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Kavita jayesh Panot
शीर्षक- ईश्वर एक वर दे ऐसा 🙏🙏🙏🙏 शब्दों में स्पष्टता, भावों में सरलता, सर्व रसों से ओतप्रोत, कविता में संगीत सी मधुरता, कलम को दे ऐसी सार्थकता । प्राणों में महत्वाकांक्षा, है जग को रचने वाले रचियता, तेरी हर रचना(सजीव, निर्जीव, दृश्य, अदृश्य) को कलम से यथावत लिख सकूँ। भेद पाऊँ अधरों की सीमा को , छू सकूँ हृदय की जमी को, कलम को ऐसा तेज दे। चाह नही प्रशंशको की, बस करना इतना , रख सकूँ इज्जत कागज ,कलम की, मेरे नेत्रों को नीत नई दृष्टि दे, तलवारों सी धार दे। एक प्रार्थना है हिय से, आजन्म लिखते रहे , हृदय के भार को कर अल्प, नित नित नए कुसुमों का, साहित्य को उपहार दे। है ईश्वर एक वर दे ऐसा, कागज, कलम, और श्याही की, इस दुनियाँ को, तेरे आशीष और कृपा से उबार दे - 2 कविता जयेश पनोत ✍️ @cosmic power ©Kavita jayesh Panot #विश्व कविता दिवस#कलम# ईश्वर वर दे
Mohd Tasleem
आग के पास कभी मोम को लाकर देखू हो इजाजत तो तुझे हाथ लगा कर देखू दिल का मन्दिर बडा बिरान नजर आता है सोचता हूँ तेरी तस्वीर सजा कर देखू दिल वर दिल वर
संजय श्रीवास्तव
**************************************** वर दे !माँ भक्ति से मन भर दे दुर्गुण से दूर हमें पावन कर दे शैल पुत्री मां तु पहाड़ो वाली चंडी बन असुरों का वध कर दे वर दे !मां भक्ति से मन भर दे मां शारदे तुम दुर्गा विंध्यवासिनी हम भक्तों के सब दुख को हर.दे वर दे ! माँ भक्ति से मन भर दे अद्भुत छटा लाल चुनर वाली जीवन में खुशियोँ के रंग भर दे वर दे ! माँ भक्ति से मन भर दे जगजननी जगदंबा शेरा वाली वाणी में बसो मेरे ऐसा स्वर दे वर दे !माँ भक्ति से मन भर दे संजय श्रीवास्तव बुरहानपुर (म•प्र•) #साहित्य_सागर वर दे
Parasram Arora
आसमान बेचैन था और निरंतर कुछ सोच रहा था बादलो ने पूछा भी था कि क्यो वह इतना चुप था आसमान ज़मीन क़ो देख करचिंतित था.... क्योंकि वह जवानी की दहलीज़ लांघ चुकी थी ... क्योंकि ज़मीन क़ो वो अपनी बेटी मानता था... और इसिलए वो चिंतित भी था बादलो ने उसकी चिंतित दशा देख कर उसे सुझाव दीया कि कोई योग्य वर ढूंड कर इस कुंवारी ज़मीन के हाथ पीले कर दे.... आसमान भी इस सुझाव से सहमत हो गया था इसलिए उसने सूरज और चाँद के पास ज़मीन के व विवाह हेतु प्रस्ताव भेज दिया लेकिन सूरज ने यह कह कर प्रस्ताव ठुकरा दिया कि ये ज़मीन खून से रंग चुकी है और प्रदुषन्न से विषाक्त भी हो चुकी है चाँद ने भी इस प्रस्ताव क़ो ठुकराने के कारण बता दीये कि ये धरती अपना शिल्प खो चुकी है. कि ये धरती अपने संस्कार भूल कर दिशा विहींन हो चुकी है... कि विभ्र्म और द्वन्द ग्रस्तता के कारण ये ज़मीन पथभृष्ट हो चुकी है. इसलिए वो इस ज़मीन के लिए योग्य वर नहीं है ©Parasram Arora योग्य वर
sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
सौंपकर अपना चाँद किसी आसमान को... हम जैसॆ दीदा-वर अब भी है ज़मीं पर..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 दीदा-वर