिर्फ सांसारिक चीज़ों का दान ही कर सकता है या प्राणोत्सर्ग करने की भी क्षमता रखता है। उन्होंने राजा से कहा कि उन्हें यज्ञ करता देख ही उनके मन में इस परीक्षा का भाव जन्मा था। उन्होंने विक्रम को यशस्वी होने का आशीर्वाद दिया तथा कहा कि उनकी कीर्ति सदियों तक चारों ओर फैलेगी। 

इतना कहकर मधुमालती चुप हो गई। अगले दिन राजा भोज का रास्ता रोका पुतली प्रभावती ने।

©Jitendra Kumar Som
  #Oscar नौवीं पुतली मधुमालती की कथा

#Oscar नौवीं पुतली मधुमालती की कथा #पौराणिककथा

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Dipti Singh Diya

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#गणेश #स्तुति 
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Dipti Singh Diya

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जनकवि शंकर पाल( बुन्देली)

#uskajaana(1) मधुमालती छंद " नशा" स्वरचित/मौलिक कविता

#uskajaana(1) मधुमालती छंद " नशा" स्वरचित/मौलिक कविता

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Dipti Singh Diya

#हनुमान जी की #स्तुति 
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Deepak Shah (Sw. Atmo Deep)

Photo by: @Kachche_Rang

#shahnamabydeepakshah #kachcheakshar #aathvan_sur #madhumaalti #मधुमालती #ishq #shayari #nojotovideo #nojotohindi
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Divyanshu Pathak

भगति भजन हरि नाव है, दूजा दुक्ख अपार
मनसा वाचा कर्मणा, कबीर सुमिरण सार !

झूठे सुख को सुख कहै, मानत है मन मोद
जगत चबैना काल का,कछु मुख में कछु गोद !

इहि औसर चेत्या नहीं,पसु ज्यूँ पाली देह
राम नाम जाना नहीं, अन्ति पड़ी मुख शेह ! 🐇💞💕💕🐇☕☕☕😍💞🐇💕good morning ji💞🐇💕💕☕💞🐇💕#आदिकाल के बाद☕#वि. स. 800 से 1400 के बाद☕
सन 743 ई. से 1343 ई. के वाद 💕का 🐇💞💞#भारतीय 💕#परिवेश💕🐇💞💞
:विक्र

🐇💞💕💕🐇☕☕☕😍💞🐇💕good morning ji💞🐇💕💕☕💞🐇💕आदिकाल के बाद☕वि. स. 800 से 1400 के बाद☕ सन 743 ई. से 1343 ई. के वाद 💕का 🐇💞💞भारतीय 💕परिवेश💕🐇💞💞 :विक्र

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Nilam Agarwalla

#मधुमती
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Parasram Arora

आओ   इससे  पहले  क़ि  
मौत की हवाएं  आकर   
हमें   अलग  कर दे   
आओ  दोहरये  प्रेम युग  के वे 
 मधुमासी क्षण   फिरसे 
आओ कि   हो जाये  लीन 
प्रेम धुनों  के   माधुर्य  मे 
गुणगनाये   वे सुमधुर   गीत   फिर से मधुमासी क्षण  ......

मधुमासी क्षण ......

7 Love

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Narendra Singh Yadav

 माँ धुमाबती माता सक्ति पीठ दतिया

माँ धुमाबती माता सक्ति पीठ दतिया

2 Love

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𝄟 ⷨʀᴜʜᴀɴɪﮩ٨❥

मधुमती वाचं वदतु शान्तिवाम्।  (अथर्थवेद ३/३०/२) मधुर और सुखद वाणी बोले।

मधुमती वाचं वदतु शान्तिवाम्। (अथर्थवेद ३/३०/२) मधुर और सुखद वाणी बोले। #Shayari

301 Views

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Narendra Singh Yadav

 माँ धुमाबती माता सक्ति पीठ दतिया देश का एक मात्र मंदिर है यह माँ दस महाबिद्याओं में से एक है

माँ धुमाबती माता सक्ति पीठ दतिया देश का एक मात्र मंदिर है यह माँ दस महाबिद्याओं में से एक है

5 Love

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Pnkj Dixit

मुझको पाती पढ़ना आता नहीं 

अपने मधुमासी अधरों से प्रेम पत्र सुना दो प्रिय 

२५/०७/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' मुझको पाती पढ़ना आता नहीं 

अपने मधुमासी अधरों से प्रेम पत्र सुना दो प्रिय 

२५/०७/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क'
#कविता

मुझको पाती पढ़ना आता नहीं अपने मधुमासी अधरों से प्रेम पत्र सुना दो प्रिय २५/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' कविता

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पंकज अंगार ललितपुर

कभी प्यार का काबा हो जा कभी प्रेम की काशी बन।
ऐ नफरत के पतझड़¡दिल मे फूल खिला मधुमासी बन ।
रोज भोर से शाम तलक क्या हिन्दू मुस्लिम रहता है।
दिन भर में पल दो पल को तो पंकज भारतवासी बन।।

पंकज अंगार
8090853584 कभी प्यार का काबा हो जा कभी प्रेम की काशी बन।
ऐ नफरत के पतझड़¡दिल मे फूल खिला मधुमासी बन ।
रोज भोर से शाम तलक क्या हिन्दू मुस्लिम रहता है।
दि

कभी प्यार का काबा हो जा कभी प्रेम की काशी बन। ऐ नफरत के पतझड़¡दिल मे फूल खिला मधुमासी बन । रोज भोर से शाम तलक क्या हिन्दू मुस्लिम रहता है। दि

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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

हे! उन्मादी रंग तेरा---रितुराज बसंत।
नभ ने "नीलाम्बर"पहना सेहरा,तेरे आने से।
भौराँ राग बसंती गाने लगा,जो"फाल्गुनी"संत।
आलस और प्रमाद का।
होन

हे! उन्मादी रंग तेरा---रितुराज बसंत। नभ ने "नीलाम्बर"पहना सेहरा,तेरे आने से। भौराँ राग बसंती गाने लगा,जो"फाल्गुनी"संत। आलस और प्रमाद का। होन #कविता #nojotovideo #SpanishLove

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GAUTAM GOVIND

 !!सुनू मोर विनती!!
बाला मैया यै अहाँ सुनू मोर विनती,
तारा मैया यै अहाँ सुनू मोर विनती।
सुनू मोर विनती कि सुनू मोर विनती-2
बाला मैया यै अहाँ.

!!सुनू मोर विनती!! बाला मैया यै अहाँ सुनू मोर विनती, तारा मैया यै अहाँ सुनू मोर विनती। सुनू मोर विनती कि सुनू मोर विनती-2 बाला मैया यै अहाँ. #Poetry

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yogesh atmaram ambawale

नायक हा माझा नेहमीच आवडता राहिला आहे,
राम और श्याम हा सिनेमा जेव्हा मी पहिल्यांदा पाहिला आहे.
खूप छान वाटला अभिनय त्याचा,
म्हणूनच हा मनाला खूप भावला आहे.
आवड निर्माण झाली मग ह्याच्या सिनेमांची,
एक एक सिनेमा पाहत गेलो मोठी झाली यादी.
इज्जतदार,कर्मा,कानून अपना अपना,
शक्ती,सौदागर मध्ये अमिताभ,राजकुमार शी सामना.
नया दौर सॉल्लिड तर मधुमती ही एकदम जबरदस्त,
गोपी,बैराग सोबत क्रांती आणि मशाल ही एकदम मस्त. शुभ संध्या मित्रहो
आज प्रसिद्ध नायक दिलीप कुमार यांचे निधन झाले.
त्यानिमित्त आताचा विषय आहे
नायक...
#नायक१
चला तर मग लिहूया.
#collab #yqtaai

शुभ संध्या मित्रहो आज प्रसिद्ध नायक दिलीप कुमार यांचे निधन झाले. त्यानिमित्त आताचा विषय आहे नायक... #नायक१ चला तर मग लिहूया. #Collab #yqtaai #YourQuoteAndMine

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Bhavana kmishra



आप सभी को विजय दिवस की शुभकामनाएं..

मै केशव का पाञ्चजन्य हूँ गहन मौन मे खोया हूं,
उन बेटो की याद कहानी लिखते-लिखते रोया हूं
जिन माथे की कंकुम बिंदी वापस लौट नहीं पाई
चुटकी, झुमके पायल ले गई कुर्वानी की अमराई

कुछ बहनों की राखी जल गई है बर्फीली घाटी में
वेदी के गठबंघन मिल गये हैं सीमा की माटी में
पर्वत पर कितने सिंदूरी सपने दफन हुए होंगे
बीस बसंतों के मधुमासी जीवनहरण हुए होंगे

टूटी चूडी, धुला महावर, रूठा कंगन हाथों का
कोई मोल नहीं दे सकता बासंती जज्बातों का
जो पहले-पहले चुम्बन के बादलाम पर चला गया
नई दुल्हन की सेज छोडकर युद्ध काम पर चला गया

उसको भी मीठी नीदों की करवट याद रही होगी
खुशबू में डूबी यादों की सलवट याद रही होगी
उन आखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैं
जब मेंहदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे हैं

गीली मेंहदी रोई होगी छुप के घर के कोने में
ताजा काजल छूटा होगा चुपके चुपके रोने में
जब बेटे की अर्थी आई होगी सूने आंगन में..
शायद दूध उतर आया हो बूढी मां के दामन में

वो विधवा पूरी दुनिया का बोझा सर ले सकती है,
जो अपने पती की अर्थी को भी कंधा दे सकती है
मै ऐसी हर देवी के चरणो मे शीश झुकाता हूं,
इसिलिये मे कविता को हथियार बना कर गाता हूं

जो सैनिक सीमा रेखा पर ध्रुव तारा बन जाता है,
उस कुर्बानी के दीपक से सूरज भी शरमाता है
गरम दहानो पर तोपो के जो सीने आ जाते है,
उनकी गाथा लिखने को अम्बर छोटे पड जाते है

उनके लिये हिमालय कंधा देने को झुक जाता है
कुछ पल को सागर की लहरो का गर्जन रुक जाता है
उस सैनिक के शव का दर्शन तीरथ जैसा होता है,
चित्र शहीदो का मंदिर की मूरत जैसा होता है

जिन बेटो ने पर्वत काटे है अपने नाखूनो से,
उनकी कोई मांग नही है दिल्ली के कानूनो से
सेना मर-मर कर पाती है, दिल्ली सब खो देती है…..
और शहीदों के लौहू को, स्याही से धो देती है……
मैं इस कायर राजनीति से बचपन से घबराता हूँ…..
इसीलिए मैं कविता को हथियार बनाकर गाता हूँ।।

# हरिओम पंवार जी (कवि)

©Bhavana kmishra
  #कारगिल विजय दिवस 

आप सभी को विजय दिवस की शुभकामनाएं..

मै केशव का पाञ्चजन्य हूँ गहन मौन मे खोया हूं,
उन बेटो की याद कहानी लिखते-लिखते रोया

कारगिल विजय दिवस आप सभी को विजय दिवस की शुभकामनाएं.. मै केशव का पाञ्चजन्य हूँ गहन मौन मे खोया हूं, उन बेटो की याद कहानी लिखते-लिखते रोया

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841e2db0316b8173be293ba919a29356

Unconditiona L💓ve😉

इस जन्मदिन हम आपको क्या दुआएं दे, 
आज तो आपके यंहा दुआओं का कोहरा होगा !
 एक नज़र हमारी दुआओं पर भी मार लेना 'दीप'जी 
जिसमे आपके लिए बेहिसाब खुशियों का सेहरा होगा !!

🍎Happy Birthday to You 🍎
🎂🎂🎂👸🎂🎂🎂👸🍫🍫🍫 Dedicating a #testimonial to दीपाली 🌠 🌺I̸͟͞ w̸͟͞i̸͟͞s̸͟͞h̸͟͞ y̸͟͞o̸͟͞u̸͟͞ m̸͟͞a̸͟͞n̸͟͞y̸͟͞ m̸͟͞a̸͟͞n̸͟͞y̸͟͞  h̸͟͞a̸͟͞p̸͟͞p̸͟͞y̸͟͞ r̸͟͞e̸͟͞t͞

Dedicating a #testimonial to दीपाली 🌠 🌺I̸͟͞ w̸͟͞i̸͟͞s̸͟͞h̸͟͞ y̸͟͞o̸͟͞u̸͟͞ m̸͟͞a̸͟͞n̸͟͞y̸͟͞ m̸͟͞a̸͟͞n̸͟͞y̸͟͞ h̸͟͞a̸͟͞p̸͟͞p̸͟͞y̸͟͞ r̸͟͞e̸͟͞t͞ #yqbaba #birthdaywishes #blessings #जन्मदिन #gratitude #gknishashayari #gknisha_testimonials

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Madhumati Kinikar

Caption मध्ये पहा  विषय
खंत...
#खंत१
#collab #yqtaai 
Collaborating with YourQuote Taai

                     कडाक्याची थंडी पडली होती. अगदी ओठावर ओठ आपटावे अश

विषय खंत... खंत१ collab yqtaai Collaborating with YourQuote Taai                      कडाक्याची थंडी पडली होती. अगदी ओठावर ओठ आपटावे अश

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Unconditiona L💓ve😉

सजा  दिये  है फूल  मईया.. तेरी हर  एक  राहों में
ममता मया की  छाँव  तले.. रहूँ  मैं तेरी  पनाहों में l

कब से नैन बिछाये बैठा हूँ कि...मईया मेरो आयेंगे
जन्मदिन है तुम्हरा  तो हम...ख़ुशी से धूम मचाएंगे l

बना के चोको टिफिया, ज्वालन छड़ी भी सजाये है
सारी दुःखो को फूँक मारो,हम खुशियाँ ढेरों लाये है l
    
 ❤ Have a great one !😊pious Wishes to U💛 Dedicating a #testimonial to गोपिका तुम गँगा की निर्मल धारा, मैं तुझमें बहता नाव मईया..l
दुनिया की तपती रेगिस्तान में.. मुझे भाता है तेरी मम

Dedicating a #testimonial to गोपिका तुम गँगा की निर्मल धारा, मैं तुझमें बहता नाव मईया..l दुनिया की तपती रेगिस्तान में.. मुझे भाता है तेरी मम #feelings #gratitude #sisterslove #बहना #माँकहतीहै #gknisha_testimonials #नारी_शक्ति_हमारी_शक्ति❤

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